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डॉक्टर क्यों बन रहें हैं रक्षक से भक्षक......!

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डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ छेड़छाड़, युवती ने डॉक्टर पर लगाया बलात्कार का आरोप,डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की मौत,अस्पताल के बाहर महिला ने बच्चा जन्मा,पैसे नहीं देने पर अस्पताल ने मरीज को बंधक बनाया,मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर की पिटाई,डॉक्टरों और मरीजों के रिश्तेदारों में मारपीट,डॉक्टर हड़ताल पर जैसी ख़बरें आये दिन समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियाँ बन रही हैं.एकाएक ऐसा क्या हो गया कि जीवन देने वाले डॉक्टरों पर जीवन लेने के आरोप लगने लगे?                    समाज में डॉक्टर और मरीज का रिश्ता सबसे पवित्र माना जाता रहा है.मरीज अपने डॉक्टर की सलाह पर आँख मूंदकर भरोसा करता है और डॉक्टर भी पेशागत ईमानदारी के साथ-साथ मरीज के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ता. वैसे भी डॉक्टर और मरीज के बीच का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है कि दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं छिपा सकते.एक-दूसरे को सब कुछ खुलकर बताने के ये सम्बन्ध ही परस्पर विश्वास की डोर को दिन-प्रतिदिन मज़बूत बनाते हैं.मरीज को अपने डॉक्टर क...

तो क्या अब इंसान बनाएगा ‘रेडीमेड’ और ‘डिजाइनर’ बच्चे...!

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भविष्य में इंसान यदि अपने आपको भगवान घोषित कर दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि उसने अपनी नई और अनूठी खोजों से भगवान की सत्ता को ही सीधी चुनौती दे दी है.किराए की कोख और परखनली शिशु(टेस्ट ट्यूब बेबी) के बाद अब तो वैज्ञानिकों ने बच्चे के आकार-प्रकार में भी परिवर्तन करना शुरू कर दिया है.इसका मतलब है कि अब हर बैठे डिजाइनर और रेडीमेड बच्चे पैदा किया सकेंगे.इसीतरह अपने परिवार के किसी खास सदस्य को भी फिर से बच्चे के रूप में पैदा किया जा सकेगा.यही नहीं इस दौरान उस व्यक्ति की कमियों को दूर कर उसे पहले से बेहतर बनाकर जन्म दिया जा सकेगा.यदि इसमें कापीराइट या पेटेन्ट जैसी कोई बाधा नहीं आई तो घर-घर में आइंस्टीन,महात्मा गाँधी,हिटलर,विवेकानंद,नेल्सन मंडेला,अमिताभ बच्चन,मर्लिन मुनरो,दाउद इब्राहिम या इसीतरह के अन्य नामी-बदनाम व्यक्तियों को बच्चे के रूप में पाया जा सकेगा.                     अब तक तो हमने देश-विदेश में राजाओं के नामों में दुहराव के बारे में खूब सुना है जैसे हमारे देश में बाजीराव प्रथम,बा...

आज़ादी का जश्न या डरपोक-भयभीत लोगों का एक दिन....!

