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अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या

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कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगरी के ऐश्वर्य का वर्णन ही नहीं किया जा सकता है। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्मा जी की कारीगरी बस इतनी ही है। श्रीरामचन्द्र जी के मुखचन्द्र की छटा देखकर सभी नगरवासी हर प्रकार से सुख की अनुभूति कर रहे हैं। अयोध्या हर भारतीय की सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने वाला शहर है । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्म भूमि और सनातन धर्म की आस्था का केंद्र अयोध्या अपने नए भव्य राम मंदिर की दिव्यता के साथ साथ वर्तमान की आवश्यकता और सुनहरे भविष्य को नई दिशा देने में भी जुटी है। अयोध्या में मंदिर के साथ-साथ कई और विकास योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है और इन परियोजनाओं के जरिए अयोध्या को अंतर राष्ट्रीय पटल पर प्रमुखतम आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र की पहचान दिलाने के लिए तमाम प्रयास किया जा रहे हैं।  उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए अयोध्या में करीब 60,000 करोड रुपए के निवेश से तमाम विकास कार...

सृजनकर्ता के सृजक

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बंदउँ बालरूप सोइ रामू। सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू॥ मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी॥ भावार्थ- मैं उन्हीं राम के बाल रूप की वंदना करता हूँ, जिनका नाम जपने से सब सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं। मंगल के धाम, अमंगल के हरनेवाले और दशरथ के आँगन में खेलने वाले (बालरूप) राम मुझ पर कृपा करें महीनों तक बस एक ही धुन…राम नाम की धुन, न भोजन की परवाह और न ही आराम की। परिवार को तो वह लगभग भूल ही गए थे। दिन नहीं, हफ्तों तक परिवार से बात नहीं की। बस ध्यान में था तो यही कि पूर्ण पवित्रता का पालन करते हुए भगवान श्रीराम की ऐसी दिव्य,अलौकिक,मनमोहक और अद्भुत मूर्ति का निर्माण करना था जो पहले कभी नहीं बनी हो। हम बात कर रहे हैं अयोध्या में प्रतिष्ठित हुई राम लला की प्रतिमा को बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज की। भगवान श्रीराम के बालरूप वाली इस मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच अत्यधिक चिंतन,मनन और अध्ययन के बाद रखी गई है। दरअसल, हमारे देश में 5 वर्षीय बच्चे की लंबाई औसतन लंबाई 51 इंच के आसपास होती है। भारतीय पूजा पद्धति में 51 अंक बहुत शुभ माना जाता है। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर  गर्भगृह में...

अविस्मरणीय अयोध्या

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कोसलो नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान। निविष्ट: सरयूतीरे प्रभूत धनधान्यवान् ॥ अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता | मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम् ||   सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों से पूर्ण धनधान्य से भरा-पूरा, उत्तरोत्तर उन्नति को प्राप्त कोसल नामक एक बड़ा देश था। इसी देश में मनुष्यों के आदिराजा प्रसिद्ध महाराज मनु की बसाई हुई तथा तीनों लोकों में विख्यात अयोध्या नामक एक नगरी है। जिस धरा पर भगवान श्री राम ने जन्म लिया हो और जहां की माटी में तीनों लोक के स्वामी खेलकर बड़े हुए हों… उस जगह से पवित्र भूमि इस दुनिया में कोई और नहीं हो सकती । अयोध्या को यह सौभाग्य मिला है कि उसने रामलला की जन्म से लेकर उनके राज्य सिंहासन संभलाने तक के दौर को जिया है । आज एक बार फिर अयोध्या विश्व पटल पर चर्चा में है। इसका कारण भी भगवान श्री राम का दिव्य,भव्य और नवनिर्मित मंदिर है। हो सकता है आज की युवा पीढ़ी अयोध्या को मौजूदा स्वरूप में और इस नए मंदिर के कारण ही जाने  लेकिन असलियत यह है कि अयोध्या का अस्तित्व हजारों सालों से है। हमारे वेदों में, धार्मिक ग्रंथों में और अंग्रेजों से लेकर म...

