बुधवार, 7 जुलाई 2010

धोनी के घोड़े से एक्सक्लूसिव बातचीत

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के विवाह ने मीडिया जगत में हडकंप मचा दिया है.पत्रकारों और बाईट वीरों(इलेक्ट्रानिक मीडिया) को लग रहा है कि इतना बड़ा स्कूप उनसे छूट कैसे गया?टेस्ट से लेकर वनडे और २०-२० तक में धोनी का धमाल तो समझ में आता है पर शादी में भी उनका खेल दिखाना मीडिया को हजम नहीं हो रहा है.न्यूज़ चैनलों में होड़ मची है कि कौन धोनी के बारे में अन्दर तक की खबरें निकाल पाता है.इसलिए कोई अभिनेत्री विपाशा बासु के घर शादी का जश्न मनवा रहा है तो कोई नृत्य निर्देशक फरहा खान को शादी में भेज रहा है? ये बिचारे रोज इस बात से इन्कार कर रहे है. ऐसे ही एक बाईट वीर 'एक्सक्लूसिव' के चक्कर में उस घोड़े तक पहुँच गए जिसपर बैठकर धोनी ने विवाह रचाया था(हालाँकि कई पत्रकार घोड़े को नकली बता रहे हैं उनका कहना है कि असली घोडा तो विवाह के बाद से घोडा बिरादरी को छोड़कर गायब है.) बाईटवीर ने घोड़े वाले की बजाय सीधे घोड़े से बात कर उसकी पहली प्रतिक्रिया अपने चैनल पर चलाने और उसकी फीलिंग जानने का फैसला किया.पेश हैं बाईट वीर और घोड़े के बीच सवाल-जवाब:
बाईट वीर:कैसा लग रहा है धोनी को अपने ऊपर बिठाकर?
घोडा महज सर हिला देता है...
बाईट वीर उत्साह से चिल्लाकर-देखिये घोडा कितना खुश है ...हम अपने दर्शकों को बताना चाहेंगे कि घोड़े की एक्सक्लूसिव तस्वीरें और उसकी प्रतिक्रिया केवल आप हमारे चैनल पर ही देख पा रहे हैं.
बाईट वीर:धोनी का वजन कितना था?भारी तो नहीं लगा?
घोड़े ने फिर सर हिलाया...
बाईट वीर:घोड़े के चेहरे के भाव साफ़ बता रहे हैं कि धोनी उसे भारी लगे फिर भी वह उन्हें बिठकर खुश है.आखिर ये मौका कितने घोड़ों के जीवन में आता है?
बाईट वीर:बस आखिरी सवाल! धोनी ने आपको कहाँ से पकड़ा था?
घोडा सर झुका लगा लेता है...
बाईट वीर: अच्छा सर से पकड़ा था?मैं अपने कैमरा मेन से अनुरोध करूँगा कि वह दर्शकों को घोड़े की गर्दन और सर करीब से दिखाए...देखिये सिर्फ हमारे चैनल पर कि धोनी के हाथ यहाँ थे.अभी भी उस दिन के निशान साफ़ नज़र आ रहे हैं.
बाईट वीर: अच्छा साक्षी रावत उस दिन कैसी लग रही थी? अच्छा ये बताइए आपको साक्षी कैसी लगी? उस दिन उनका मेकअप कैसा था?
घोडा फिर सर हिलाता है....
बाईट वीर:देखिये धोनी ने घोड़े तक को कुछ भी बताने से रोक रखा है इसलिए वो साक्षी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता. फिर भी हमसे इस एक्सक्लूसिव बातचीत के लिए शुक्रिया...
इसके पहले कि बाईट वीर ऐसे ही किसी अन्य को पकड़कर फिर कोई ताज़ा जानकारी देता हमारे घर कि लाईट चली गयी और पूरे परिवार ने राहत की साँस ली....

