किन्नर समुदाय का रचनात्मक इंद्रधनुष है पुस्तक ‘पूर्ण इदम’ !!
किताब में लेखों, कविताओं,नाटक, संस्मरण,कहानियों, लघुकथाएं और साक्षात्कारों का मिश्रण न केवल किन्नर समुदाय के अनुभवों को उजागर करता है, बल्कि पाठकों को उनके प्रति सहानुभूति और समझ विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
वैसे,यदि हम किन्नर समुदाय पर उपलब्ध कुछ चर्चित पुस्तकों का उल्लेख करें तो इनमें राहुल सांकृत्यायन की ‘किन्नर देश में’, डॉ बंशीराम शर्मा की ‘किन्नर साहित्य’, प्रदीप सौरभ की ‘तीसरी ताली’ और महेंद्र भीष्म की ‘मैं पायल हूं’ प्रमुख हैं। इसके अलावा, डॉ मधु शर्मा की ‘किन्नर की कन्या’, ए रेवंती की ‘द ट्रुथ अबाउट मी: ए हिजड़ा लाइफ स्टोरी’ और सुप्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की पुस्तक ‘मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी’ भी काफी चर्चा में रही हैं। लेकिन ये सभी किताबें किसी एक विधा या शैली में हैं जबकि ‘पूर्ण इदम’ किन्नर समुदाय के मनोभाव को साहित्य की तमाम विधाओं में अभिव्यक्त करती है और यही इस पुस्तक की विशिष्टता है।
‘पूर्ण इदम’ किताब का पहला खंड साक्षात्कार पर केंद्रित है। दूसरा भाग आलेखों और तीसरा नाटक,चौथा संस्मरण, पांचवा कहानी, छठवां लघुकथा और सातवां कविताओं पर केंद्रित है, जिसमें सामाजिक विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और अन्य विद्वान सदस्यों द्वारा लिखी गई रचनाएं शामिल हैं। ये रचनाएं किन्नर समुदाय के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को कवर करते हैं।
अंतिम परिशिष्ट में किन्नर समुदाय के उन विशिष्ट दिग्गजों का उल्लेख है जिन्होंने समाज की तमाम बाधाओं को पार कर अपने लिए सम्मानजनक स्थान बनाया है।
साक्षात्कार खंड किताब का सबसे जीवंत और व्यक्तिगत जानकारियों से भरा हिस्सा है। इसमें किन्नर समुदाय की सबसे महत्वपूर्व शख्सियतों के साथ आत्मीय बातचीत शामिल है। पहले साक्षात्कार में, किन्नर महामंडलेश्वर संजना सखी से बातचीत पाठकों को किन्नर समुदाय की आंतरिक गतिशीलता की गहरी समझ देता है। इसमें उनके संघर्ष,सफलता और सहजता का जीवंत चित्रण पढ़ने को मिलता है। संजना सखी ने अपने परिश्रम से निर्वाचन आयोग की स्टेट आइकन सहित शीर्ष उपलब्धियां हासिल की हैं। वहीं,एक अन्य साक्षात्कार में, किन्नरों की सबसे चर्चित हस्ती,उनकी सबसे प्रमुख पैरोकार और किन्नर अखाड़े की महामंडेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात को रोचक और बहुत ही दिलचस्प ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
‘पूर्ण इदम’ का काव्य खंड इस संकलन का भावनात्मक और कलात्मक हिस्सा है। इस खंड की करीब 24 कविताएँ किन्नर समुदाय की आत्म-पहचान, सामाजिक संघर्ष, और आध्यात्मिक खोज को सहजता से अभिव्यक्त करती हैं। साक्षात्कार,लेखों,कहानियों और कविताओं की भाषा संतुलित और तथ्यात्मक है, जो पाठकों को बौद्धिक रूप से आकर्षित करती है।
‘पूर्ण इदम’ की सबसे बड़ी ताकत इसकी समावेशिता और संवेदनशीलता है। यह किन्नर समुदाय को केवल पीड़ित के रूप में नहीं, बल्कि सशक्त, रचनात्मक, और समाज का अभिन्न हिस्सा दिखाती है। लेख, कविताएँ, लघुकथा, कहानियां और साक्षात्कार का मिश्रण एक समग्र अनुभव प्रदान करता है, जो बौद्धिक, भावनात्मक, और सामाजिक स्तर पर प्रभाव छोड़ता है।
किताब का दार्शनिक शीर्षक ‘पूर्ण इदम’ किन्नर समुदाय की संपूर्णता को स्वीकार करने का संदेश देता है, जो सामाजिक जागरूकता और समावेशिता को बढ़ावा देता है। किताब का आकर्षक कवर और साफ सुथरी छपाई भी इसका आकर्षण बढ़ाती है। बस, यदि किताब के फ़ॉन्ट, प्वाइंट साइज और डिजाइन को और बेहतर किया जाता तो इसमें वाकई चार चांद लग जाते। हो सकता है समय सीमा ने हाथ बांध दिए हों।
‘पूर्ण इदम’ एक ऐसी किताब है जो किन्नर समुदाय के प्रति समाज की धारणाओं को चुनौती देती है और उनकी मानवीय गरिमा, रचनात्मकता और सशक्तिकरण को उजागर करती है। 188 पृष्ठों में और 60 अलग अलग खुशबू के फूलों से बनी यह माला साहित्य प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उन सभी के लिए एक अनमोल सौगात है जो लैंगिक विविधता और सामाजिक समावेशिता को समझना चाहते हैं। यह किताब न केवल जागरूकता बढ़ाती है, बल्कि पाठकों को किन्नर समुदाय के प्रति सहानुभूति और सम्मान विकसित करने के लिए प्रेरित भी करती है।
पुस्तक: पूर्ण इदम: सकारात्मक किन्नर विमर्श का संचय
सम्पादक: डॉ मीनू पाण्डेय ‘नयन’
प्रकाशक: भव्या पब्लिकेशन
पेज:188
मूल्य: 250 रुपए
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