बुधवार, 25 जनवरी 2012

नवजात बच्चे भी दे सकेंगे वोट..!


दुनिया भर में चल रही मुहिम ने असर दिखाया तो आने वाले समय में नवजात शिशुओं को भी मतदान का अधिकार मिल सकता है.यदि ऐसा हुआ तो माँ-बाप की गोद में चढ़ने वाले बच्चे भी अपने अभिभावकों की तरह सज-धजकर वोट डालते नज़र आयेंगे.वैसे भारत में भी नवजात तो नहीं परन्तु 16 साल के किशोरों को मतदान का अधिकार मिल सकता है.
दरअसल खुद निर्वाचन आयोग भी 16 साल तक के किशोरों को मतदान का अधिकार दिलाने के पक्ष में हैं, उधर नवजात शिशुओं को वोटिंग अधिकार दिए जाने के समर्थकों का कहना है कि यदि बच्चों को भी वोट डालने दिया जाए तो उनकी ओर से उनके अभिभावक फैसला ले सकते हैं कि वे किसे वोट दें.वैसे भी बच्चों के मामले में उनके अभिभावक पढाई-लिखाई,कैरियर से लेकर शादी तक के फैसले लेते ही हैं इसलिए यदि वे मतदान के फैसले में भी मददगार बनते हैं तो क्या बुराई है.इस मुहिम को दुनिया भर में अच्छा समर्थन मिल रहा है.इस बात की जानकारी भी कम ही लोगों को होगी कि ‘राइट टू वोट’ यानि मतदान का अधिकार मानवाधिकारों के अन्तरराष्ट्रीय घोषणा पत्र 1948 के प्रावधानों के तहत ‘मानवाधिकारों’ में शामिल है.
            यदि वोटिंग के लिए आयु सीमा के मुद्दे पर बात की जाए तो विश्व के कई देशों में मतदाताओं के लिए निर्धारित आयु सीमा अलग-अलग है.स्वयंसेवी संगठन ‘मास फार अवेयरनेस’ द्वारा देश में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चलाये जा रहे अपने देशव्यापी अभियान ‘वोट फार इंडिया’ के तहत जुटाई गई जानकारी के मुताबिक आस्ट्रिया,ब्राजील,निकारागुआ,क्यूबा,बोस्निया,सर्बिया इंडोनेशिया,उत्तरी कोरिया, पूर्वी तीमोर, सूडान,सेशेल्स सहित दर्जनभर से ज्यादा देशों में मतदाताओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 16 साल है.एक रोचक तथ्य यह भी है कि अधिकतर देशों में 1970 के पहले तक यह न्यूनतम आयुसीमा 21 साल थी लेकिन बदलते वक्त और जागरूकता के फलस्वरूप तमाम देशों ने आयु की इस लक्ष्मणरेखा को घटाना शुरू कर दिया और अब यह 16 साल तक आ गई है.
                 भारत भी इस मामले में पीछे नहीं रहा और यहाँ भी 28 मार्च 1989 को 21 के स्थान पर 18 साल के युवाओं को मतदान का अधिकार दे दिया गया.मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाय कुरैशी तो इसे और भी कम कर 16 साल तक लाना चाहते हैं.उनका मानना है कि आज समाचार चैनलों और इंटरनेट के चलते किशोरों में भी वयस्कों की तरह जागरूकता आ गई है और वे देश के साथ-साथ अपना भला-बुरा समझते हुए सही मतदान करने में सक्षम हैं, इसलिए किशोरों को मतदान का अधिकार देने में कोई बुराई नहीं है.



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