शनिवार, 3 जुलाई 2010

हमारी जान लेने के नए-नए तरीके -भाग दो

कल मैंने इसी विषय पर एक पोस्ट डाला था,लेकिन हमारे मिलावटी भाइयों की धरपकड़ और हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए काम कर रहे स्वयंसेवी संगठनों की सक्रियता के कारण मैं अपनी ही पोस्ट का भाग-दो लिखने के लिए मज़बूर हो गया. मूल उद्देश्य तो हमेशा की तरह अपने ब्लॉगर साथियों को समाज में मौजूद ख़तरों से रूबरू करना है. वैसे देश में इन दिनों 'सिक्वल' बनाने का फैशन चल रहा है. 'गोलमाल' से लेकर 'डोन' तक के दूसरे और तीसरे भाग बन चुके हैं तो फिर ब्लॉग का दूसरा भाग लिखने में क्या बुराई है. खैर अब मुद्दे की बात-दरअसल कल अपना पोस्ट लिखने के बाद जब टीवी पर न्यूज़ चैनल देखे तो पता चला कि पोस्ट में कई ताज़ा जानकारियां डालने से चूक गया इसलिए उस कमी को भाग-दो के जरिये दूर कर रहा हूँ. किसी भी सूरत में पैसा कमाने की भूख ने आदमी को इतना अँधा बना दिया है कि वह यह भी भूल गया है कि जो गड्ढा वह दूसरों के लिए खोद रहा है उसमें उसके अपने भी गिर सकते हैं! दिल्ली में पकड़ा गया नकली कोल्ड ड्रिंक्स बनाने का कारखाना हो या रासायनिक मिलावट के साथ बन रहे सस्ते जेवर,क्या इन्हें बनाने वालों के अपने लोग/परिजन/पत्नी/माँ/बहन/बच्चे नहीं पी सकते या नहीं पहन सकते? इस कारखाने में कई नामी शीतल पेय बनाने वाली कम्पनियों के नकली उत्पाद बनते थे,जिन्हें हम या हमारा परिवार इंडिया गेट पर धड़ल्ले से पीता है जबकि इनसे किडनी को नुकसान पहुँचता है,दांत में पायरिया, हड्डियाँ कमज़ोर होना,मोटापा बढ़ना और ब्लड सेल ख़त्म होने का खतरा होता है. इनमें मिलाये जा रहे गंदे पानी से पेट की बीमारियाँ हो सकती हैं.
इसीतरह माँ-बहनों की सुन्दरता में चार चाँद लगाने वाले गहने उन्हें गंभीर रूप से बीमार बना सकते हैं. "टॉक्सिक लिंक" नामक एक स्वयंसेवी संगठन के मुताबिक देश में बिकने वाली कृत्रिम ज्वेलरी में लेड जैसा घातक रसायन मिला होता है. कई आभूषणों में तो इसकी मात्रा मानक दर से हज़ार गुना तक ज्यादा पाई गई है. यदि इस ज्वेलरी को ज़रा सी देर भी मुंह में डाल लिया गया तो समझो आपकी शामत आ गई, जबकि हमारे घरों में जेवर मुंह में डालना सामान्य सी बात है.लेड इतना खतरनाक है कि दुनिया भर में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध है.खास बात यह है कि ये आभूषण दिल्ली के मशहूर बाज़ारों से लेकर ही यह जाँच की गई थी.लेड का इस्तेमाल पागल तक बना सकता है. इसके अलावा याददाश्त कम होना,पेट की बीमारियाँ,त्वचा में संक्रमण तो सामान्य बात है.इसलिए अगली बार जब भी बाज़ार जाएँ तो यह ज़रूर सुनिश्चित कर ले कि जो कोल्ड ड्रिंक्स पी रहे हैं वह नकली और सौन्दर्य बढ़ाने वाले जेवर घातक तो नहीं हैं?

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

हमारी जान लेने के नए-नए तरीके...