राम लला हुए विराजमान

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लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी । भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी ॥ प्रभु के दर्शन नेत्रों को आनंद देने वाले हैं, उनका शरीर मेघों के समान श्‍याम रंग का है तथा उन्होंने अपनी चारों भुजाओं में आयुध धारण किए हैं, दिव्य आभूषण और वन माला धारण की हैं। प्रभु के नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है। इस प्रकार शोभा के समुद्र और खर नामक राक्षक का वध करने वाले भगवान प्रकट हुए हैं। चंहुओर घंटे-घड़ियाल,शंख, मंजीरे,खड़ताल, ढोल नगाड़े, मृदंग, बांसुरी, वीणा और चिमटा सहित तमाम वाद्य यंत्र अपनी अलग अलग स्वर लहरियों के बाद भी बस एक ही धुन सुना रहे थे…वह थी राम नाम की धुन। घरों में कोई थाली बजा रहा था तो कोई घंटी,किसी ने तालियों की रफ्तार कम नहीं होने दी तो किसी की अंगुलियां माला के मनकों पर नाच रही थीं…हर कोई मस्त था,अलमस्त, मग्न और आतुर…आखिर, पांच सौ सालों की तपस्या एवं इंतज़ार का फल मिल रहा था और हजारों सालों से हमारी आस्था,विश्वास,संस्कृति और मर्यादा के शिखर पुरुष भगवान श्रीराम पधार रहे थे। राम की शक्ति और भक्ति का यह आलम था कि कई दिनों से बादलों में छिपकर अयोध्या को कड़ाके की ठंड से त...

भारतीय पराक्रम की स्वर्णिम गाथा है… ‘विजय दिवस’

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सोलह दिसंबर दुनिया के इतिहास के पन्नों पर भले ही महज एक तारीख हो लेकिन भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश के इतिहास में यह तारीख कहीं स्वर्णिम तो कहीं काले हर्फो में दर्ज है। भारत में यह तारीख विजय की आभा में दमक रही है तो बांग्लादेश के लिए तो यह जन्मतिथि है । पाकिस्तान के लिए जरूर यह दिन काला अध्याय है क्योंकि इसी दिन उसका एक बड़ा हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बन गया था। वैसे भी,पाकिस्तान के लिए यह दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं था क्योंकि उसकी हजारों सैनिकों को सर झुकाकर भारत की सरपरस्ती में इतिहास की सबसे बड़ी पराजय स्वीकार करनी पड़ी थी।  इतिहास के पन्नों में दर्ज निर्णायक तारीख जरूर 16 दिसंबर 1971 है, लेकिन पाकिस्तान की कारगुजारियों ने उसकी नींव कई साल पहले डाल दी थी । जब उसकी सेना के अत्याचारों से कराह रहे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने मदद के लिए भारत से गुहार लगाना शुरू कर दिया था। आखिर, तत्कालीन भारत सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा और फिर भारतीय सैनिकों के शौर्य और पराक्रम का स्वर्णिम पन्ना ‘विजय दिवस’ के नाम से इतिहास में दर्ज हो गया । 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान की ओ...

अपने राम,सबके राम

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हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥ रामचंद्र के चरित सुहाए।  कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥ हरि अनंत हैं। उनका कोई पार नहीं पा सकता और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते। भगवान श्रीराम सर्वव्यापी हैं, वे अनंत हैं,असीमित हैं और अनादि भी। राम सत्यम शिवम् और सुंदरम भी हैं,लोकनायक भी हैं और महानायक भी। राम केवल देवता के रूप में पूज्य नहीं हीं बल्कि मानवीय अवतार में मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर वे परमपूज्य हो जाते हैं। राम का मानवीय स्वरूप न केवल परमसत्ता के प्रति सम्मान का भाव जगाता है बल्कि हर व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरणा भी देता है। जाहिर सी बात है जब राम को अनंत रूपों में देखा जाएगा तो उतने ही तरह से उनकी व्याख्या भी होगी इसलिए विश्व में हमें राम और महाग्रंथ रामायण के अनेक रूप देखने को मिलते हैं। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने लिखा भी है कि जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी अर्थात श्रीराम को जिस व्यक्ति ने जिस भावना से देखा उसे वे वैसे ही ...

