सोमवार, 8 अगस्त 2011

यहाँ पुरुष ,महिला है और बूढ़ा, सजीला जवान

इंटरनेट के आभाषी(वर्चुअल) गुण के कारण तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट हमें एक आभाषी दुनिया का हिस्सा तो बना रही है परन्तु वास्तविक दुनिया से दूर भी कर रही हैं. यहाँ सब-कुछ नकली है,लोगों के नाम,उम्र,पता,फोटो और खासतौर पर लिंग सब झूठे होते हैं.यहाँ पुरुष सामान्तया महिला बनकर और महिलाएं पुरुष बनकर मिलती हैं.पचास साल का व्यक्ति या तो स्वयं को नौजवान दिखायेगा या फिर आयु छिपाने के लिए अपने जन्म का साल ही नहीं लिखेगा.इस सबसे बढ़कर बात यह है कि यहाँ मौजूद लोग अपनी जवानी के दिनों की फोटो लगाए नज़र आते हैं और यदि बदकिस्मती से जवानी में भी खुदा ने नूर नहीं बख्शा था तो फिर किसी फिल्मी सितारे का मुखौटा लगाना तो सबसे आसान है.यदि आपके पास एक अदद सुन्दर-जवान चेहरा और महिला का अच्छा सा नाम है तो फिर आपके पास सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्तों की लाइन लग जायेगी.महिला द्वारा लिखे गए “उफ़ आज सोमवार है”जैसे फालतू ‘स्टेटस’ पर भी टिपण्णी करने वालों की लाइन लग जायेगी और “लाइक’ करने वाले तो सैकड़ों में होंगे लेकिन यदि आप जवानी तथा खूबसूरत महिला होने जैसी खूबियों से लबरेज नहीं हैं तो विद्वान होने के बाद भी शायद आपकी तथ्यपरक बातों को प्रशंसा हासिल करने के यहाँ तरशना पड सकता है क्योंकि यहाँ नकली,बनावटीपन और झूठ भरपूर बिकता है.आखिर बिके भी क्यों नहीं जब यह दुनिया ही नकली है.
                  इस दुनिया के नकलीपन की असलियत यह है कि यहाँ “मेरे पिताजी का निधन हो गया है” जैसी असली खबर को लोग ‘लाइक’ कर लेते हैं और दिखावा इतना कि लंच में दफ़्तर में बैठा एक व्यक्ति इंटरनेट पर अपने ही दफ़्तर के दूसरे या फिर एक साथ कई सहकर्मियों के साथ बिना बोलेइं वेबसाइटों के जरिये बतियाना ज्यादा पसंद करता है,पति अपनी ही पत्नी(वैसे दूसरों की पत्नियों से ज्यादा) से और माँ अपने बच्चों से नेट पर गपिया रही है,दोस्तों का तो पूछिए ही मत वे तो आमने सामने बैठकर भी लैपटाप या मोबाइल पर नेट के जरिये चेटिंग करते दिखाई देंगे और प्रेमी जोड़ों के लिए तो यह भगवान का वरदान है.दरअसल में यह इंटरनेट की दुनिया है तो असली रिश्तों को बनावटीपन का नया आयाम दे रही है.
                               इस बनावटी दुनिया के नशे का यह आलम है कि सुबह से शाम तक कम्प्यूटर पर आँखे गडाये, बिजली गुल हो जाने पर मोबाइल फोन के नेट पर टूट पड़ने वाले, अपने आप में हँसते-परेशान होते और फिर सभी को अपने प्रशंसकों की संख्या एवं टिप्पणियों से अवगत करते लोगों को आप अपने घर,पड़ोस या फिर आस-पास कभी भी कही भी देख सकते हैं.ऐसे लोग बिलकुल अलग नज़र आते हैं जो आमतौर पर खुद में खोये लगेंगे और घर,दफ्तर,बस,मेट्रो जैसी तमाम निजी और सार्वजनिक जगहों पर भरपूर मात्रा में मिलेंगे.
                               दरअसल,इन्टरनेट इन दिनों सामाजिक और पारिवारिक सम्बन्ध निभाने,अपना सुख-दुःख बाँटने और एक –दूसरे की विद्वता के कसीदे काढ़ने का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है. सबसे उम्दा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट कहलाने वाली फेसबुक और ट्विटर,हाई फाइव,आरकुट,लिंक्डइन,माय स्पेस,माय इयरबुक,मीटअप,निंग,टेग्ड,माय लाइफ ,फ्रेंडस्टर जैसे विविध नाम वाली उसकी संगी-साथी वेबसाइटों ने एक ऐसी दुनिया बना दी है जिसमें समाहित होने को लोग बेताब हैं.लेकिन ये दुनिया कितनी झूठी,खोखली और बनावटी है इसका आभाष इस दुनिया का हिस्सा बनकर ही पता चलता है. वास्तविकता यह है कि सामाजिक रिश्ते-नाते बढ़ाने का दावा करने वाली ये तमाम वेबसाइट लोगों को समाज से ही दूर कर रही हैं और हम सब नकली आवरण ओढे तथा आकर्षक मुखौटे लगाकर इस दुनिया में अपनी असलियत खोने को बेताब हैं.

