tag:blogger.com,1999:blog-4862091528022381150.post7115151425065184635..comments2024-02-09T13:34:14.873+05:30Comments on जुगाली: भगवान कहीं आप भी तो मज़ाक नहीं कर रहे न..... संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma http://www.blogger.com/profile/11102333380220317327noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4862091528022381150.post-84534641722664471142016-03-04T00:24:14.905+05:302016-03-04T00:24:14.905+05:30शाहिद भाई को मैं भी जानता हूं। साल 1997 के अगस्त-स...शाहिद भाई को मैं भी जानता हूं। साल 1997 के अगस्त-सितंबर महीने की शाम, जगह जेएनयू का टेफ्लाज़, बहुरूप नाटक ग्रुप का वर्कशॉप चल रहा था। मेरे दोस्त ने उनसे मेरा परिचय क्या करवाया, मैंने कहा- मैं भी नाटक में दिलचस्पी रखता हूं...मैट्रीक के फौरन बाद बच्चों से एक नुक्कड़ करवाया था। लेकिन उसके बाद टाइम ही नहीं मिला उसे निखारने का...आपसे मुलाक़ात होती रहे तो शायद वो कमी पूरी हो जाएगी। शाहिद भाई -आईए, शाम में एक घंटे का टाइम निकालिए, यहीं तो हम रोज़ आते हैं, टेफलाज़ में। मैंने कहा- नहीं अब कहां टाइम है, करियर की उलझन ने क्रिएटीव सोच को दफ्न कर दिया है। शाहिद भाई- करियर से आपकी क्या मुराद है, आईएएस बनना है, आईएएस बनके अपने किस पड़ोसी पर रोब जमाना चाहते हैं। अपने गरीब रिश्तेदारों पर जो अपने बच्चों को जेएनयू नहीं भेज पाए हैं। (मेरा दिमाग घूम गया)मैं (गंभीर होकर)- शाहिद भाई, अब तक की ज़िदगी में सिर्फ लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया है। मेरे इलाके में मेरी पहचान समाज सेवा से ही है। मैं आईएएस भी बनूंगा तो मेरा मकसद लोगों के दुखों को कम करना है। शाहिद भाई- तो लोगों की मद करने के और भी तरीक़े हैं, कोई ज़रूरी है आईएएस, आईपीएस ही बना जाए। सच पूछिए तो शाहिद भाई की बातें बहुत तीखी लगी थीं मुझे, लेकिन उसका असर इतना गहरा था कि उस रात मुझे ख़ूब गहरी नींद आई। उसके बाद जितनी भी मुलाक़ातें हुईं शाहिद भाई उतने ज़्यादा क़रीब होते गए। हालांकि शाहिद भाई से दो-चार बार ही मुलाक़ातें हुईं। लेकिन, किसी अपने के होने का अहसास हमेशा मेरे साथ रहा। जो आज किसी के नहीं होने के अहसास में बदल गया है। वाक़ई ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम दिन रहते हैं। ...मौत हो ऐसी कि दुनिया देर तक मातम करे। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09671989356263007357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4862091528022381150.post-81853167956131768032016-03-02T14:04:45.687+05:302016-03-02T14:04:45.687+05:30मलाल-- ऐसी सख्सियत के बारे बारे में तब जानने को मि...मलाल-- ऐसी सख्सियत के बारे बारे में तब जानने को मिला जब वो इस दुनिया में नहीं हैं। नमन आपको एवं आपकी सख्सियत को। वाकई भगवान बहुत मजाक करते हैं, अब तो विराम लो प्रभू <br /><br />koshishhttps://www.blogger.com/profile/01055981881234534443noreply@blogger.com