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जगह-जगह ए के-४७ जैसी घातक बंदूकों के साथ रास्ता रोककर तलाशी लेते दिल्ली पुलिस के सिपाही , सड़कों पर दिन-रात गश्त लगाते कमांडो , रात भर कानफोडू आवाज़ के साथ सड़कों पर दौड़ती पुलिस की गाडियां , फौजी वर्दी में पहरा देते अर्ध-सैनिक बलों के पहरेदार , होटलों और गेस्ट-हाउसों में घुसकर चलता तलाशी अभियान और पखवाड़े भर पहले से अख़बारों-न्यूज़ चैनलों और दीवारों पर चिपके पोस्टरों के माध्यम से आतंकवादी हमले की चेतावनी देती सरकार.....ऐसा नहीं लग रहा जैसे देश पर किसी दुश्मन राष्ट्र की नापाक निगाहें पड गई हों लेकिन घबराइए मत क्योंकि न तो दुश्मन ने हमला किया है और न ही देश किसी मुसीबत में है बल्कि यह तो हमारे राष्ट्रीय पर्व स्वतन्त्रता दिवस पर की जा रही तैयारियां हैं.    किसी भी मुल्क के लिए शायद इससे बड़ा दिन और कोई हो ही नहीं सकता क्योंकि गुलामी की जंजीरों को तोड़कर,लाखों-करोड़ों कुर्बानियों और कई पीढ़ियों के सतत संघर्ष के बाद हासिल स्वतन्त्रता की सालगिरह के जश्न से बढ़कर और क्या हो सकता है?लेकिन क्या छह दशक के बाद हम अपने आपको आज़ाद कह सकते हैं?क्या आसमान में उड़ते परिंदे,कलकल बहती नदियों ...

यहाँ पुरुष ,महिला है और बूढ़ा, सजीला जवान

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इंटरनेट के आभाषी(वर्चुअल) गुण के कारण तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट हमें एक आभाषी दुनिया का हिस्सा तो बना रही है परन्तु वास्तविक दुनिया से दूर भी कर रही हैं. यहाँ सब-कुछ नकली है,लोगों के नाम,उम्र,पता,फोटो और खासतौर पर लिंग सब झूठे होते हैं.यहाँ पुरुष सामान्तया महिला बनकर और महिलाएं पुरुष बनकर मिलती हैं.पचास साल का व्यक्ति या तो स्वयं को नौजवान दिखायेगा या फिर आयु छिपाने के लिए अपने जन्म का साल ही नहीं लिखेगा.इस सबसे बढ़कर बात यह है कि यहाँ मौजूद लोग अपनी जवानी के दिनों की फोटो लगाए नज़र आते हैं और यदि बदकिस्मती से जवानी में भी खुदा ने नूर नहीं बख्शा था तो फिर किसी फिल्मी सितारे का मुखौटा लगाना तो सबसे आसान है.यदि आपके पास एक अदद सुन्दर-जवान चेहरा और महिला का अच्छा सा नाम है तो फिर आपके पास सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्तों की लाइन लग जायेगी.महिला द्वारा लिखे गए “उफ़ आज सोमवार है”जैसे फालतू ‘स्टेटस’ पर भी टिपण्णी करने वालों की लाइन लग जायेगी और “लाइक’ करने वाले तो सैकड़ों में होंगे लेकिन यदि आप जवानी तथा खूबसूरत महिला होने जैसी खूबियों से लबरेज नहीं हैं तो विद्वान होने के बाद भी शायद आपकी तथ्...

बिग बी का बच्चा.....!

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' पूत के पाँव पालने में ' और ' वो तो मुँह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ है ' जैसे कुछ   बड़े ही प्रचलित मुहावरें हैं जो बच्चों के भविष्य की ओर इशारा करते हैं.बिग बी यानि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के घर भी नया मेहमान आने वाला है.वैसे किसी महिला का गर्भवती होना या किसी घर में नया मेहमान आना निश्चित ही पूरे परिवार के लिए खुशी और उल्लास का अनूठा अवसर होता है....आखिर इससे एक नई पीढ़ी का सृजन होता है और सृष्टि की अबूझ पहेलियों को साकार होते देखने का अवसर मिलता है लेकिन जब बात बिग बी के परिवार के बच्चे की हो तो इन चीज़ों को देखने के मायने ही बदल जाते हैं.जब से बिग बी ने एश्वर्या राय बच्चन के गर्भवती होने की खबर दी है तब से मीडिया से लेकर विज्ञापन जगत में यह खबर सरगर्मी से छाई हुई है.बाज़ार की भाषा में कहा जाए तो हर कोई इसको भुनाने में जुटा है.इस मामले में न तो खुद बिग बी पीछे हैं,न इस होने वाले बच्चे के पिता अभिषेक बच्चन और न ही खबरची.अब तो सट्टा कारोबारियों की नज़र-ए-इनायत भी इस बच्चे पर हो गई है.कहा जा रहा है इस नन्ही सी अजन्मी जान के लिंग (लड़का होगा...

कमज़ोर ‘पेट’ वाले इसे जरुर पढ़ लें...वरना पछताएंगे

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मामू आमिर खान और भांजे इमरान खान द्वारा रचा “डेली वेली” नामक तमाशा देखा.यह गालियों,फूहड़ता,अश्लीलता और छिछोरेपन के मिश्रण से रची एक चुस्त, तेज-तर्रार और सटीक रूप से सम्पादित रियल लाइफ से जुडी कामेडी फिल्म है. जिन लोगों ने छोटे परदे पर फूहडता के प्रतीक ‘एम टीवी’ पर शुरूआती दौर में साइरस ब्रोचा द्वारा बनाये गए विज्ञापन और कार्यक्रम देखे हैं तो उन्हें यह फिल्म उसी का विस्तार लगेगी और शुचितावादियों को हमारी संस्कृति के मुंह पर करारा तमाचा. यदि उदाहरण के ज़रिये बात की जाए तो हाजमा दुरुस्त रखने के लिए हाजमोला की एक-दो गोली खाना तो ठीक है लेकिन यदि पूरा डिब्बा ही दिन भर में उड़ा दिया जाए तो फिर हाजमे और पेट का भगवान ही मालिक है.मामा-भांजे की जोड़ी ने इस फिल्म के जरिये यही किया है.अब यदि आप का पेट पूरा डिब्बा हाजमोला बर्दाश्त कर सकता है तो जरुर देखिये काफी मनोरंजक लगेगी और यदि कमज़ोर पेट के मालिक हैं तो डेली वेली को देखने की बजाये समीक्षाओं से ही काम चला ले. हाँ, जैसे भी-जहाँ भी देखे कम से कम परिवार(माँ,बहन,बेटी-बेटा,पिता,भाई और पत्नी भी) को साथ न ले जाएँ वरना साथ बैठकर न तो वे फिल्म का आनंद उठ...

अन्ना हजारे और हमारे चरित्र का दोगलापन!

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शुरुआत एक किस्से से-एक सेठ प्रतिदिन दुकान बंदकर एक संत के प्रवचन सुनने जाते थे और सभी के सामने उस संत का गुणगान कुछ इसतरह करते थे कि मानो उनके समान कोई और संत है ही नहीं और सेठ जी के समान संत का कोई अनुयायी. सेठ जी प्रवचन स्थल पर संत की हर बात का आँख मूंदकर पालन करते थे. संत अपने प्रवचनों में आमतौर पर प्रत्येक जीव से प्रेम करने की बात कहते और मूक जीव-जंतुओं के साथ मारपीट नहीं करने की सीख देते थे. एक दिन सेठ जी प्रवचन में अपने बेटे को भी लेकर गये.बेटे ने श्रद्धापूर्वक संत की बातें सुनी और उन पर अमल की बात मन में गाँठ बाँध ली. कुछ दिन बाद सेठ जी दुकान बेटे के भरोसे छोड खुद प्रवचन सुनने जाने लगे. एक दिन दुकान में एक गाय घुस गयी और दुकान में रखा सामान खाने लगी। यह देखकर सेठ जी का बेटा गाय के पास बैठ गया और उसे सहलाने लगा। थोडी देर बाद जब सेठजी दुकान पहुंचे तो यह दृश्य देखकर आग बबूला हो गए और बेटे को भला-बुरा कहने लगे. इस पर बेटे ने संत के प्रवचनों का उल्लेख करते हुए कहा कि गाय को कैसे हटाता, वह तो अपना पेट भर रही थी और उसे मारने पर जीवों पर हिंसा होती. इस पर सेठ ने कहा ‘बेटा प्रवचन सिर्फ ...