मैंने नहीं कहा रेस्ट इन पीस..!!

मैंने नहीं कहा RIP या भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दे या न ही मैंने दी विनम्र श्रद्धांजलि..क्यों दे, श्रद्धांजलि या क्यों करें तुम्हारी आत्मा की शांति की प्रार्थना…तुमने ऐसा कौन सा तीर मार दिया जो शांति की कामना करें। अरे, कोई ऐसे अपने परिवार को बीच मँझधार में छोड़कर जाता है क्या? 

मासूम से प्रांजल का दिल कब तुम्हारी सेवा करते करते कड़ा हो गया,तुम्हें तो ढंग से पता भी नहीं है...भाभी महीनों से कैसे तुमसे अपने आंसू छिपाकर तुम्हें हौंसला देती थी और तुमने एक बार में ही उनके विश्वास को, उनकी तपस्या को तार तार कर दिया। बिटिया प्रियम तो अब तक ठीक से समझ भी नहीं पाई कि तुमने उसके सर से अपने स्नेह की छाया दूर कर दी है । वह आज भी तुम्हारे सभी दोस्तों से वैसे ही आगे बढ़कर मिल रही थी जैसे तुम्हारे सामने मिलती थी।

जब तुम एंबुलेंस में अपने पैतृक निवास ललितपुर की यात्रा के लिए लेटे थे और भाभी का करुण क्रंदन बाहर तक द्रवित कर रहा था लेकिन तुम मजबूत कलेजा किए लेटे रहे!! उस चीत्कार पर तुम्हें उठ बैठना था,दिलासा देना था भाभी को,प्रांजल को..लेकिन तुम अपनी ही दुनिया में मगन थे तो हम क्यों तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

तुम्हें, अशांत ही रहना होगा मित्र…ताकि आसपास रहकर प्रांजल के सपने पूरे होते देखो,प्रियम का सहारा बने रहो और भाभी का हौंसला बढ़ाते हुए उनकी ढाल बने रहो..यूं, साथ छोड़ना जब हम मित्रों को गवारा नहीं है तो फिर परिवार को कैसे मंजूर होगा।

तुम्हें, अभी यहीं रहना है और जब तक परिवार सम्भल नहीं जाता,आत्मनिर्भर नहीं हो जाता और तुम्हारे बिना जीने की आदत नहीं डाल लेता तब तक तुम्हें उनके आसपास ही रहना होगा भले ही किसी भी रूप में रहो…तब तक हम भी नहीं कहेंगे विनम्र श्रद्धांजलि या रेस्ट इन पीस!!

तुम बहुत याद आओगे दोस्त… जितेंद्र


उन लोगों के लिए जिन्हें जानकारी नहीं है:

वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र मोहन रिछारिया का आज 55 साल की आयु में निधन हो गया। नईदुनिया जबलपुर के संपादक पद पर रहने के दौरान उन्हें ब्रेन ट्यूमर का पता चला और फिर निरंतर उपचार के कारण उन्होंने सक्रिय पत्रकारिता से अवकाश ले लिया था।

एक अप्रैल 1969 को जन्मे जितेंद्र मोहन रिछारिया ललितपुर के मूल निवासी थे। उनका अंतिम् संस्कार कल उनके पैतृक निवास ललितपुर में ही होगा। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। 

उन्होंने भोपाल के माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पहले बैच में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की पढ़ाई की थी। उन्होंने भोपाल के दैनिक नईदुनिया, दैनिक जागरण, सहारा टीवी, पीपुल्स समाचार, पत्रिका और नईदुनिया इंदौर सहित विभिन्न समाचार पत्रों में तीन दशक से ज्यादा समय तक अपनी सेवाएं दी।

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