tag:blogger.com,1999:blog-4862091528022381150.post1858263258213937450..comments2024-02-09T13:34:14.873+05:30Comments on जुगाली: बदल रही है हवा, इसके आंधी बनने से पहले सुधर जाओ मेरे यारोसंजीव शर्मा/Sanjeev Sharma http://www.blogger.com/profile/11102333380220317327noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4862091528022381150.post-64894900890621504992013-04-29T22:20:39.530+05:302013-04-29T22:20:39.530+05:30जहाँ तक विज्ञापन की बात तो यह तो एक बुराई को हटाकर...जहाँ तक विज्ञापन की बात तो यह तो एक बुराई को हटाकर दूसरी को लादने जैसा लगा मुझे।यही बदलाव क्यों चाहिए हमें ?पुरुष भी अपना सरनेम पत्नी वाले से क्यों बदले? इससे तो कालांतर में ये भी मान लिया जाएगा कि यदि पत्नी का भी पहले नाम बदलवाया जाता था तो उसमें कोई बुराई नहीं थी।या इससे एक दिखावे की प्रवृति विकसित होगी कि देखो हमने तो पत्नी वाला सरनेम लगाया है देखो कितना सम्मान करते हैं फिर चाहे व्यवहार कैसा भी हो।या फिर जो पुरुष उपनाम नहीं बदलेंगें उनके बारे में मान लिया जाएगा कि महिला विरोधी है चाहे उनका सोच कितना ही अच्छा हो।इसलिए मैं न तो अपना विवाह के बाद सरनेम बदलूँगा और न आजकल के लड़कों की करवा चौथ का यव्रत रखूँगा और न ही ऐसी कोई अपेक्षा करूँगा।स्त्री पुरुष दोनों एक दूसरे का सम्मान करें बस बहुत है।बाकी आपके लेख की किसी बात से असहमत होने का सवाल ही नहीं।बदलाव तो निश्चित लगता है। राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.com