मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

गीता के मानस, मानस के श्रीराम

 सठ सुधरहिं सत्संगति पाई। पारस परस कुघात सुहाई।। 

अर्थ: जिस प्रकार पारस के स्पर्श पाकर लोहा भी सोना बन जाता है, ठीक उसी प्रकार संत की संगति पाकर अपने अंदर की कुबुद्धि भाग जाती, जिससे जीवन अनमोल बन जाता है।


वैसे तो भगवान श्रीराम की लीलाओं का बखान करने वाले ढेरों धार्मिक ग्रंथ मौजूद हैं पर जब भी राम लला की स्तुति होती है रामायण और रामचरित मानस के उल्लेख के बिना आराधना पूरी नहीं हो सकती। संस्कृत निष्ठ और विद्वानों परिवारों में जहां महर्षि बाल्मिकी रचित रामायण को  पूजा जाता है तो आम भारतीय परिवारों में यह गौरव रामचरित मानस को प्राप्त है। देश में देवाधिदेव भगवान राम की महिमाओं की चर्चा हो और रामचरितमानस का उल्लेख न हो यह संभव ही नहीं है। 

सही मायनों में रामचरितमानस ही वह पवित्र और लोकप्रिय ग्रंथ है जिसने भगवान राम की लीलाओं को घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण काम किया है। किसी भी सनातनी परिवार में रामचरितमानस ग्रंथ की पूजा घर में मौजूदगी एक अनिवार्य संस्कार है । शायद, यह दुनिया की इकलौती धार्मिक पुस्तक है जो आराध्य राम की तरह ही पवित्र मानी जाती है और घर घर में पूजी जाती है। यह ग्रंथ हर उम्र के लोगों को जीवन संस्कार, परंपरा, गौरव और उत्तम जीवन की सीख देने वाला है।  रामचरित मानस भगवान राम की तरह हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है । आमतौर पर भारतीय घरों में प्रतिदिन इस ग्रंथ का पाठ होना सामान्य बात है। इसी तरह, साप्ताहिक तौर पर और कई जगह नियमित आधार पर होने वाला सुंदरकांड  का पाठ भी दिनचर्या का अटूट हिस्सा है। रामचरित मानस की बात करें तो इस महान ग्रंथ में भगवान श्रीराम शब्द 1 हजार 443 बार और सीता शब्द 147 बार आता है। इस ग्रंथ में चौपाई की संख्या 4 हजार 608, दोहों की संख्या 1 हजार 74, सोरठों की संख्या 207 तथा श्लोकों की संख्या 86 है। ऐसा माना जाता है कि रामचरितमानस के पाठ से से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

 ऐसा नहीं है कि रामचरितमानस एक दिन में हम सबके घर-घर तक पहुंच गई । इस पवित्र पुस्तक को हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंचने में गोरखपुर की गीता प्रेस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। गीता प्रेस ने इस महान पुस्तक को महज ₹70 से लेकर₹1600 तक की सर्व सुलभ कीमत में उपलब्ध कराकर जन-जन तक पहुंचा दिया है। कीमत के साथ साथ गीता प्रेस ने भाषा की सरलता, भावार्थ, मुद्रण की शुद्धता,स्वच्छ मुद्रण और कागज की गुणवत्ता का विशेष रूप से ध्यान रखकर रामचरित मानस को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है। 

वैसे गीता प्रेस की ओर से केवल रामचरित मानस भर का प्रकाशन नहीं किया जाता बल्कि यह संस्थान सैकड़ों शास्त्र प्रमाणित धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है। करीब 100 साल पहले 1923 में स्थापित गीता प्रेस ने अब तक 95 करोड़ से ज्यादा धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है और जिस गति से रामचरितमानस सहित भगवान राम के जीवन से जुड़ी उनकी लीलाओं को बताने वाली और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उन्हें जन-जन में स्थापित करने वाली अयोध्या दर्शन, रामांक और अयोध्या महात्म्य जैसी पुस्तकों की मांग बढ़ रही है, उसे देखकर लगता है कि गीता प्रेस से प्रकाशित धार्मिक पुस्तकों का आंकड़ा जल्दी ही 100 करोड़ पुस्तकों की विशिष्ट उपलब्धि को हासिल कर लेगा। यह उपलब्धि किसी भी संस्थान के लिए गौरव का विषय है। दरअसल, गीता प्रेस में पुस्तकों का प्रकाशन शुद्धता, सत्यता, पवित्रता का ध्यान रखते हुए और लाभ कमाने की लालसा के बिना किया जाता है । यही कारण है कि गीता प्रेस से छपने वाली पुस्तक शास्त्र प्रमाणित होती हैं और उनके वर्णन पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है। गीता प्रेस से करीब 15 भाषाओं में 1800 पुस्तकों का प्रकाशन होता है।  यह प्रेस अपने सबसे लोकप्रिय ग्रंथ श्री रामचरित मानस की अब तक पौने चार करोड़ से ज्यादा प्रतियां प्रकाशित कर चुका है। अयोध्या में राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही रामचरितमानस की मांग और बढ़ गई है इसलिए अब गीता प्रेस को प्रति माह रामचरितमानस की 75  हजार से लेकर 1 लाख प्रतियों  तक का प्रकाशन करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि अन्य प्रकाशनों और संसाधनों की कमी के कारण गीता प्रेस रामचरित मानस की इससे ज्यादा  प्रतियां चाहकर भी प्रकाशित नहीं कर  सकता। गीता प्रेस के देश भर में ढाई हजार से ज्यादा विक्रेता है। इसके अलावा कई व्यक्तिगत विक्रेता भी है जो अपने स्तर पर इन किताबों को खरीद कर ट्रेन, बस, साप्ताहिक बाजारों और अन्य माध्यमों से उनकी बिक्री करते हैं।

रामचरित मानस के महत्व और गीता प्रेस की उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से वीवीआईपी अतिथियों को 300 चित्रों वाली रामचरितमानस पुस्तक उपहार के रूप में भेंट की गई । इसके अलावा, करीब 10 हजार आमंत्रित अतिथियों को प्रसाद के साथ अयोध्या दर्शन पुस्तक प्रदान की गई है । वहीं कुछ अन्य खास मेहमानों के लिए गीता प्रेस की चार पुस्तकों अयोध्या दर्शन, रामांक, अयोध्या महात्म्य और गीता दैनंदिनी के 51 सेट भेंट किए गए हैं।


देश और दुनिया में रामचरितbमानस की बढ़ती लोकप्रियता और मांग को देखते हुए गीता प्रेस ने कुछ समय के लिए इस पवित्र ग्रंथ को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का निर्णय भी लिया जिससे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान आम लोग सहजता से इस पवित्र ग्रंथ का पाठ कर सकें।

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