राम के भाल पर भास्कर

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अवधपुरी सोहइ एहि भाँती। प्रभुहि मिलन आई जनु राती॥ देखि भानु जनु मन सकुचानी। तदपि बनी संध्या अनुमानी॥ राम के जन्म के बाद अवधपुरी ऐसे सुशोभित हो रही जैसे मानो रात्रि प्रभु से मिलने आई हो और सूर्य को देख सकुचा गई हो. इस तरह मन में विचारकर वह संध्या बन गई. अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर निर्माण की भव्यता से दुनिया अचंभित है। मंदिर की शैली से लेकर इसकी दिव्यता की चर्चाएं हो रही हैं। वैसे तो मंदिर विशिष्ट और विविधाओं से परिपूर्ण है लेकिन राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर वर्ष श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। उन्होंने कहा कि राम नवमी हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है। यह आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है। भगवान श्रीराम को सूर्य तिलक में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु ने सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और ऑप्टिका, बेंगलुरु लेंस और पीतल ट्यूब के निर्माण में शामिल ...

मंदिर नहीं आस्था की यशगान…!!

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नभ दुंदुभीं बाजहिं बिपुल गंधर्ब किंनर गावहीं। नाचहिं अपछरा बृंद परमानंद सुर मुनि पावहीं॥ भरतादि अनुज बिभीषनांगद हनुमदादि समेत ते। गहें छत्र चामर ब्यजन धनु असिचर्म सक्ति बिराजते॥ आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। गन्धर्व और किन्नर गा रहे हैं। अप्सराएं नाच रही हैं। देवता और मुनि परमानंद प्राप्त कर रहे हैं। भरत , लक्ष्मण और शत्रुघ्न , विभीषण , अंगद , हनुमान्‌ और सुग्रीव आदि सहित छत्र , चँवर , पंखा , धनुष , तलवार , ढाल और शक्ति लिए हुए सुशोभित हैं। भगवान श्रीराम अपने नए महल में विराजमान हो गए हैं। महल यानि श्रीराम का नया मंदिर धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, बुनियादी ढांचे और वास्तुकला के लिहाज से दुनिया में अनूठा और अपनी तरह का इकलौता मंदिर है। आखिर जनमानस की 500 साल की पीड़ा,वेदना, अवहेलना और आस्था को पहुंची चोट के बाद मिले अधिकार को बहुसंख्यक वर्ग ने पूरे आनंद के साथ दूर किया है। खुशी, न्याय और अधिकार जितनी देर से मिलता है उसका आनंद भी उतना ही बढ़ जाता है और यही इन दिनों में अयोध्या में, उप्र में और पूरे देश के साथ दुनिया भर में नजर आ रहा है। लोग उमंग में हैं,उत्साहित हैं,उल्लासित हैं और मुद...

श्रीराम के विश्वकर्मा

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सोभा दसरथ भवन कइ को कबि बरनै पार। जहाँ सकल सुर सीस मनि राम लीन्ह अवतार॥  भावार्थ-दशरथ के महल की शोभा का वर्णन कौन कवि कर सकता है, जहाँ समस्त देवताओं के शिरोमणि राम ने अवतार लिया है॥  क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि अयोध्या के जिस भव्य और दिव्य भारतीय नागर शैली के मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर के करोड़ों लोगों की निगाहें तड़प रही हैं और हजारों लोग दर्शन के पहुंच रहें हैं उसे शुरुआती तौर पर उच्च तकनीक, एआई और अन्य आधुनिकतम संसाधनों से नहीं बल्कि एक अनुभवी व्यक्ति ने तीन दशक पहले 1987-88 में पैरों से जमीन नापकर नक्शा तैयार कर दिया था। एक बार जमीन की पैमाइश होने के बाद उन्होंने अपने हुनर,अनुभव और कुशलता का ऐसा समां बांधा कि आज दुनिया चकित होकर देख रही है। मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा निर्धारित समय सीमा पर जब मंदिर और इसका पूरा परिसर सज धज कर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो देखने वालों के सिर सम्पूर्ण श्रद्धा से झुक जाएंगे। हम सभी की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम के इस नए घर (राम मंदिर) को इतने आकर्षक और भव्यतम ढंग से डिजाइन करने का दायित्व और सौभाग्य मशहूर वास्तुकार और गुजरात के अह...

