शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

आस्था पर प्रेम के प्रदर्शन से नहीं बच पाया मीडिया

जब बात आस्था से जुडी हो तो निष्पक्षता की उम्मीद बेमानी है. मीडिया और उससे जुड़े पत्रकार भी इससे अलग नहीं हैं. यह बात अयोध्या मामलें पर आये अदालती फैसले के बाद एक बार फिर साबित हो गयी है.इस विषय के विवेचन की बजाय मैं हिंदी और अंग्रेजी के अख़बारों द्वारा इस मामले में फैसे पर दिए गए शीकों (हेडिंग्स) को सिलसिलेवार पेश कर रहा हूँ .अब आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए की कौन किस पक्ष के साथ नज़र आ रहा है? या किस की आस्था किसके साथ है?या हमारा प्रिंट मीडिया कितना निष्पक्ष है? वैसे लगभग दो दशक पहले अयोध्या में हुए ववाल और उस पर प्रिंट मीडिया (उस समय टीवी पर समाचार चैनलों का जन्म नहीं हुआ था) की प्रतिक्रिया आज भी सरकार को डराने के लिए काफी है. खैर विषय से न भटकते हुए आइये एक नज़र आज(एक अक्टूबर) के अखबारों के शीर्षक पर डालें....

पंजाब केसरी,दिल्ली

“जहाँ रामलला विराजमान वही जन्मस्थान ”

नईदुनिया,दिल्ली

“वहीँ रहेंगे रामलला”

दैनिक ट्रिब्यून

“रामलला वहीँ विराजेंगे”

अमर उजाला,दिल्ली

“रामलला विराजमान रहेंगे”

दैनिक जागरण,दिल्ली

“विराजमान रहेंगे रामलला”

हरि भूमि.दिल्ली

“जन्मभूमि श्री राम की”

लेकिन कुछ समाचार पत्रों के बीच का रास्ता अख्तियार किया एयर अपने शीर्षकों में आस्था की बजाये अदालत की बात को महत्त्व दिया .इन अख़बारों के शीर्षक थे...

जनसत्ता,दिल्ली

“तीन बराबर हिस्सों में बटें विवादित भूमि”

राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली

“तीन हिस्सों में बटेंगी विवादित भूमि”

दैनिक भास्कर,दिल्ली

“भगवान को मिली भूमि”

हिंदुस्तान,दिल्ली

“मूर्तियां नहीं हटेंगी,ज़मीन बटेंगी”

नवभारत टाइम्स ,दिल्ली 

“किसी एक की नहीं अयोध्या”

इसके अलावा कुछ चुनिन्दा अखबारों ने अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर न केवल शीर्षकों में जान डाल दी बल्कि बिना किसी का पक्ष लिए पूरी खबर भी बता दी.इन समाचार पत्रों की हेडिंग्स इसप्रकार थीं....

राजस्थान पत्रिका,जयपुर(दिल्ली में उपलब्ध)

“राम भी वहीँ,रहीम भी”

बिस्टैण्डर्ड.जनेस दिल्ली

“अयोध्या में राम भी इस्लाम भी”

इकनामिक टाइम्स,दिल्ली

“बंटी ज़मीन,एक रहे राम और रहीम”





3 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने,
    लेकिन मीडिया ने काफी आशा की थी की कोई बड़ी न्यूज़ जरुर मिलेगी और वो नहीं मिल पाई| पुरे देश से एक ही समाचार मिला की सब तरफ शांति है | एक समाचार पत्र में एक और शीर्षक मैंने पढ़ा

    "हिन्दू को २ एवम मुस्लिम को १ हिस्सा मिला " |

    मीडिया अभी भी कौशिश कर रहा है की कही ना कही तो दंगे होने ही चाहिए, मुझे समझ में ये नहीं आता की हमारा मीडिया हमारा दुश्मन है या हमारी आँख, हमेशा नकारात्मक मुद्दों ही पेश करता है ?

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  2. कहते है कुते की पूंछ कभी सीधी नही होती, यह बात इन बेकार की बकवास करने वाले समाचार पत्रो पर सही उतरती है, इन्हे ना राम से कोई काम है ना रहीम से, बस पेसा आना चाहिये इन्हे , यही कुते आग लगाने वाले हे, धन्यवाद आप का

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  3. chaahe jo bhi hai.. par ye sabhi headlines ek saath padh kar bada achhca laga.aur antim kuch patikaaon ki headlines vaastav me salute karne k layak hai. dhanayavaad.

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