क्यों जरूरी है एक देश एक कानून

भारत में विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम है। इसके बावजूद, भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और समान न्याय सुनिश्चित करने का प्रावधान किया है। फिर भी, व्यक्तिगत कानूनों का अस्तित्व एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। भारत में एक देश, एक कानून की अवधारणा का लक्ष्य इस विषमताओं को समाप्त करना और समग्र समाज में समानता को बढ़ावा देना है। व्यक्तिगत कानूनों का मुद्दा भारत में विभिन्न धर्मों के नागरिकों के लिए अलग-अलग कानून होते हैं। उदाहरण के तौर पर: हिंदुओं के लिए हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, और अन्य संबंधित कानून। मुसलमानों के लिए शरिया कानून और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून। ईसाई समुदाय के लिए ईसाई विवाह और तलाक अधिनियम। पारसी समुदाय के लिए पारसी विवाह और तलाक अधिनियम। इन अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण यह बहस उठती रही है कि क्या भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून नहीं होना चाहिए? एक देश, एक कानून की आवश्यकता "एक देश, एक कानून" की अवधारणा को भारत में लागू करने का मुख्य उद्देश्य है: सामाजिक समानता: विभिन्न धार्मिक समुदाय...