आराध्य की आराधना

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रामो विग्रहवान् धर्मः साधुः सत्य पराक्रमः। राजा सर्वस्य लोकस्य देवानाम् इव वासवः॥ भगवान श्रीराम धर्म के मूर्त स्वरूप हैं। वे बड़े साधु और सत्य पराक्रमी हैं। जिस प्रकार इंद्र देवताओं के नायक हैं, उसी प्रकार भगवान राम हम सभी के नायक हैं। अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की गाथा घर घर पहुंच गई है। एक तरह से सनातन ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी वैदिक पूजा पद्धति और प्रतिमा की स्थापना तक की तमाम विधियों को जानने समझने लगे हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही कई जैसे नए और अनूठे शब्द सामने आए हैं जो धार्मिक रीति रिवाजों से जुड़े विद्वानों को छोड़कर जनमानस को विस्मित करने वाले हैं। इसलिए, हम अध्याय में इन शब्दों की गुत्थी को सुलझाने और उसे सहज बनाने का प्रयास करते हैं।  जैसा की हम आमतौर पर जानते हैं कि प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ हुआ -जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना। सनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा से पहले किसी भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है बल्कि उसे निर्जीव मूर्ति माना जाता है। प्राण प्रतिष्ठा के जरिए उनमें प्राण श...

एक भारत श्रेष्ठ भारत

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राम राज बैठें त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका॥बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप बिषमता खोई॥  रामचंद्रजी के राज्य पर प्रतिष्ठित होने पर तीनों लोक हर्षित हो गए, उनके सारे शोक जाते रहे। कोई किसी से वैर नहीं करता। श्री रामचंद्रजी के प्रताप से सबकी विषमता यानि आंतरिक भेदभाव मिट गया ॥ कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना दिया है। अब यह भक्ति अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर के रूप में मूर्त रूप ले रही है। यह गौरवमय मंदिर भारत की एकता और भक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा है, न केवल भव्यता में, बल्कि देश-विदेश से मिले योगदान के रूप में भी यह मंदिर अद्वितीय है। 'एक भारत श्रेष्ठ भारत 'पहल इस मंदिर के साथ गहराई से जुड़ी दिखती है। यह मंदिर उस अटूट विश्वास और उदारता का प्रमाण है जो किसी सीमा से परे किसी मंदिर के तीर्थाटन के लिए पूरे देश को जोड़ती है। मंदिर का मुख्य भाग राजसी ठाठ-बाट लिए हुए है। यह राजस्थान के मकराना संगमरमर की प्राचीन श्वेत शोभा से सुसज्जित है। पीआईबी के एक लेख के मुताबिक इस मं...

अंग्रेज़ी चोला उतारकर 'भारतीय' हो रही है हमारी वायुसेना

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आज़ादी के अमृतकाल में भारतीय वायुसेना अंग्रेज़ी चोला उतारकर पूरी तरह से भारतीयता में ढल रही है। अक्तूबर माह की 8 तारीख को जब भारतीय वायुसेना ने अपना 91वा स्थापना दिवस मनाया तो वह अपने नए ध्वज के साथ सामने आई जो संपूर्ण रूप से भारतीय रंग में रंगा था। इस वायुसेना दिवस पर हमारी इस हवाई ताकत ने करीब सात दशक से जारी गुलामी के प्रतीकों से पूरी तरह से छुटकारा पा लिया गया है। अब वायुसेना ध्वज में हमारी आन बान शान और भारतीय गौरव तथा आत्मसम्मान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, अशोक चिन्ह के साथ चमकने  लगा है। देश के मंत्र 'सत्यमेव जयते' और वायुसेना के मंत्र 'नभ: स्पृशं दीप्तम्'  को एक ध्वज पर लाकर भारतीय वायुसेना ने नई आभा हासिल की है। इसका लोकार्पण वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने प्रयागराज में आयोजित वायुसेना दिवस पर किया। भारतीय वायुसेना ने केवल ध्वज ही नहीं बदला है बल्कि बहुत कुछ पहली बार किया है। देश के लोगों में अपनत्व का भाव जगाने के लिए वायुसेना ने दिल्ली की सरहद पार कर देश के दिल तक पहुंचने की कवायद शुरू की है इसलिए इस बार वायुसेना दिवस का आयोजन दिल्ली से बा...