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धोनी के घोड़े से एक्सक्लूसिव बातचीत

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भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के विवाह ने मीडिया जगत में हडकंप मचा दिया है.पत्रकारों और बाईट वीरों(इलेक्ट्रानिक मीडिया) को लग रहा है कि इतना बड़ा स्कूप उनसे छूट कैसे गया?टेस्ट से लेकर वनडे और २०-२० तक में धोनी का धमाल तो समझ में आता है पर शादी में भी उनका खेल दिखाना मीडिया को हजम नहीं हो रहा है.न्यूज़ चैनलों में होड़ मची है कि कौन धोनी के बारे में अन्दर तक की खबरें निकाल पाता है.इसलिए कोई अभिनेत्री विपाशा बासु के घर शादी का जश्न मनवा रहा है तो कोई नृत्य निर्देशक फरहा खान को शादी में भेज रहा है? ये बिचारे रोज इस बात से इन्कार कर रहे है. ऐसे ही एक बाईट वीर 'एक्सक्लूसिव' के चक्कर में उस घोड़े तक पहुँच गए जिसपर बैठकर धोनी ने विवाह रचाया था(हालाँकि कई पत्रकार घोड़े को नकली बता रहे हैं उनका कहना है कि असली घोडा तो विवाह के बाद से घोडा बिरादरी को छोड़कर गायब है.) बाईटवीर ने घोड़े वाले की बजाय सीधे घोड़े से बात कर उसकी पहली प्रतिक्रिया अपने चैनल पर चलाने और उसकी फीलिंग जानने का फैसला किया.पेश हैं बाईट वीर और घोड़े के बीच सवाल-जवाब: बाईट वीर:कैसा लग रहा है धोनी को अपने ऊपर ब

हमारी जान लेने के नए-नए तरीके -भाग दो

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कल मैंने इसी विषय पर एक पोस्ट डाला था,लेकिन हमारे मिलावटी भाइयों की धरपकड़ और हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए काम कर रहे स्वयंसेवी संगठनों की सक्रियता के कारण मैं अपनी ही पोस्ट का भाग-दो लिखने के लिए मज़बूर हो गया. मूल उद्देश्य तो हमेशा की तरह अपने ब्लॉगर साथियों को समाज में मौजूद ख़तरों से रूबरू करना है. वैसे देश में इन दिनों 'सिक्वल' बनाने का फैशन चल रहा है. 'गोलमाल' से लेकर 'डोन' तक के दूसरे और तीसरे भाग बन चुके हैं तो फिर ब्लॉग का दूसरा भाग लिखने में क्या बुराई है. खैर अब मुद्दे की बात-दरअसल कल अपना पोस्ट लिखने के बाद जब टीवी पर न्यूज़ चैनल देखे तो पता चला कि पोस्ट में कई ताज़ा जानकारियां डालने से चूक गया इसलिए उस कमी को भाग-दो के जरिये दूर कर रहा हूँ. किसी भी सूरत में पैसा कमाने की भूख ने आदमी को इतना अँधा बना दिया है कि वह यह भी भूल गया है कि जो गड्ढा वह दूसरों के लिए खोद रहा है उसमें उसके अपने भी गिर सकते हैं! दिल्ली में पकड़ा गया नकली कोल्ड ड्रिंक्स बनाने का कारखाना हो या रासायनिक मिलावट के साथ बन रहे सस्ते जेवर,क्या इन्हें बनाने वालों के अपने लोग/परिजन/पत

हमारी जान लेने के नए-नए तरीके...

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आप भले ही सुबह पांच बजे से उठकर पार्क के कई चक्कर लगते हों या फिर बाबा रामदेव के कहने पर सुबह से शाम तक कपालभाती और अनुलोम-विलोम करते हुए बिताते हों या फिर किसी जिम में जाकर घंटों पसीना बहाते हों लेकिन इन तमाम कोशिशों का आपको उतना फायदा नहीं मिल पायेगा जितना कि आप मानकर चल रहे हैं. मेरे कहने का कतई यह मतलब मत निकालिए कि बाबा रामदेव के योग में या आपके जिम में कोई कमी है और न ही आपका यह मेहनत करना बुरा है बल्कि यह कह सकते हैं कि योग,कसरत,सैर और ऐसे सभी प्रयासों से आप अपने आप को कुछ समय तक स्वस्थ और जिंदा रख सकते हैं क्योंकि बाज़ार में इन दिनों चल रहे कारनामों से तो यही लगता है कि हमारी जान लेने के नए-नए तरीके तलाशे जा रहे हैं. अभी आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा होगा परन्तु जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आपका इस बात पर विश्वास बढ़ता जायेगा कि हमारी जान कितनी फालतू हो गई है और मुनाफ़ा कमाना कितना ज़रुरी..? हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि टमाटर सूप के नाम पर लोगों को ज़हर दिया जा रहा है। क़न्ज्यूमर एजूकेशन एंड रिसर्च सोसायटी ने हाल ही में छह नामी ब्रांड वाले टोमेटो सूप के 11 नमूनो