बूंदों,बादलों,पानी और हरियाली का मेला!!
नीचे लबालब पानी,ऊपर शरारती बूंदें और चारों ओर मानसून में नहाकर चमकदार हरे रंग में रंगे वृक्षों से भरा घना जंगल। हम किसी अबूझ द्वीप या विदेश की किसी सिनेमाई लोकेशन की बात नहीं कर रहे बल्कि अपने शहर भोपाल के इर्द गिर्द बसे कई प्राकृतिक श्वसन तंत्रों में से एक कोलार डैम की बात कर रहे हैं। इन दिनों यहां प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता कई गुना बढ़ गई है। चेहरे के साथ अठखेलियां करती कभी नन्हीं तो कभी बादलों से तर माल उड़ाकर आईं मोटी बूंदे, कभी भिगोकर तो कभी छींटें मारकर हमारे आसपास अपनी मौजूदगी का सतत अहसास कराती रहती हैं। वहीं, काले, घने, मचलते बादल एक छोर से दूसरे छोर तक रेस लगाते से नज़र आते हैं। ऐसा लगता है अभी टूटकर बरस पड़ेंगे और आपके पास छाते में छिपकर कार में घुसने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहेगा..लेकिन जैसे ही आप डरकर भागते हैं,ये नटखट और बदमाश बादल खिलखिलाते हुए कोलार बांध को दूर से निहारने के लिए कहीं ओर टहलने निकल जाते हैं। आप, बादलों और बूंदों के खेल में ठीक से शामिल भी नहीं हो पाते हो कि नीचे कोलाहल करती विशाल जलराशि अपनी ओर ध्यान खींचने का पुरजोर प्रयास करती दिखती है। अथाए पा