भारत में महिलाएं कैसे करेंगी पुरुषों के “टायलट” पर कब्ज़ा
महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कुछ संगठनों ने इन दिनों एक नया आंदोलन शुरू किया है. इस आंदोलन को “आक्यूपाई मेन्स टायलट”(पुरुषों की जनसुविधाओं पर कब्ज़ा करो) नाम दिया गया है.इस मुहिम के तहत महिलाएं अपने लिए सार्वजनिक स्थलों पर जनसुविधाओं(टायलट) की मांग को लेकर पुरुष टायलट के सामने प्रदर्शन कर रही हैं. उनका मानना है कि सार्वजनिक स्थलों पर पुरुषों के लिए तो टायलट सहित तमाम तरह की जनसुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं लेकिन महिलाओं की अनदेखी की गई है. इस आंदोलन की शुरुआत वैसे तो चीन से हुई है लेकिन यह धीरे-धीरे भारत सहित कई देशों में फैलने लगा है.भारत में भी पुणे जैसे शहरों में महिलाओं ने इस आंदोलन को अपना लिया है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि देश में महिलाओं के लिए जन सुविधाओं का नितांत अभाव है.वास्तविकता यह कि आज तक जन सुविधाओं की स्थापना और निर्माण में महिलाओं के द्रष्टिकोण से कभी सोचा ही नहीं गया.यह कोई आज की बात नहीं है बल्कि सदियों से ऐसा ही चला आ रहा है.हमारी रूढ़िवादी मानसिकता ने पहले तो हमें यह सोचने ही नहीं दिया कि महिलाएं घर से बाहर निकलकर नौकरी कर सकती हैं क्योंकि हमारे लिए तो महिला होने का मतलब माँ,बहन,पत्नी और बेटी के रूप में घर की चारदीवारी के भीतर रहकर काम करने वाली एक स्त्री है जिसकी जिम्मेदारी भोजन बनाने से लेकर घर की देखभाल और साज-संवार करना भर है.जब उसे घर से बाहर निकलना ही नहीं है तो उसके लिए जन सुविधाओं उपलब्ध करने के लिए क्यों पैसे बर्बाद किये जाए.हमने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि महिलाएं कभी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलकर चल सकती हैं,बराबरी से बैठ सकती हैं या फिर पुरुषों जैसी सुविधाओं की मांग कर सकती हैं.
शायद इसी एकतरफा सोच के कारण भारत ही नहीं दुनिया भर में किसी भी सार्वजनिक सुविधा को महिलाओं के मुताबिक तैयार नहीं किया गया.बदलते वक्त के साथ विदेशों में तो कुछ बदलाव नज़र आने भी लगे परन्तु हमारे देश में आज तक शिद्दत से महिलाओं की इन छोटी-छोटी परन्तु अनिवार्य दिक्कतों के बारे में सोचा भी नहीं गया.वैसे हकीकत तो यह है कि सार्वजनिक शौचालय या जन सुविधाओं को लेकर आज भी हमारे देश में जागरूकता नहीं आ पाई है.दिल्ली जैसे महानगरों को छोड़ दिया जाए तो अन्य शहरों और कस्बों में पुरुषों के लिए भी इन सुविधाओं के सार्वजनिक स्थान पर उपलब्ध होने की उम्मीद नहीं की जा सकती.यदि कहीं कोई ‘पब्लिक टायलट’ होगा भी तो वह इस स्थिति में नहीं होगा कि आप उसका इस्तेमाल कर सके. इसका एक कारण यह भी कि भारतीय समाज में और खासकर उत्तर भारत में लोग बिना किसी शर्म-लिहाज के खुलेआम किसी भी स्थान को इन ‘सुविधाओं’ में बदल लेते हैं.पुरुषों की खुलेआम पेशाब करने की प्रवत्ति ने न केवल उनके लिए ऐसी सुविधाओं के निर्माण में बाधा खड़ी की बल्कि महिलाओं के लिए जन सुविधाओं के निर्माण का तो रास्ता ही रोक दिया है. ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए इन सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में सोचना ही वक्त की बर्बादी है.यहाँ तक की हरिद्वार-ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों और कई लोकप्रिय पर्यटन स्थलों तक पर महिलाओं के लिए जन सुविधाएं ढूँढना किसी वर्ग पहेली को हल करने से ज्यादा दुष्कर है.
अब सवाल यह है कि जिस देश में आधी से ज्यादा आबादी सड़कों पर खुले आम मूत्र त्याग करती हो वहां “आक्यूपाई मेन्स टायलट” जैसी मुहिम कितनी सार्थक होगी?विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति १०० लोगों पर एक जन सुविधा केन्द्र होना आवश्यक है लेकिन हमारे देश में तो हजारों-लाखों घरों में ही ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और महिलाओं को प्रतिदिन सूरज ऊगने से पहले घर से निकलकर सुरक्षित और स्वयं को छिपाने लायक स्थान की तलाश करनी होती है ताकि वे अपने दैनिक क्रिया-कलापों को अंजाम दे सकें इसलिए डर यह है कि विदेशों की नक़ल पर शुरू की गयी यह मुहिम कहीं भारत में केवल महिला संगठनों का औपचारिक अनुष्ठान बनकर न रह जाए..?
