मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

अंग्रेज़ी चोला उतारकर 'भारतीय' हो रही है हमारी वायुसेना

आज़ादी के अमृतकाल में भारतीय वायुसेना अंग्रेज़ी चोला उतारकर पूरी तरह से भारतीयता में ढल रही है। अक्तूबर माह की 8 तारीख को जब भारतीय वायुसेना ने अपना 91वा स्थापना दिवस मनाया तो वह अपने नए ध्वज के साथ सामने आई जो संपूर्ण रूप से भारतीय रंग में रंगा था। इस वायुसेना दिवस पर हमारी इस हवाई ताकत ने करीब सात दशक से जारी गुलामी के प्रतीकों से पूरी तरह से छुटकारा पा लिया गया है। अब वायुसेना ध्वज में हमारी आन बान शान और भारतीय गौरव तथा आत्मसम्मान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, अशोक चिन्ह के साथ चमकने  लगा है। देश के मंत्र 'सत्यमेव जयते' और वायुसेना के मंत्र 'नभ: स्पृशं दीप्तम्'  को एक ध्वज पर लाकर भारतीय वायुसेना ने नई आभा हासिल की है। इसका लोकार्पण वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने प्रयागराज में आयोजित वायुसेना दिवस पर किया।


भारतीय वायुसेना ने केवल ध्वज ही नहीं बदला है बल्कि बहुत कुछ पहली बार किया है। देश के लोगों में अपनत्व का भाव जगाने के लिए वायुसेना ने दिल्ली की सरहद पार कर देश के दिल तक पहुंचने की कवायद शुरू की है इसलिए इस बार वायुसेना दिवस का आयोजन दिल्ली से बाहर प्रयागराज में हुआ। बीते साल यह आयोजन चंडीगढ़ में हुआ था। इस साल वायुसेना दिवस की थीम “IAF – Airpower Beyond Boundaries” अर्थात् सीमाओं से परे हवाई ताकत' थी। इसे हमारी हवाई ताकत ने कई बार साबित भी किया है।


वायुसेना दिवस को दिल्ली से बाहर मनाने का यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा बल्कि भविष्य में और भी कई शहरों को वायुसेना दिवस की मेजबानी का अवसर मिल सकता है। भारतीयकरण के साथ साथ वायुसेना जनभागीदारी और जन सहयोग के भाव को भी चरितार्थ कर रही है इसलिए वायुसेना दिवस के पहले भोपाल सहित कई शहरों में फ्लाईपास्ट का आयोजन हुआ ताकि आम लोग भी वायुसेना की इलीट क्लास वाली छवि के स्थान पर इसके वास्तविक रूप से रूबरू हो सके।

वायुसेना में चाहे पूरी तरह से भारतीय तेजस लड़ाकू विमान को शामिल करना हो या फिर ध्रुव हेलीकाप्टर या फिर स्वदेशी ब्रम्होस मिसाइल को या फिर अग्निवीरों को, इस तरह के हर फैसले से यह साफ जाहिर होता है कि भारतीय वायुसेना अब भारतीय संस्कृति,सपने और सरोकारों को साकार करने में जुटी है। वायुसेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका भी इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है। महिलाओं ने भी वायुसेना के विश्वास को कभी कम नहीं होने दिया है।नर्सिंग से लेकर लड़ाकू विमान तक वे पुरुष सह कर्मियों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कदमताल कर रही हैं।


अगर हम भारतीय वायुसेना के इतिहास पर नजर डाले तो इसका गठन 8 अक्तूबर 1932 को ब्रिटिश सरकार द्वारा 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स' के रुप में किया गया था । इसलिये 8 अक्तूबर को प्रतिवर्ष 'भारतीय वायुसेना दिवस' मनाया जाता है। इस दिन न सिर्फ भारतीय वायुसेना के गौरवमयी इतिहास को याद किया जाता है बल्कि इसके सुनहरे भविष्य के लिए रणनीतियों पर भी विचार किया जाता है। 


 भारतीय वायुसेना का द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर आज तक वीरता,बलिदान और जांबाजी का स्वर्णिम इतिहास है। स्वतंत्रता के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ लड़े गए विभिन्न  युद्धों  और 1999 में कारगिल युद्ध तक में शानदार प्रदर्शन करते हुए न केवल दुश्मन को धूल चटाई है बल्कि अपने बलिदान और शौर्य से नया इतिहास भी रचा है।


कभी भारतीय वायुसेना के मुखिया रहे और अदम्य साहस के धनी एयर चीफ मार्शल अर्जन सिंह को असाधारण नेतृत्व क्षमता के लिए फाइव स्टार जनरल का ओहदा दिया गया। वे भारतीय वायुसेना के इकलौते अफसर थे जिनको फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक मिली थी। 

 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वायुसेना दिवस पर भारतीय वायुसेना अपने पराक्रम, सैन्य क्षमता, आधुनिक अस्त्र शस्त्रों का प्रदर्शन तो करती ही है,साथ ही इस अवसर पर वायुसेना में योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना की जाती है। सफल मिशनों को पूरा करने और मध्य वायु कमान को उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है। पिछले साल की उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए वायु योद्धाओं को विभिन्न पुरस्कार और सम्मान पदक प्रदान किए जाते हैं।


वायुसेना अपने स्थापना दिवस पर देश वासियों को यह विश्वास भी दिलाती है कि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं और वायुसेना के अत्याधुनिक विमान दुश्मन की आंख में आंख डालकर उसे नेस्तनाबूद करने का माद्दा रखते हैं। वायुसेना का आश्वासन ही हमें आर्थिक मोर्चे से लेकर हर क्षेत्र में विकास का हौंसला दे रहा है। हमें अपनी वायुसेना पर नाज है।


 


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