मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

राम लला हुए विराजमान

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,निज आयुध भुजचारी ।

भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी ॥


प्रभु के दर्शन नेत्रों को आनंद देने वाले हैं, उनका शरीर मेघों के समान श्‍याम रंग का है तथा उन्होंने अपनी चारों भुजाओं में आयुध धारण किए हैं, दिव्य आभूषण और वन माला धारण की हैं। प्रभु के नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है। इस प्रकार शोभा के समुद्र और खर नामक राक्षक का वध करने वाले भगवान प्रकट हुए हैं।



चंहुओर घंटे-घड़ियाल,शंख, मंजीरे,खड़ताल, ढोल नगाड़े, मृदंग, बांसुरी, वीणा और चिमटा सहित तमाम वाद्य यंत्र अपनी अलग अलग स्वर लहरियों के बाद भी बस एक ही धुन सुना रहे थे…वह थी राम नाम की धुन। घरों में कोई थाली बजा रहा था तो कोई घंटी,किसी ने तालियों की रफ्तार कम नहीं होने दी तो किसी की अंगुलियां माला के मनकों पर नाच रही थीं…हर कोई मस्त था,अलमस्त, मग्न और आतुर…आखिर, पांच सौ सालों की तपस्या एवं इंतज़ार का फल मिल रहा था और हजारों सालों से हमारी आस्था,विश्वास,संस्कृति और मर्यादा के शिखर पुरुष भगवान श्रीराम पधार रहे थे।


राम की शक्ति और भक्ति का यह आलम था कि कई दिनों से बादलों में छिपकर अयोध्या को कड़ाके की ठंड से तड़फा रहे सूर्यदेव भी राम लला के दर्शन के लिए प्रकट हो गए और पूरी अयोध्या चमकदार धूप और आस्था की गरमाहट से सराबोर हो गई। दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर सर्वोत्तम मुहूर्त में राम लला के चलित और अचल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई और 84 सेकेंड में सतत मंत्रोचार,साधना, आराधना और जय जयकार के बीच प्रभु श्री राम विराजमान हो गए। स्वर्ण आभूषणों और पूरे साज श्रृंगार के बाद जब राम लला ने पहले दर्शन दिए तो लोग भाव विव्हल हो उठे, उनकी आंखों से झर झर आंसुओं की धार बह निकली और बस,सब अपलक निहारते रह गए। 



 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के तमाम लोगों की इच्छा आकांक्षा का नेतृत्व करते हुए श्री राम जन्मभूमि गर्भगृह के भीतर रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की। इस दौरान उनके साथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत समेत मंदिर के पुजारी और आचार्य गण मौजूद थे।  मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इस दौरान मंदिर परिसर में सभी संप्रदायों के 4 हजार से ज्यादा संत, कला और उद्योग सहित तमाम विधाओं के ढाई हजार चुनिंदा अतिथि और हजारों लोग मौजूद थे। इस अवसर प्रधानमंत्री ने उल्लासित जनसमुदाय से कहा- ‘हमारे राम आ गए हैं। मुझे पक्का विश्वास है कि आज जो घटित हुआ है उसकी अनुभूति दुनिया के कोने कोने में हो रही होगी। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। हजार साल बाद भी लोग इस पल की चर्चा करेंगे।’


 प्राण प्रतिष्ठा के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि ‘मैं अभी भी भावुक हूं। आज मेरी स्थिति गुरु वशिष्ठ के जैसी है जब भगवान राम वनवास के बाद लौटे थे।’ तो जाने माने गायक गायक-संगीतकार हरिहरन ने कहा, 'मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे...मैं इस पल को शब्दों में बयां नहीं कर सकता, यहां हर कोई बहुत खुश है।'


भाव, श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण इस आयोजन को लेकर देश भर में महापर्व का सा आयोजन हुआ। घर घर दीपावली और होली मनाई गई । दुनिया भर के अन्य देशों ने भी इस जश्न में भारत के साथ सुर मिलाए। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक और नेपाल से लेकर भूटान तक उत्सव और उल्लास में डूबे रहे। इसके साथ ही सन 1528 से चले आ रहे विवाद का सुखद पटाक्षेप हो गया और धर्म संस्कृति के नए युग का सूत्रपात हुआ।



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