यात्रिओं को यूँ ही मरने के लिए छोड़ दिया जाता है?मेडिकल शिक्षा का स्तरसुधरने की ज़िम्मेदारी रखने वाले केतन देसाई खुद ही इस स्तर को बिगाड़ने के लिए रिश्वत लेते पकडे जाते हैं ,तकनीकी शिक्षा परिषद् में भी ऐसा ही हो चुका है, दिल्ली के मंत्री को सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ा तो उन्होंने होटल पर छापे पड़वा दिए,आई पी एल के आयोजक ही टीमों के साथ मिलकर घोटाला कर रहें हैं और हमारे केन्द्रीय मंत्री कभी चीनी तो कभी दाल के दाम बढवा रहे हैं ,कोई संचार तंत्र को बेचने पर आमादा हैं और कुछ मंत्रिओं के लिए प्रधानमंत्री कोई मायने नहीं रखते इसलिए वे कहीं भी-कभी भी कुछ भी कह बैठते हैं और ये भी नहीं सोचते की इससे देश की प्रतिष्ठा पर क्या असर हो सकता है.इन सब के लिए "में" ज्यादा मायने रखता है बजाय "हम' या अपने देश के! इसलिए कभी-कभी लगता है-क्या होगा हमारे देश का? क्या चुचाप रहते हुए देश को ऐसे लोगों के भरोसे छोड़ देना ठीक है या फिर इन्हें सुधरने के लिए हम सब को मिल-जुलकर कुछ करना चाहिए?आम आदमी आखिर किस पर भरोसा करे?भ्रष्ट नेताओं पर?काली कमाई में जुटे आला अफसरों पर? गरीब जनता के नाम पर पैसा पीट रहे स्वयं सेवी संगठनों पर या फिर आम जनता को लूटने के लिए तैयार बैठे पुलिस विभाग पर?
अस्पताल से डॉक्टर का गायब होना आम बात है?पुलिस का रिश्वत लेना पेशे का हिस्सा हो गया है?नेताओं का आश्वासन देना दर्म बन गया है और दर्म के ठेकेदारों की बैटन में आकर आपस में लड़ना हमारी नियति?देश पर क़र्ज़ बाद रहा है और नेताओं के स्विस बैंकों में खाते...आम आदमी दाल-रोटी के लिए दिन-रत संघर्ष कर रहा है और चंद लोग अपने कुबेर के खजाने के बाद भी आपस में लड़ रहें हैं.महंगी और नई करें रोज सड़कों से बलात्कार कर रहे हैं और बेचारा आम इंसान साईकिल भी नहीं चला पा रहा .महानगरों में लोग बसों में ठुसे जा रहें हैं परचंद फीसदी कार सवारों को बीआरटी से दिक्कत है क्यूंकि यह उनका रास्ता कम कार रहा है उन्हें इस बात की परवाह नहीं है की इससे कुल जनसँख्या के ७० फीसदी बस में चलने वाले आम लोगों को राहत मिलेगी .सब को आपनी पड़ी है ...देश के बारे में सोचना समय की बर्बादी हो मन जाने लगा है?ऐसे में क्या होगा हमारे देश का....?सोचिये..?
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
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अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या
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Kuye men bhaang gir gai hai.. sab apne apne swarth sidh krne men lge hain..apke vichar jaankar prasnnta huee.. meri shubhkaamnayen..
जवाब देंहटाएंwell said
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजब इन्सान नकली हो तो व्यवस्था नकली होगी ही / आज जरूरत है ,ऐसे जमीर वाले इन्सान की जो असली हो तब जा कर व्यवस्था सही होगी / आप भी अपने आस-पास सत्य और न्याय को जिन्दा करने की कोशिस कीजिये /
जवाब देंहटाएंji bilkul sahi kaha aapne....
जवाब देंहटाएंab kiya kya jaaye ye sochna padega,,,
kunwar ji,