सोमवार, 4 मार्च 2019

जब लोगों ने हाथों की रंग बिरंगी छापों से लिख दिया जय गंगे

प्रयागराज कुंभ: जैसा मैंने देखा (4)
आमतौर पर घरों के दरवाजे पर हाथ की छाप या हल्दी लगे हाथों की छाप शुभ मानी जाती है लेकिन हाथों की यह छाप हमें गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी स्थान दिला सकती है… यह किसी ने सोचना तो दूर कल्पना भी नहीं की होगी।
प्रयागराज में चल रहा कुंभ अपनी दिव्यता और भव्यता के साथ कई अनूठे रिकार्ड भी गढ़ रहा है। 9 किमी लंबी बस ट्रेन बनाकर रिकार्ड कायम करने के बाद अब कुंभ प्रशासन ने हाथों की छाप से विश्व रिकार्ड बनाया है।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने ‘पेंट माई सिटी’ अभियान के अन्तर्गत की गयी चित्रकारी को विश्व पटल पर प्रदर्शित करने के लिए प्रयाग के गंगा पण्डाल में एक हस्तलिपि चित्रकारी कार्यक्रम आयोजित किया। 

यहाँ एक विशाल कैनवास (पेंटिंग वाल) लगाया गया। इस कैनवास पर सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक सुरक्षा कर्मियों, विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं तथा अनेक संस्थाओं के वालिंयटर्स ने अलग अलग रंगों में अपने हाथों की छाप लगाई । इस हस्तलिपि चित्रकारी में समाज के हर वर्ग ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया, जिसमें मुख्य रूप से विदेशी पर्यटक, सुरक्षा बलों के जवान, स्वच्छाग्रही, आमजन, छोटे बच्चे तथा वृद्धजन सहित समाज के 7664 लोगों ने बड़े उत्साह के साथ अपने हाथों की छाप पेंटिग वाल पर लगाई और नया विश्व रिकार्ड कायम किया।इसके पहले यह रिकॉर्ड सियोल के नाम था और वहां 4675 लोगों ने अपने हाथों की छाप लगाकर यह रिकॉर्ड बनाया था परंतु प्रयागराज में 1 मार्च 2019 को लगभग दो गुनी संख्या में लोगों ने यह कारनामा कर दिखाया।खास बात यह है कि कुंभ में हाथों की छाप से ‘जय गंगे’ लिखकर गंगा के निर्मल प्रवाह को दर्शाया गया।
दरअसल प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने मेला शुरू होने से पहले ‘पेंट माई सिटी’ अभियान चलाकर शहर की दीवारों को कुंभ के अनुरूप रंगने की अपील आम लोगों से की थी। इसके परिणाम स्वरूप देश भर से आये चित्रकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए शहर की दीवारों को अपनी चित्रकारी से आकर्षक रूप से सजा दिया है। कुम्भ में आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक भी इसकी भरपूर सराहना कर रहे हैं। इस अभियान में शहर भर में लगभग 20 लाख स्क्वायर फुट दीवारों पर चित्रकारी की गयी है। जो अपने आप में एक रिकार्ड है। इसतरह की चित्रकारी से प्रयाग की संस्कृति, यहां की विरासत और आध्यामिकता को भी नयी पहचान मिली।
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