सामान्य पाठकों के लिए टी आर पी का मतलब टी वी रेटिंग प्वान्ट होता है और इसको नापने का पैमाना यही है की किसी भी कार्यक्रम को कितने दर्शक देख रहें हैं.कार्यक्रम जितना ज्यादा लोकप्रिय होगा उसकी टीआरपी भी उतनी ही ज्यादा होगी .सोचिये यदि हमारे नेताओं अर्थात सांसदों और मंत्रिओं की भी संसद में उनकी भागेदारी को लेकर टीआरपी भी नापी जाने लगे और इसके लिए पैमाना टेली विजन वाला ही रखा जाये तो क्या स्थिति होगी ? जो नेता दूरदर्शन और निजी समाचार चैनलों पर जितना ज्यादा दिखेगा उसकी टी आर पी भी उतनी ही ज्यादा होगी....यदि ऐसा हो गया तो अभी तक लोकसभा के बेल (कुआं नहीं ,वहां तो वे जनता को गिराते हैं) में जाकर हंगामा करने वाले सांसदों की तो लाटरी ही लग जाएगी.कुछ यही हाल बात बात पर गला फाड़कर चिल्लाने वाले नेताओं का होगा .सबसे अच्छी टीआरपी पाने की होड़ में हमारे नेता संसद का और भी वक्त बर्बाद करने लगेंगे और आम जनता के गाढे पसीने की कमाई इसी तरह लुटती रहेगी .मज़ा तो तब आयेगा जब एस टी आर पी के आधार पर "एड देने लगें तब तो हंगामे के कमाई का नया रास्ता ही खुल जायेगा .संसद की हुल्लड़ ब्रिगेड के मुखिया लालू प्रसाद तो एड से रचे बसे नज़र आयेंगे .उनके सीने पर अडिदास का लोगो होगा तो बाजू पर नाएके और पीठ पर हल्दीराम या पेप्सी -कोक जैसी किसी कम्पनी का ठप्पा लगा नज़र आएगा .मुलायम सिंह की समाजवादी लाल टोपी पर भी गोदरेज या वीडियोकोन के रंग दिखाई देंगे .रामविलास पासवान ,रघुवंश प्रताप सिंह ,मणि शंकर अय्यर ,चाचाजी(अभिषेक बच्चन के) अमर सिंह,अनंत कुमार जैसे तमाम चिल्लपों वीर वेतन से ज्यादा एड से कमा रहें होंगे .इसी तरह सुषमा स्वराज ,ममता बनर्जी ,मेनका गाँधी की साड़ियाँ भी अलग अलग कम्पनी का प्रचार करती दिखाई देंगी .नेताओं में अपनी अपनी टी आर पी बढ़ाने की होड़ मच जाएगी और फिर संसद का हाल क्या होगा इसका तो भगवान ही मालिक होगा? जूते-चप्पल चलना आम बात हो जायेगा क्योंकि जो जितना विवादित होगा उसकी टी आर पी भी उतनी ही ज्यादा होती जायगी और एड से कमाई भी .तो फिर तैयार रहिये भारतीय राजनीति की इस नई नौटंकी को देखने के लिए ......
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...
-
क्या नियति के क्रूर पंजों में इतनी ताकत है कि वो हमसे हमारा वेद छीन सके? या फिर काल इतना हठी हो सकता है कि उसे पूरी दुनिया में बस हमार...
-
महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कुछ संगठनों ने इन दिनों एक नया आंदोलन शुरू किया है. इस आंदोलन को “आक्यूपाई मेन्स टायलट”(पुरुषों की जनसु...
-
कुछ मीठा हो जाए🍬🍫.. के बाद अब कुछ धमाकेदार🗯️ मीठा हो जाए..की बारी है। दीपावली🪔 के अवसर पर बच्चों को लुभाने के लिए चॉकलेट 🍫ने अपना रूप...
शर्मा साहब, एक अच्छे और सच्चे पोस्ट के लिए बधाई, दरअसल नेतागिरी में आजकल इन्वेस्टमेंट कुछ ज्यादा ही हो जाता है, सो प्रोफिट पाने के लिए ये सब तो सोचना ही पड़ता है, सभी नेता अपनी ब्रांडिंग के लिए पी आर कंपनियों का सहारा ले रहे है, बहरहाल अच्छा पोस्ट........
जवाब देंहटाएंmazedaar kalpnaa, raajneeti kaa haal yahi hai aur yahi haal rahaa to praayojit hone men der nahin lagegi.
जवाब देंहटाएंजुगाली पर नेता टीआरपी पुराण मस्त रहा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई.
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
welcome in blog world
जवाब देंहटाएंक्या चित्र में सूखी-सर्री गौमाता जुगाली करने योग्य है, या जुगाली के लिये कुछ है उसके पास?-----हेप्पी मदर्स डे.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं