मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

मंदिर नहीं आस्था की यशगान…!!

नभ दुंदुभीं बाजहिं बिपुल गंधर्ब किंनर गावहीं।

नाचहिं अपछरा बृंद परमानंद सुर मुनि पावहीं॥

भरतादि अनुज बिभीषनांगद हनुमदादि समेत ते।


गहें छत्र चामर ब्यजन धनु असिचर्म सक्ति बिराजते॥


आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। गन्धर्व और किन्नर गा रहे हैं। अप्सराएं नाच रही हैं। देवता और मुनि परमानंद प्राप्त कर रहे हैं। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न, विभीषण, अंगद, हनुमान्‌ और सुग्रीव आदि सहित छत्र, चँवर, पंखा, धनुष, तलवार, ढाल और शक्ति लिए हुए सुशोभित हैं।


भगवान श्रीराम अपने नए महल में विराजमान हो गए हैं। महल यानि श्रीराम का नया मंदिर धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, बुनियादी ढांचे और वास्तुकला के लिहाज से दुनिया में अनूठा और अपनी तरह का इकलौता मंदिर है। आखिर जनमानस की 500 साल की पीड़ा,वेदना, अवहेलना और आस्था को पहुंची चोट के बाद मिले अधिकार को बहुसंख्यक वर्ग ने पूरे आनंद के साथ दूर किया है। खुशी, न्याय और अधिकार जितनी देर से मिलता है उसका आनंद भी उतना ही बढ़ जाता है और यही इन दिनों में अयोध्या में, उप्र में और पूरे देश के साथ दुनिया भर में नजर आ रहा है। लोग उमंग में हैं,उत्साहित हैं,उल्लासित हैं और मुदित भी।


उत्तर प्रदेश सरकार से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार भगवान राम का मंदिर 57,400 वर्ग फीट क्षेत्र में निर्मित किया जा रहा है। यह मंदिर 360 फीट लंबा 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है। मंदिर में कुल तीन तल बनाए गए हैं और प्रत्येक तल 20 फीट ऊंचा है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर में शिखर को मिलाकर कुल पांच मंडप नजर आएंगे ।


अयोध्या में मुख्य मंदिर का एरिया करीब पौने तीन एकड़ यानि 2.77 एकड़ के फैला है । मंदिर को भव्य और आकर्षक साज सज्जा वाले स्तंभों से सजाया गया है जो मंदिर की सुंदरता बढ़ाने के साथ साथ इसकी मजबूती में भी सहभागी है। मंदिर में पहली मंजिल पर 131 और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ बनाए गए हैं, जबकि सबसे नीचे की मंजिल पर 160 खंबे होंगे। संक्षेप में समझे तो मंदिर निर्माण के लिए नींव का काम 2021 में पूरा हुआ था जबकि 2022 में पत्थर लगाने का काम पूरा हुआ और  मंदिर निर्माण समिति ने 2023 में ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा कर लिया गया। अब रामलला 22 जनवरी को अपने नए मंदिर में विराजमान हो गए हैं।


 बताया जाता है कि मंदिर में गर्भ गृह की लंबाई और चौड़ाई 20-20 फीट है । यहां एक साथ 1000 श्रद्धालु खड़े हो सकेंगे। मंदिर में अंदर जाने के लिए दो स्वर्ण जड़ित द्वार हैं । मंदिर के आसपास के 3 किलोमीटर के इलाके को सुरक्षा की दृष्टि से रेड जोन नाम दिया गया है। नवनिर्मित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है जबकि महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मंदिर तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा।


जैसा कि हम सब जानते हैं कि अयोध्या का विवाद करीब 500 साल पहले शुरू हुआ था और 40 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 9 नवम्बर 2019 को 1045 पृष्ठों में मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। वही, मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से दी गई है। कहा जाता है न कि देर आए दुरुस्त आए…अयोध्या को देर से ही सही उसका हक मिल गया है और अब दुनिया आने वाले हजार सालों और उसके बाद तक पुण्यभूमि अयोध्या का सांस्कृतिक वैभव,आध्यात्मिक उत्थान और इतिहास से वर्तमान तक की समृद्धि का विस्तार और विकास देखेगी।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...