मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

श्रीराम के विश्वकर्मा

सोभा दसरथ भवन कइ को कबि बरनै पार।

जहाँ सकल सुर सीस मनि राम लीन्ह अवतार॥ 


भावार्थ-दशरथ के महल की शोभा का वर्णन कौन कवि कर सकता है, जहाँ समस्त देवताओं के शिरोमणि राम ने अवतार लिया है॥ 



क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि अयोध्या के जिस भव्य और दिव्य भारतीय नागर शैली के मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर के करोड़ों लोगों की निगाहें तड़प रही हैं और हजारों लोग दर्शन के पहुंच रहें हैं उसे शुरुआती तौर पर उच्च तकनीक, एआई और अन्य आधुनिकतम संसाधनों से नहीं बल्कि एक अनुभवी व्यक्ति ने तीन दशक पहले 1987-88 में पैरों से जमीन नापकर नक्शा तैयार कर दिया था। एक बार जमीन की पैमाइश होने के बाद उन्होंने अपने हुनर,अनुभव और कुशलता का ऐसा समां बांधा कि आज दुनिया चकित होकर देख रही है। मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा निर्धारित समय सीमा पर जब मंदिर और इसका पूरा परिसर सज धज कर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो देखने वालों के सिर सम्पूर्ण श्रद्धा से झुक जाएंगे।


हम सभी की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम के इस नए घर (राम मंदिर) को इतने आकर्षक और भव्यतम ढंग से डिजाइन करने का दायित्व और सौभाग्य मशहूर वास्तुकार और गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा को मिला है। सबसे अनूठी बात यह है कि चंद्रकांत सोमपुरा के पास वास्तुकला की न तो कोई डिग्री है और न ही उन्होंने अपने इस पेशे के लिए किसी संस्थान से प्रशिक्षण हासिल किया है।


ज़ाहिर सी बात है इस बात को सुनकर कोई भी चौंक सकता है लेकिन जिस शख्स ने देश और दुनिया के सबसे शानदार करीब 130 मंदिरों को तैयार किया हो,उसे किसी डिग्री या संस्थान से औपचारिक प्रशिक्षण की भला क्या आवश्यकता होगी। श्री सोमपुरा स्वयं एक स्कूल हैं,संस्थान हैं और वास्तुकला के सबसे बड़े आचार्य हैं। उन्होंने अक्षरधाम और बिड़ला मंदिर जैसे सर्वोत्कृष्ट मंदिरों को डिजाइन किया है। चंद्रकांत सोमपुरा के दादाजी ने सोमनाथ मंदिर का नक्शा तैयार किया था जो नागर शैली का सर्वोत्तम उदाहरण है। उनका परिवार पीढ़ियों से यह काम कर रहा है इसलिए राम मंदिर के इस सबसे बड़े और सबसे सम्मानित उत्तरदायित्व में उनके दोनों बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा उनका साथ दे रहे हैं। पिता पुत्र की इस तीन सदस्यीय टीम ने ऐसी बेजोड़ रचना रची है जिसका फिलहाल तो कोई सानी नहीं है क्योंकि करीब 100 से 120 एकड़ भूमि पर पांच गुंबदों वाला तीन मंजिला मंदिर दुनिया में कहीं नहीं है। वहीं, सोमपुरा परिवार के इस उत्कृष्ट डिजाइन को अमली जामा पहनाने का जिम्मा लार्सन एंड टूब्रो ने लिया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को जब अयोध्या में मौजूदा राम मंदिर का भूमि पूजन किया था तब भी मंदिर का मूल नक्शा बनकर तैयार था और मामूली सुधारों के साथ उसी नक्शे की बुनियाद पर यह मंदिर बना है। हालांकि, राम मंदिर का शिलान्यास लगभग तीस साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की अनुमति से 9 नवंबर 1989 को किया गया था और तब शिलान्यास की पहली ईंट दलित समुदाय से आने वाले कामेश्वर चौपाल ने रखी थी।


चंद्रकांत सोमपुरा को यह महती ज़िम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने सौंपी थी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नक्शा बनाने का काम वाकई चुनौती भरा था। एक तो उस दौरान निर्माण स्थल पर बाबरी मस्जिद का मलवा पड़ा था इसलिए उन्होंने पूरी भूमि को अपने पैरों से मापकर सटीक अनुमान लगाया। इसी अनुमान के आधार पर चंद्रकांत सोमपुरा के बने नक्शा को देख सभी दंग रह गए थे। श्री सोमपुरा ने तीन डिजाइन तैयार किए थे जिसमें से एक को सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया। फिर इस डिजाइन के आधार पर लकड़ी के मंदिर का मॉडल तैयार किया गया । 


 मंदिर के निर्माण में एक अन्य चुनौती वे लाखों करोड़ों ईंटें भी थी जो पूरे देश से आस्था का सैलाब बनकर अयोध्या में घर घर से पहुंची थी। श्री सोमपुरा की डिजाइन में इनका बखूबी इस्तेमाल किया गया है।



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