मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

अपने राम,सबके राम

हरि अनंत हरि कथा अनंता।

कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥

रामचंद्र के चरित सुहाए। 


कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥


हरि अनंत हैं। उनका कोई पार नहीं पा सकता और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।


भगवान श्रीराम सर्वव्यापी हैं, वे अनंत हैं,असीमित हैं और अनादि भी। राम सत्यम शिवम् और सुंदरम भी हैं,लोकनायक भी हैं और महानायक भी। राम केवल देवता के रूप में पूज्य नहीं हीं बल्कि मानवीय अवतार में मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर वे परमपूज्य हो जाते हैं। राम का मानवीय स्वरूप न केवल परमसत्ता के प्रति सम्मान का भाव जगाता है बल्कि हर व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरणा भी देता है। जाहिर सी बात है जब राम को अनंत रूपों में देखा जाएगा तो उतने ही तरह से उनकी व्याख्या भी होगी इसलिए विश्व में हमें राम और महाग्रंथ रामायण के अनेक रूप देखने को मिलते हैं। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने लिखा भी है कि जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी अर्थात श्रीराम को जिस व्यक्ति ने जिस भावना से देखा उसे वे वैसे ही दिखाई देने लगे।

आमतौर पर हम भगवान श्रीराम का यशगान महर्षि बाल्मिकी रचित रामायण और संत तुलसीदास रचित रामचरित मानस के जरिए ही करते और सुनते आ रहे हैं। असलियत यह है कि इन दोनों पवित्र ग्रंथों के अलावा दुनिया भर में 300 से ज्यादा रामायण चलन में हैं। इसके अलावा कई भाषाओं में भी रामायण उपलब्ध हैं जैसे तमिल भाषा में कंबन रामायण, ओडिशा में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, मराठी में भावार्थ रामायण,बांग्ला में रामायण पांचाली के साथ साथ अध्यात्म रामायण,अद्भुत रामायण और आनंद रामायण जैसे कुछ ग्रंथ चर्चा में भी रहते हैं। रामानंद सागर ने जब पहली बार भगवान राम को रामारण धारावाहिक के रूप में पहली बार छोटे परदे पर उतारा था तो उन्होंने भी पटकथा लेखन में इन सभी रामायणों का अध्ययन किया था और इनके चुनिंदा किस्सों को कथानक में इस्तेमाल किया था। इस धारावाहिक ने लोकप्रियता के सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए थे और आज भी रामायण केंद्रित तमाम धारावाहिकों के बाद भी रामानंद सागर की रामायण सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

देश और दुनिया में सबसे लोकप्रिय बाल्मीकि रामायण में 24 हजार श्लोक और सात कांड  हैं। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे और राम के बचपन से लेकर उनके पुत्र लव कुश के लालन पालन में भी बाल्मीकि आश्रम की प्रमुख भूमिका थी इसलिए उन्होंने प्रत्यक्ष महसूस करते हुए श्रीराम के मानवीय स्वरूप का संस्कृत भाषा में चित्रण किया है। हालांकि राम की कथाओं को जन जन तक पहुंचाने में संत तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित रामचरित मानस की महत्वपूर्ण भूमिका है। रामचरित मानस में कुल 10 हजार 902 पद हैं जबकि चौपाई की संख्या 9 हजार 388, दोहों की संख्या 1 हजार 172 और सोरठों की संख्या 87,श्लोक की संख्या 47 और 208 छंद हैं। सबसे ज्यादा 359 दोहे बालकांड में और सबसे कम 31 किष्किंधाकांड में हैं जबकि अयोध्याकांड में 314, अरण्यकांड  में 51, सुंदरकांड में 62,युद्धकांड में 148 और उत्तरकांड में 207 दोहे हैं।


दुनिया की बात करें तो कई देशों में अलग अलग रामायण प्रचलित हैं इनमें कंपूचिया की रामकेर्ति या रिआमकेर रामायण,मलेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन, श्रीलंका में जानकी हरण और मलेराज की कथा, म्यांमार में रामवत्सु, लाओस में रामजातक या फ्रलक फ्रलाम, इंडोनेशिया में रामायण काकावीन, चीन में अनामकं जातकम्' और 'दशरथ कथानम्',जापान में होबुत्सुशू, मंगोलिया में राजा जीवक की कथा, तिब्बत में किंरस-पुंस-पा, तुर्किस्तान में खोतानी रामायण,

और नेपाल में भानुभक्त रामायण आदि प्रचलित हैं। इसके अलावा भी अन्य कई देशों में वहां की भाषा में रामायण लिखी गई हैं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि प्रभु श्रीराम की लीलाओं का तमाम देशों और हमारे प्रदेशों में तत्कालीन परिस्थितियों के मुताबिक स्थानीय शैली में अलग अलग से दर्शाया गया है। शायद,इसलिए कहा गया है जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी..।



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