इस बात में कोई शक नहीं है कि देश में महिलाओं के लिए जन सुविधाओं का नितांत अभाव है.वास्तविकता यह कि आज तक जन सुविधाओं की स्थापना और निर्माण में महिलाओं के द्रष्टिकोण से कभी सोचा ही नहीं गया.यह कोई आज की बात नहीं है बल्कि सदियों से ऐसा ही चला आ रहा है.हमारी रूढ़िवादी मानसिकता ने पहले तो हमें यह सोचने ही नहीं दिया कि महिलाएं घर से बाहर निकलकर नौकरी कर सकती हैं क्योंकि हमारे लिए तो महिला होने का मतलब माँ,बहन,पत्नी और बेटी के रूप में घर की चारदीवारी के भीतर रहकर काम करने वाली एक स्त्री है जिसकी जिम्मेदारी भोजन बनाने से लेकर घर की देखभाल और साज-संवार करना भर है.जब उसे घर से बाहर निकलना ही नहीं है तो उसके लिए जन सुविधाओं उपलब्ध करने के लिए क्यों पैसे बर्बाद किये जाए.हमने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि महिलाएं कभी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलकर चल सकती हैं,बराबरी से बैठ सकती हैं या फिर पुरुषों जैसी सुविधाओं की मांग कर सकती हैं.
शायद इसी एकतरफा सोच के कारण भारत ही नहीं दुनिया भर में किसी भी सार्वजनिक सुविधा को महिलाओं के मुताबिक तैयार नहीं किया गया.बदलते वक्त के साथ विदेशों में तो कुछ बदलाव नज़र आने भी लगे परन्तु हमारे देश में आज तक शिद्दत से महिलाओं की इन छोटी-छोटी परन्तु अनिवार्य दिक्कतों के बारे में सोचा भी नहीं गया.वैसे हकीकत तो यह है कि सार्वजनिक शौचालय या जन सुविधाओं को लेकर आज भी हमारे देश में जागरूकता नहीं आ पाई है.दिल्ली जैसे महानगरों को छोड़ दिया जाए तो अन्य शहरों और कस्बों में पुरुषों के लिए भी इन सुविधाओं के सार्वजनिक स्थान पर उपलब्ध होने की उम्मीद नहीं की जा सकती.यदि कहीं कोई ‘पब्लिक टायलट’ होगा भी तो वह इस स्थिति में नहीं होगा कि आप उसका इस्तेमाल कर सके. इसका एक कारण यह भी कि भारतीय समाज में और खासकर उत्तर भारत में लोग बिना किसी शर्म-लिहाज के खुलेआम किसी भी स्थान को इन ‘सुविधाओं’ में बदल लेते हैं.पुरुषों की खुलेआम पेशाब करने की प्रवत्ति ने न केवल उनके लिए ऐसी सुविधाओं के निर्माण में बाधा खड़ी की बल्कि महिलाओं के लिए जन सुविधाओं के निर्माण का तो रास्ता ही रोक दिया है. ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए इन सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में सोचना ही वक्त की बर्बादी है.यहाँ तक की हरिद्वार-ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों और कई लोकप्रिय पर्यटन स्थलों तक पर महिलाओं के लिए जन सुविधाएं ढूँढना किसी वर्ग पहेली को हल करने से ज्यादा दुष्कर है.
अब सवाल यह है कि जिस देश में आधी से ज्यादा आबादी सड़कों पर खुले आम मूत्र त्याग करती हो वहां “आक्यूपाई मेन्स टायलट” जैसी मुहिम कितनी सार्थक होगी?विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति १०० लोगों पर एक जन सुविधा केन्द्र होना आवश्यक है लेकिन हमारे देश में तो हजारों-लाखों घरों में ही ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और महिलाओं को प्रतिदिन सूरज ऊगने से पहले घर से निकलकर सुरक्षित और स्वयं को छिपाने लायक स्थान की तलाश करनी होती है ताकि वे अपने दैनिक क्रिया-कलापों को अंजाम दे सकें इसलिए डर यह है कि विदेशों की नक़ल पर शुरू की गयी यह मुहिम कहीं भारत में केवल महिला संगठनों का औपचारिक अनुष्ठान बनकर न रह जाए..?
शायद सरकारें सुनती ही यूं हैं
जवाब देंहटाएंहाँ कम से कम बात तो दुनिया तक पहुँचती ही है...
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपके इस प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 05-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
धन्यवाद गाफिल जी ,
हटाएंआपकी सराहना और चर्चामंच में चयन के लिए
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ!
