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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अब दो जून की नहीं, डिजिटल रोटी कहिए जनाब!!

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वक्त बदल गया है और उसके साथ बदल गई है हमारी दो जून की रोटी। कभी वह गोल, मुलायम, माँ के हाथ की थी, जिसकी खुशबू से पेट के साथ-साथ तन मन भी भर जाता था। लेकिन अब तो रोटी भी स्टार्टअप हो गई है। पहले रोटी केवल रोटी थी, अब वह ग्लूटेन-फ्री, कीटो-फ्रेंडली, ऑर्गेनिक, मल्टीग्रेन, प्रोटीन-लोडेड हो गई है। बाजार में अब एक रोटी के साथ इतने टैग लगे होते हैं कि लगता है, ये खाने की चीज कम, इंस्टाग्राम की रील ज्यादा है। पहले माँ प्यार से पुचकारती थी कि रोटी खा लो, ठंडी हो जाएगी लेकिन अब रोटी खुद बताती है कि मुझे माइक्रोवेव में गरम करो, वरना मज़ा नहीं आएगा। और अब रोटी दो जून वाली नहीं रही बल्कि कीमती हो गई है। अब दो जून की रोटी कमाने के लिए अब चार पहर काम करना पड़ता है। पहले रोटी गेहूँ खेत से आए घर के गेहूं से बनती थी, अब रोटी सुपरमार्केट से आती है, और उसका दाम सुनकर लगता है जैसे रोटी गेहूँ की नहीं, सोने से बनी है । एक रोटी की कीमत में पहले पूरी थाली आ जाती थी मतलब दाल, चावल, सब्जी, और ऊपर से पापड़ अचार और सलाद फ्री। अब भरपेट रोटी ही मिल जाए तो बहुत है। अब समय खाली पेट भरने का नहीं है बल्कि हेल्थ कॉन्शस भ...

शान और सेहत की सवारी साइकिल

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आज विश्व साइकिल दिवस है। हर साल 3 जून को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन उद्देश्य लोगों को साइकिल चलाने के प्रति जागरुक करना है। इतना तो हम सभी जानते हैं कि नियमित तौर पर साइकिल चलाना शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। हमने भी कैंची से लेकर सीट तक भरपूर साइकिल चलाई है। मोटापा घटाने से लेकर शरीर की तंदुरुस्ती के लिए नियमित साइकिल चलाना वरदान है। जानकर कहते हैं कि रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से हृदय रोग, मोटापा, मानसिक बीमारी, मधुमेह, गठिया रोग जैसी कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।   3 जून, 2018 के दिन पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई। इसके बाद से हर साल 3 जून के दिन विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। आज के समय मोटर वाहनों को बढ़ते उपयोग के कारण वातावरण में प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। इस कारण वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए साइकिल का उपयोग जरूरी हो गया है।  इस साल विश्व साइकिल दिवस की थीम एक सतत भविष्य के लिए साइकिल चलाना है। तो आइए, हम भी नियमित साइकिल चलाने का प्रयास करें और साइकिल न भी चला पाएं तो कम से कम कार चलाते समय साइकिल सवार लोगों का सम्मान जरूर ...

भगवान न्यूज चैनलों को सद् बुद्धि दे!!

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इन दिनों यदि आप कोई भी न्यूज चैनल देख रहे हैं और उस पर प्रसारित खबरों से आपका बीपी न बढ़े, आपको गुस्सा न आए और आप झटके से टीवी बंद न करें..ऐसा हो ही नहीं सकता। इसके बाद आपका मन करता है उस चैनल के खिलाफ भड़ास निकालने का लेकिन या तो हम लिख नहीं पाते या शायद अभिव्यक्ति का मंच नहीं मिल पाता और वह गुस्सा मन ही मन में रह जाता है लेकिन यदि मौका मिला तो वह खुलकर बाहर भी आ जाता है।  शायद, यही कारण है कि जैसे ही वरिष्ठ पत्रकार सुधीर निगम ने सोशल मीडिया मुखपोथी पर न्यूज चैनलों के मौजूदा रवैये पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए लिखा कि ‘नीचता की पराकाष्ठा क्या होती है? घटियापन की इंतहा क्या होती है। जानना चाहते हैं, तो न्यूज चैनल देखिए’…तो उस पर प्रतिक्रियाओं की लाइन लग गई। ऐसा लगा जैसे तमाम पत्रकार, चिंतक, विचारक या न्यूज चैनलों के सतत् पराभव से चिंतित आम लोग ऐसी किसी कठोर और खरी खरी पोस्ट का इंतजार कर रहे थे। न्यूज चैनलों की हठधर्मिता, अमानवीयता और दुःख को बेचने की हरक़त के खिलाफ अधिकतर लोगों में नाराजगी नई बात नहीं है और खासतौर पर समाज का बौद्धिक तबका तो कथित मीडिया की नौटंकी और बेहूदगी से कुलब...

किन्नर समुदाय का रचनात्मक इंद्रधनुष है पुस्तक ‘पूर्ण इदम’ !!

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‘पूर्ण इदम’ का अर्थ है संसार की तमाम संरचनाओं की तरह यह भी पूर्ण है। ‘पूर्ण इदम: सकारात्मक किन्नर विमर्श का संचय’ नामक किताब किन्नर समुदाय पर एक अनूठा और विचारोत्तेजक संकलन है जो समुदाय की जटिल जिंदगियों, उनकी आंतरिक और बाहरी यात्रा,उनके सुख-दुख और भारतीय समाज में उनकी स्थिति को गहनता से प्रस्तुत करता है। किताब का शीर्षक उपनिषदों के दर्शन से प्रेरित है, जो किन्नर समुदाय की संपूर्णता और मानवीय गरिमा को रेखांकित करता है।  किताब में लेखों, कविताओं,नाटक, संस्मरण,कहानियों, लघुकथाएं और साक्षात्कारों का मिश्रण न केवल किन्नर समुदाय के अनुभवों को उजागर करता है, बल्कि पाठकों को उनके प्रति सहानुभूति और समझ विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। वैसे,यदि हम किन्नर समुदाय पर उपलब्ध कुछ चर्चित पुस्तकों का उल्लेख करें तो इनमें राहुल सांकृत्यायन की ‘किन्नर देश में’, डॉ बंशीराम शर्मा की ‘किन्नर साहित्य’, प्रदीप सौरभ की ‘तीसरी ताली’ और  महेंद्र भीष्म की ‘मैं पायल हूं’ प्रमुख हैं। इसके अलावा, डॉ मधु शर्मा की ‘किन्नर की कन्या’, ए रेवंती की ‘द ट्रुथ अबाउट मी: ए हिजड़ा लाइफ स्टोरी’ और सुप्रसिद्ध लक्ष्...