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समय से पहले आई खूबसूरती से क्यों भयभीत हैं पहाड़ के लोग!!

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हिमाचल प्रदेश या पूरे हिमालय में सौंदर्य के प्रतीक से इन दिनों क्यों भयभीत है लोग? क्यों उन्हें यह सुंदरता रास नहीं आ रही ? खूबसूरती से क्यों नाखुश है पर्वतीय इलाकों के रहवासी और प्राकृतिक सौंदर्य के उपासक क्यों नहीं चाहते असमय प्रकृति की नेमत? ये ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब हमें केवल पर्वतीय इलाकों के जानकार ही दे सकते हैं। आखिर, कोई तो बात होगी जिसके फलस्वरूप यहां के लोगों को प्राकृतिक सुंदरता पसंद नहीं आ रही? हम बात कर रहे हैं कि पर्वतीय राज्यों के सबसे खूबसूरत वरदान बुरांश की। बुरांश का पेड़ और इसके फूल हिमाचल प्रदेश सहित देश के तमाम पर्वतीय राज्यों के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राकृतिक संस्कारों से जुड़े हैं। बुरांश न केवल खूबसूरत है बल्कि सेहत की अनेक नेमतों से परिपूर्ण भी है। यह अर्थव्यवस्था का भी एक अनिवार्य हिस्सा है। बुरांश के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि आईआईटी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने  बुरांश की पंखुड़ियों में मौजूद फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है जो कोविड-19 वायरस को रोक सकते हैं। एक अध...

6 डिग्री तापमान में गर्मी..भगवान बचाए!!

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यदि आप अपने शहर की 40-42 डिग्री की गर्मी में 20 से 22 डिग्री पर एसी चला कर जीवन का आनंद ले रहे हों और तभी आपका कोई दोस्त या परिचित कमरे में आए और इतने कम तापमान पर भी कहे कि यार कितनी गर्मी है तुम्हारे यहां..तो पक्का मान लीजिए वह हिमाचल प्रदेश से आया है क्योंकि, 22 डिग्री तापमान में गर्मी बस यहीं के लोगों को लग सकती है।  वाकई, शिमला,कुफरी और ठियोग जैसे तमाम इलाकों में इन दिनों कुछ ऐसा ही तापमान है और यहां के लोगों के लिए गर्मी है। वे मस्त शर्ट और टीशर्ट में घूम रहे हैं। दिन में धूप से बचने के लिए महिलाएं छाता लेकर निकलती हैं जबकि अपन जैसे मैदानी इलाकों के लोग स्वेटर और शाल में भी ठंड से कांपते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक रात में जरूर थोड़ी ठंड हो जाती है जबकि असलियत यह है कि यहां दिन का तापमान 22 से 24 और शाम से भोर तक तो 6 डिग्री और उससे भी कम हो जाता है।  मौसम विभाग ने भी इस साल यहां एकाध दिन लू चलने की आशंका जाहिर की है जबकि यहां के निवासी भूपिंदर सिंह हेट्टा का कहना है कि अब शिमला में ठंड बची कहां है, दिसंबर तक तो गर्मी पड़ती है..बस, दो महीनों की बर्फ पड़ती थी, वह भी पता...

बुरांश में आग भी है और यौवन का फाग भी..!!

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देश के मैदानी इलाकों में इन दिनों जहां पलाश और गुलमोहर दहक रहे हैं, वहीं पहाड़ों पर बुरांश अपनी मुस्कराहट से लालिमा बिखेर रहा है। हिमाचल प्रदेश में पेड़ों पर झुंड के झुंड बुरांश पहाड़ों को खूबसूरत बना रहे हैं। देश के अन्य पर्वतीय राज्यों का हाल भी शायद ऐसा ही होगा। पहाड़ों पर वैसे तो देवदार का कब्जा है और वे अपनी ऊंचाई से कई बार पहाड़ों के शिखर को भी बोना साबित करते नजर आते हैं लेकिन देवदार के बीच से झांकता लाल रंग का बुरांश खूबसूरती से हमारे दिल में उतर जाता है। बुरांश पर कवियों ने खूब कलम चलाई है। सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने तो कुमाऊंनी में लिखा है: ‘सार जंगल में त्वे जस क्वे न्हां रे बुरांश,  खिलन क्ये छै जंगल  जस जलि जा, सल्ल छ, दयार छ,  पई छ, अयार छ,  सबन में पुंगनक भार छ,  पर त्वी में दिलै की आग छ,  त्वी में जवानिक फाग छ।’ इसका तात्पर्य है कि बुरांश तुझ सा सारे जंगल में कोई नहीं है। जब तू फूलता है, सारा जंगल मानो जल उठता है। जंगल में और भी कई तरह के वृक्ष हैं पर एकमात्र तुझमें ही दिल की आग और यौवन का फाग दोनों मौजूद हैं। पहाड़ी इलाकों की प्रकृत...