शनिवार, 21 अगस्त 2010

यार हद होती है चापलूसी की भी....

क्या होता जा रहा है हमारे मीडिया को? खबरें खोजने की बजाये हमारे पत्रकार महिमामंडन या कटु परन्तु सीधी-सपाट भाषा में कहें तो चापलूसी पर उतर आये हैं.क्या राहुल गाँधी का एक पोलीथीन का टुकड़ा उठाकर कचरापेटी में डालना इतनी बड़ी खबर है जिसे घंटों तक आम आदमी को झिलाया जाये? आप पूछ सकते हैं कि मुझे क्या पड़ी थी लगातार उस खबर को देखने की? तो साहब सभी न्यूज़ चैनलों का यही हाल है.जब पूरी दाल ही काली हो तो फिर बेस्वाद दाल खाना मज़बूरी हो जाती है.यह माना जा सकता है कि चैनल राहुल कि सादगी को आम लोगों को प्रेरित करने के लिए दिखा रहे थे तो इतनी प्रेरणा किस काम की, कि देखने वाले को ही खीज होने लगे. शायद इसीलिए लोग चिडकर यह कहते सुने गए कि राहुल गाँधी ने कौन सा अलग काम किया है-अरे वे अपने पिता की समाधि को ही तो साफ़-सुथरा कर रहे थे और यह परंपरा तो सदियों से हमारे समाज का हिस्सा है कि हम अपना घर/पूर्वजों का स्थान/आस-पास का क्षेत्र साफ़ रखते हैं.
वैसे भी राहुल गाँधी देश के सांसद (जनप्रतिनिधि) हैं इसलिए यह उनका दायित्व है कि वे देश को साफ़-सुथरा रखने में अपना योगदान दे. मै एक बात यहाँ साफ़ कर देना चाहता हूँ कि मेरा यह सब लिखने का उद्देश्य राहुल की सदाशयता पर सवाल उठाना नहीं है और न ही मुझे इस बात को लेकर कोई शक है कि राहुल महज प्रचार के लिए कचरा उठा रहे होंगे.दरअसल वे विदेश में पढ़े हैं और वहाँ साफ़-सफाई का पालन करना अनिवार्य है.मीडिया के इतने प्रचार के बाद भी जो लोग इस समाचार(?) को देखने से वंचित(भला हुआ) रह गए हो उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि राहुल ने अपने पिता राजीव गाँधी के समाधि स्थल’वीरभूमि’ के पास पड़े एक पोलीथीन के टुकड़े को उठाकर कचरापेटी में डाल दिया था. मेरी आपत्ति हमारे न्यूज़ चैनलों के व्यवहार तथा उनकी नक़ल करते समाचार पत्रों के रवैये को लेकर है. उन्हें कभी राखी सावंत का भोंडापन भाता है तो कभी सम्भावना के लटके-झटके,कभी मुन्नी बदनाम हुई जैसे फूहड़ गाने पर कसरत करते (नाचते नहीं) सलमान खान या फिर राहुल जैसे किसी सेलिब्रिटी का कचरा उठाने जैसा काम? हमारे देश में लाखों लोग रोज राहुल की तरह सामान्य रूप से अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं या इससे भी बढ़कर काम कर रहे हैं पर मीडिया को वे क्यों नहीं नज़र आते? मीडिया को प्रियंका गाँधी की बदली हेयर-स्टाइल दिखती है पर डायन बताकर गंजी की गयी दर्जनों महिलाये नहीं दिखती?मीडिया राहुल के एक पोलीथीन उठाने पर वाह-वाही में जुट जाता है पर देश के लगभग हर सेलिब्रिटी के पालतू कुत्ते प्रतिदिन दिल्ली-मुंबई जैसे तमाम महानगरों की सड़कों को गन्दा करते हैं यह उसे नज़र नहीं आता.शायद इसी वजह से पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को कहना पडा था कि विदेशों का गुणगान करने वाले लोग वहाँ जाकर सड़कों पर थूकना,खुले में पेशाब करना,बिना बेल्ट लगाये कार चलाना और कुत्तों को सड़क पर खुलेआम हगाना-मुताना भूल जाते हैं पर भारत आते ही यह सब करना वे अपना मौलिक अधिकार समझने लगते हैं.यही देश में आज हो रहा है.हम सब अपने देश को कौसते हुए उसे और गन्दा/बदसूरत/अव्यवस्थित/बदनाम और अविकसित बनाने में जुटे हैं....मीडिया इस मामले में सबसे आगे है क्योंकि वह हमारे दिमाग/मन को गन्दा कर रहा है?

6 टिप्‍पणियां:

  1. 1. चापलूसी की कोई हद नहीं होती।
    2. हम अपना घर और सामने की सड़क साफ रखते हैं। कचरा पडौसी के घर में या उस के सामने की सड़क पर डाल देते हैं।

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  2. एकदम ठीक फरमाया आपने। चैनलों पर समाचार कम लटके-झटके ज्यादा नजर आते हैं। मगर जब दाल ही पूरी काली है, तो देखें क्या। मीडिया बंधुओं से आग्रह है कि अपने समाज में बहुत सी चीजें बहुत अच्छी हो रही हैं...उन पर अच्छी और रुचिकर स्टोरी की जा सकती है।

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  3. कल से ही इस प्रकरण पर दिमाग मुझे सजग कर रहा है कि यह राहुल गांधी का एक स्‍वाभाविक कृत्‍य था लेकिन मीडिया से पूछो कि प्रत्‍येक तीन माह में एक बार इस तरह से राहुल बाबा को दिखाकर वे क्‍या सिद्ध करना चाहता है? कभी तगारी उठाते हुए, कभी पोलीथीन तो कभी कोई कुटिया में। ये बाकी के दिन क्‍या करते हैं? संसद में भी नजर नहीं आते। क्‍या लोग इनसे नही पूछते कि आप कहाँ थे? मीडिया क्‍यों एक कमजोर व्‍यकितत्‍व को देश पर थोपना चाहती है?

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  4. मीडिया अपना मूल काम छोड़ कर राजनैतिक लोगों का मैला उठा कर उसे टीआरपी में बदलने में लगा हुआ है, अच्छा ही है आज के दौर में इलेक्ट्रोनिक मीडिया की विस्वसनीयता निरंतर गिरती जा रही है, थोडा और करेंगे तो पूरा सत्यानाश करके रख देंगे, फिर न तो इन्हें दर्शक पूछेंगे न ही ये नेता, दर्शक को जागरूक करो और दल रोटी की चिंता करो इन मीडिया वालों को जितना कर सकते हो इग्नोर करो. अजित गुप्ता जी की इस बात से सहमत हूँ की मीडिया एक कमजोर व्यक्तित्व को देश के ऊपर थोपना चाहता है,

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  6. चाप लूस संसार में एसा दुर्लभ जीव !
    जिसे परास्त न कर सका , अर्जुन का गांडीव !!
    गाव - सहर ,हर देश में ,चापलूस विधमान !
    चापलूस यदि ना रहे ,कौन बघारे सान ?
    चापलूस के मंत्र में, ऐसी शक्ति समाये !
    जो न कोई कर सके चापलूस कर जाय!!
    चापलूस इस जगत में है प्राणी बुद्धिमान !
    असंभव को संभव करे, खोजे तुरत निदान !!
    चापलूस वह सर्प , जिसका नहीं इलाज !
    फिर भी कायम चतुर्दिक चापलूस का राज !!
    चापलूस की महिमा का अलबेला यह सार !
    बिन पूँजी - श्रम का यह लाभ्जनित व्यापार !!

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