मंगलवार, 8 जून 2010

आप भी दे सकते हैं कसाब को फांसी

पढकर आश्चर्य में न पड़े ...यह बिलकुल सच बात है कि आप भी मुंबई (Mumbai )को घंटों तक बंधक बनाने वाले और अनेक निर्दोष लोगों के हत्यारे आतंकवादी कसाब(kasab) को फांसी दे सकते हैं और वह भी मनचाही बार, मतलब एक-दो नहीं बल्कि दसियों बार आप कसाब को फांसी पर लटकते हुए देख सकते हैं. कसाब को सार्वजनिक रूप से फांसी की सजा पाते देखना हर भारतीय की ख्वाहिश है. कसाब ही क्या, संसद पर हमले के मामले में जेल में बंद अफज़ल गुरु सहित उन तमाम देशद्रोहियों और नापाक इरादे रखने वाले आतंकवादियों को उनके गुनाहों की सजा हर हाल में और जल्द से जल्द मिलनी ही चाहिए इस बात पर दो राय हो ही नहीं सकती.
पर समस्या यह है कि सरकार भी क्या इन दोषियों को हमारी ही तरह फटाफट सजा देने की इच्छुक है? अभी तक की कवायद और प्रतिक्रिया से तो यह नहीं लगता कि हम भारतीयों की यह तमन्ना आसानी से पूरी हो पायेगी. सरकार भी बेचारी क्या करे? न तो उसके पास पूर्ण बहुमत है और न ऐसा कर पाने की इच्छाशक्ति. उसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ-साथ देश के घरेलू हालातों (सरल शब्दों में वोट बैंक) का ध्यान भी रखना पड़ेगा.आखिर फिर से चुनाव जो लड़ना है. तो क्या हम इसी तरह हाथ पर हाथ रखकर बस इंतज़ार करते रहेंगे....नहीं अब ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही अपने मंसूबों को दबाने की क्योंकि हम-आप सब कसाब को फांसी दे सकते हैं और वह भी अपने समय,जगह और इच्छा के मुताबिक. तो चलो अब इस सस्पेंस को ख़त्म किया जाये दरअसल ऑनलाइन बाज़ार में इन दिनों "हेंग कसाब" नामक एक खेल धूम मचा रहा है इसमें खेलने वालों को निर्धारित अवधि में कसाब को मनमानी बार फांसी की सजा देने का अवसर मिलता है.
इस खेल की नींव भी गुस्से के इज़हार को लेकर ही पड़ी है, जब एक कम्पनी ने सुना कि कसाब को फांसी देने के लिए ज़ल्लाद नहीं मिल रहा है और भारत के लोग उसे जल्द से जल्द सजा पाते देखना चाहते हैं तो उसने इस खेल का इज़ाद कर दिया ताकि आम लोग कसाब को मारकर अपने गुस्से को निकाल सकें और अपनी ऊर्जा को देश के रचनात्मक कामों में लगा सके. तो चलिए सरकार भलेहि डिप्लोमेसी में उलझी रहे हम तो कसाब को बार-बार फांसी पर लटकाकर अपने कलेजे को ठंडा कर ही लें....

3 टिप्‍पणियां:

  1. कसाब को बार-बार फांसी पर लटकाकर अपने कलेजे को ठंडा कर ही लें.... sach kaha aapne

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  2. मैं खेलों को बड़ा महत्त्व देता हूँ, पूरा खेल भावना से भरा पड़ा हूँ, आंसी तो मैं ही दूंगा.

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  3. ये फांसी का खेल है या खेल खेल में फांसी
    वैसे होगा बड़ा रोमांचक...सोचना पड़ेगा

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