इन दिनों छोटे परदे पर प्रसारित हो रही दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली एक निजी कम्पनी की विज्ञापन श्रृंखला टीवी के साथ साथ सोशल मीडिया पर काफी चर्चित है. रचनात्मक दृष्टि से उत्तम इस विज्ञापन श्रृंखला में उस कम्पनी की मोबाइल इंटरनेट सेवा को किसी विश्वविद्यालय या आईआईएम-आईआईटी जैसे नामी शिक्षा संस्थान की तरह दर्शाया गया है और उस कंपनी के ग्राहक अंग्रेजी सीखने से लेकर हवाई जहाज चलाने और वाहन सुधारने जैसे काम भी मोबाइल कंपनी द्वारा सृजित छदम शैक्षणिक संस्थान से सीखते दर्शाए गए हैं. ये तो रही विज्ञापन की बात परन्तु अब हक़ीकत में भी ऐसा कुछ होने जा रहा है और वो भी सरकारी स्तर पर. फिलहाल यह तो खोज का विषय हो सकता है कि सरकार ने इस कंपनी के विज्ञापनों से प्रेरणा ली है या फिर सरकारी योजना से प्रेरणा लेकर और सरकार में काम की जगजाहिर धीमी रफ़्तार का फायदा उठाकर दूरसंचार कम्पनी ने पहले विज्ञापन शुरू कर दिए. बहरहाल सच्चाई जो भी हो लेकिन इस प्रयास से शिक्षा क्षेत्र में क्रांति आ सकती है. दरअसल मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्रालय देश के पूर्वोत्तर राज्यों और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों त
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..