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कहानी एक अनपढ़ रिक्शा चालक के शिक्षा मसीहा बनने की...!!

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 मामूली रिक्शा चालक अनवर अली अब किसी पहचान के मोहताज नहीं है बल्कि अब तो उनके गाँव को ही लोगों ने अनवर अली का गाँव कहना शुरू कर दिया है । प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम “मन की बात” में अनवर अली के नाम का उल्लेख कर उन्हें शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचा दिया। खुद अनवर अली का कहना है कि ‘एक मामूली रिक्शा वाले को प्रधानमंत्री ने जो सम्मान दिया है उसकी तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता । शायद कलेक्टर बनने के बाद भी यह सम्मान नहीं मिलता जो सामाजिक काम करने से मिल गया ।’ 80 साल के अनवर अली की प्रेरणादायक जीवन गाथा असम की बराक घाटी में लोककथा सी बन गई है , जिससे उन्हें न केवल राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है बल्कि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी उनका सार्वजनिक अभिनंदन किया । प्रदेश के कई वरिष्ठ मंत्रियों ने अनवर अली के साथ फोटो खिंचवा कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया । आखिर ऐसा क्या है अनपढ़ और निर्धन अनवर अली में, जो गुवाहाटी से लेकर दिल्ली तक उनका यशगान हो रहा है । दरअसल असम में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित करीमगंज ज़िले के पथारकांदी इलाक़े के इस मामूली रि

असम: जहाँ नागरिकों को साबित करनी पड़ रही है अपनी नागरिकता !!

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असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी होने के बाद गहमा गहमी का माहौल और बढ़ गया है । पहले मसौदे में राज्य के कुल 3 . 29 करोड़ आवेदनों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया है लेकिन अभी नही तक़रीबन दो करोड़ लोगों का भविष्य दांव पर है क्योंकि यदि वे यह प्रमाणित नहीं कर पाए कि वे भारत के नागरिक हैं तो उन्हें न केवल यहाँ के नागरिकों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि देश छोड़ने की नौबत भी आ सकती है । असम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस अर्थात राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन या एनआरसी है । सबसे पहले वर्ष 1951 में असम में एनआरसी तैयार किया गया था । दरअसल असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और अन्य विदेशी लोगों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने के लिए एनआरसी की प्रक्रिया पर अमल किया जा रहा है ।            आधिकारिक जानकारी के मुताबिक  पूरी प्रक्रिया इसी वर्ष अर्थात 2018 के अंदर पूरी कर ली जायेगी क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने एनआरसी का काम पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ने से इनकार कर दिया है

ऐसे बनेगा भारत भ्रष्टाचार मुक्त...!!

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एक मशहूर हिंदी फिल्म का गाना है- “ जिसने पाप न किया हो , जो पापी न हो.. ”, यदि इसे हम अपने देश में भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में मामूली फेरबदल के साथ कुछ इसतरह से लिखे - “ जिसने भ्रष्टाचार न किया हो , जो भ्रष्ट न हो.. ”, तो कोई अतिसयोंक्ति नहीं होगी क्योंकि हम सब भ्रष्ट है और हम में से कोई भी ऐसा नहीं होगा जो कभी भ्रष्टाचार में लिप्त न रहा हो. मेरी इस बात पर कई लोगों को आपत्ति हो सकती है और होनी भी चाहिए लेकिन यदि वे भ्रष्टाचार की सही-सही परिभाषा को समझ ले तो वे भी न केवल मेरी बात से सहमत हो जाएंगे बल्कि समाज को बदलने से पहले स्वयं को बदलने में जुट जाएंगे.  दरअसल भ्रष्टाचार का मतलब अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी व्यक्ति द्वारा अधिकारों का दुरूपयोग करना या वित्तीय लाभ लेना भर नहीं है बल्कि नैतिक रूप से जो भी गलत है वह भ्रष्टाचार के दायरे में आएगा. मसलन आप से मिलने घर आए किसी व्यक्ति से मिलने से बचने के लिए पत्नी/बच्चे से यह कहलवाना कि आप घर में नहीं है , भी उसीतरह का भ्रष्टाचार है , जैसे दूध में पानी मिलाना या मिर्च-धने में व्यापारी द्वारा मिलावट करना. बिजली चोरी करना भी भ्रष्टाचार है