धन्यवाद शास्त्री जी,
हटाएंआपको भी रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
संजीव सदैव की भांति मुद्दे को उठाती एक सार्थक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंभूल सुधार अगले कमेन्ट में देखने का कष्ट करें...
हटाएंअरे इसमें क्या भूल सुमित भाई...
हटाएंसंजीव भाई सदैव की भांति मुद्दे को उठाती एक सार्थक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंसुमित जी आभार...क्या करें सोच ऐसे ही विषयों के इर्द-गिर्द घुमती रहती है..
हटाएंएक सार्थक पोस्ट ....सच में ..हमारे समाज में नाममात्र का ही बदलाव आया है ...कुछ भी नही बदला ...होली की शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही प्रियदर्शिनी जी..परिवर्तन नाममात्र का ही है और जो है वह भी कागजों और मीडिया में ही नजर आता है...आपको भी होली की हार्दिक बधाई..
हटाएंआश्चर्य इस बात का है कि दो-चार सौ टोल देने वाले मार्गों तक पर प्रसाधन-सुविधा उपलब्ध नहीं है.
जवाब देंहटाएंवाकई तलाशने बैठे तो कई किलोमीटर जाकर भी प्रसाधन सुविधा नहीं मिलती...पता नहीं कब बदलाव आएगा
हटाएंबढ़िया और सार्थक प्रस्तुति बधाई शर्मा जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया परसाई जी,आपकी सराहना मानसिक संबल प्रदान करती है..
हटाएंAntalya
जवाब देंहटाएंKonya
Adana
Ankara
Van
5RXC
https://titandijital.com.tr/
जवाब देंहटाएंmalatya parça eşya taşıma
bilecik parça eşya taşıma
antalya parça eşya taşıma
hakkari parça eşya taşıma
İ7B
istanbul evden eve nakliyat
जवाब देंहटाएंzonguldak evden eve nakliyat
adıyaman evden eve nakliyat
bilecik evden eve nakliyat
ankara evden eve nakliyat
EYRAP
1D627
जवाब देंहटाएंHakkari Evden Eve Nakliyat
Çerkezköy Çatı Ustası
Karabük Evden Eve Nakliyat
Kayseri Evden Eve Nakliyat
Yozgat Evden Eve Nakliyat
067E4
जवाब देंहटाएंRize Şehir İçi Nakliyat
Antep Şehirler Arası Nakliyat
Bartın Şehir İçi Nakliyat
Yalova Şehir İçi Nakliyat
Trabzon Evden Eve Nakliyat
Kilis Lojistik
Malatya Evden Eve Nakliyat
Eryaman Parke Ustası
Karabük Şehir İçi Nakliyat
46E00
जवाब देंहटाएंÇerkezköy Oto Lastik
Çankaya Boya Ustası
Cate Coin Hangi Borsada
Adana Şehirler Arası Nakliyat
Niğde Lojistik
Çankırı Şehir İçi Nakliyat
Edirne Evden Eve Nakliyat
Çerkezköy Televizyon Tamircisi
Antalya Lojistik
B4CCC
जवाब देंहटाएंbinance indirim
B0254
जवाब देंहटाएंücretsiz görüntülü sohbet
nevşehir sohbet sitesi
balıkesir ücretsiz sohbet sitesi
Kars Telefonda Kadınlarla Sohbet
izmir rastgele sohbet uygulaması
ücretsiz sohbet sitesi
bedava sohbet
ardahan ücretsiz görüntülü sohbet
Kırşehir Kadınlarla Görüntülü Sohbet
B0693
जवाब देंहटाएंBinance Hesap Açma
Twitch İzlenme Satın Al
Parasız Görüntülü Sohbet
Binance Ne Kadar Komisyon Alıyor
Bitcoin Nedir
Twitter Retweet Hilesi
Parasız Görüntülü Sohbet
Binance Referans Kodu
Bitcoin Mining Nasıl Yapılır
D7B9C
जवाब देंहटाएंThreads İzlenme Satın Al
Parasız Görüntülü Sohbet
Bonk Coin Hangi Borsada
Likee App Beğeni Hilesi
Binance Referans Kodu
Twitch Takipçi Satın Al
Coin Nasıl Alınır
Floki Coin Hangi Borsada
Twitter Beğeni Hilesi
2F45A
जवाब देंहटाएंuwu lend
poocoin
zkswap
dexscreener
defilama
phantom
ellipal
shiba
poocoin
E9FE8
जवाब देंहटाएंDefiLlama
pancakeswap
satoshivm
zkswap
uwulend finance
pudgy penguins
uniswap
thorchain
sushiswap
GNHGVBNJ
जवाब देंहटाएंشركة تسليك مجاري الخبر
gvkjghkhjkjhyk
जवाब देंहटाएंشركة صيانة افران
شركة تنظيف مجالس بالدمام VEXVAuQpA3
जवाब देंहटाएंشركة عزل اسطح بجازان bipKUkeyQi
जवाब देंहटाएंشركة صيانة افران tEOAB9j9CK
जवाब देंहटाएं