आप भले ही सुबह पांच बजे से उठकर पार्क के कई चक्कर लगते हों या फिर बाबा रामदेव के कहने पर सुबह से शाम तक कपालभाती और अनुलोम-विलोम करते हुए बिताते हों या फिर किसी जिम में जाकर घंटों पसीना बहाते हों लेकिन इन तमाम कोशिशों का आपको उतना फायदा नहीं मिल पायेगा जितना कि आप मानकर चल रहे हैं. मेरे कहने का कतई यह मतलब मत निकालिए कि बाबा रामदेव के योग में या आपके जिम में कोई कमी है और न ही आपका यह मेहनत करना बुरा है बल्कि यह कह सकते हैं कि योग,कसरत,सैर और ऐसे सभी प्रयासों से आप अपने आप को कुछ समय तक स्वस्थ और जिंदा रख सकते हैं क्योंकि बाज़ार में इन दिनों चल रहे कारनामों से तो यही लगता है कि हमारी जान लेने के नए-नए तरीके तलाशे जा रहे हैं. अभी आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा होगा परन्तु जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आपका इस बात पर विश्वास बढ़ता जायेगा कि हमारी जान कितनी फालतू हो गई है और मुनाफ़ा कमाना कितना ज़रुरी..?
हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि टमाटर सूप के नाम पर लोगों को ज़हर दिया जा रहा है। क़न्ज्यूमर एजूकेशन एंड रिसर्च सोसायटी ने हाल ही में छह नामी ब्रांड वाले टोमेटो सूप के 11 नमूनों की जाँच की और पाया कि एक भी ब्रांड में टमाटर जैसी कोई प्राकृतिक चीज नहीं है। जिस नमूने में सबसे अधिक टमाटर की मात्रा पाई गई, उसमें भी महज 10 फीसद टमाटर था। शेष रासायनिक मिलावट थी। अध्ययन में पाया गया कि कंपनियों ने टमाटर के स्थान पर सोडियम और शहद का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा सूप को टमाटर की तरह लाल रंग देने के लिए लिकोपेन मिलाया जा रहा है। आप में से अधिकतर लोग जानते होंगे कि लिकोपेन एक एंटीऑक्सिडेंट है। इस अध्ययन से जुड़े लोगों के मुताबिक दिन भर में सात से आठ मिलीग्राम लिकोपेन का सेवन तक घातक हो सकता है।वहीँ ब्रिटेन की यूके फ़ूड स्टेंडर्ड एजेंसी के अनुसार किसी भी पेय पदार्थ में प्रति 100 ग्राम सोडियम की मात्रा 300 से 600 मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन भारत में धड़ल्ले से बेचे जा रहे इन टमाटर सूप में प्रति 100 ग्राम में निर्धारित मात्र से कई गुना ज्यादा तक सोडियम पाया गया है। सोचिये जिस सूप को आप अपनी और अपने बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद मानकर पीते-पिलाते हैं वह कितना खतरनाक हो सकता है। बात सूप की नहीं, बल्कि विश्वास की है क्योंकि किसी भी कंपनी ने यह बताने कि जहमत नहीं उठाई कि वह टमाटर के नाम पर उसका रंग भर दे रही है और उसका सेहत से कई लेना-देना नहीं है? क्या भारत के अलावा किसी यूरोपियन देश में कोई कंपनी खुलेआम इसतरह लोगों की सेहत के साथ खेल सकती है?हमारे तो आम और यहाँ तक की कपड़ों तक को वहाँ बेचने से रोक दिया जाता है किसी अद्रश्य कीटाणु के नाम पर. खैर दूसरों को कोसने से क्या फायदा! हमारी तो रग-रग में मिलावट घुस गई है इसलिए ये सूप हमारा क्या बिगाड़ लेगा?...और सूप ही क्या अपने देश में तो घी चर्बी से,दूध यूरिया जैसे रसायनों से,पनीर सिंथेटिक सामग्री से,घर-घर में लोकप्रिय चाय लाल रंग से बन रही है और धड़ल्ले से बिक रही है. यही नहीं जानवरों का दूध बढ़ाने के काम आने वाला ओक्सिटोसिन से लौकी जैसी सेहतमंद सब्ज़ी का आकर बढाया जा रहा है. स्वास्थ्य के लिए जरुरी फल पकाने के लिए खतरनाक रसायन इस्तेमाल हो रहे हैं.अदरक और सेब को चमकाने के लिए एसिड तक का खुलेआम उपयोग आम बात है. मसालों में घोड़े की लीद,गेरू,मिट्टी और सस्ते रंग मिल रहे हैं.जब हम इन सब को सालों से खाते हुए भी सेहतमंद हैं तो फिर इस सूप की क्या औकात...?

अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...