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

बिग बी का बच्चा.....!


'पूत के पाँव पालने में' और 'वो तो मुँह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ है' जैसे कुछ  बड़े ही प्रचलित मुहावरें हैं जो बच्चों के भविष्य की ओर इशारा करते हैं.बिग बी यानि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के घर भी नया मेहमान आने वाला है.वैसे किसी महिला का गर्भवती होना या किसी घर में नया मेहमान आना निश्चित ही पूरे परिवार के लिए खुशी और उल्लास का अनूठा अवसर होता है....आखिर इससे एक नई पीढ़ी का सृजन होता है और सृष्टि की अबूझ पहेलियों को साकार होते देखने का अवसर मिलता है लेकिन जब बात बिग बी के परिवार के बच्चे की हो तो इन चीज़ों को देखने के मायने ही बदल जाते हैं.जब से बिग बी ने एश्वर्या राय बच्चन के गर्भवती होने की खबर दी है तब से मीडिया से लेकर विज्ञापन जगत में यह खबर सरगर्मी से छाई हुई है.बाज़ार की भाषा में कहा जाए तो हर कोई इसको भुनाने में जुटा है.इस मामले में न तो खुद बिग बी पीछे हैं,न इस होने वाले बच्चे के पिता अभिषेक बच्चन और न ही खबरची.अब तो सट्टा कारोबारियों की नज़र-ए-इनायत भी इस बच्चे पर हो गई है.कहा जा रहा है इस नन्ही सी अजन्मी जान के लिंग (लड़का होगा या लड़की) पर ही अब तक करोड़ों रुपये का सट्टा लग चुका है.अगर यही हाल रहा तो उसके जन्म लेने तक उसके रंग,चेहरा-मोहरा किसके जैसा होगा,आँखे एश्वर्या जैसी होंगी या नहीं,आवाज़ और कद बिग बी पर जायेंगे या नहीं, वह अपने दादा और माँ की तरह सफल होगा या फिर अपने पिता की तरह फ्लॉप जैसी तमाम बातों पर सट्टा और मीडिया बाज़ार सक्रिय हो जायेगा.हो सकता है किसी न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम में बैठे कोई ज्योतिषी महोदय एश्वर्या के लक्षणों और बिग बी की गृह दशा के आधार पर इस बच्चे के भूत-वर्तमान और भविष्य का पिटारा खोल दें.
        वैसे जो भी हो,बिग बी का यह बच्चा अभी से कमाई करने लगा है.इन दिनों छोटे परदे पर एक मोबाइल कंपनी की थ्री-जी सेवा का विज्ञापन करते हुए खुद अभिषेक बच्चन अपने बच्चे का ज़िक्र करते नज़र आते हैं.इसके पहले भी एक साबुन के विज्ञापन में अभिषेक -ऐश्वर्या इशारों ही इशारों में बच्चा होने की 'गुड न्यूज़' बताते दिखे थे.सट्टा बाज़ार तो दांव लगा ही रहा है,बिग बी के ट्विट पढ़ने वाले भी बढ़ गए हैं क्योंकि अब सभी ये जानना चाहते हैं कि 'बिग डी अर्थात भविष्य के दादा' अपने पोते को लेकर क्या नई-नई जानकारियां देते हैं.हो सकता है कि वे कभी लिखे कि 'आज बच्चे ने अपनी माँ के पेट में लात मारी या उन्होंने उसे हनुमान चालीसा पढ़कर सुनाई या 'ऐश' इन दिनों मेरी सुपरहिट फ़िल्में देख रही हैं ताकि यह बच्चा अपने पा(अभिषेक) की लगातार फ्लॉप फिल्मों से शुरुआत न करे....इत्यादि इत्यादि.भविष्य में जो भी हो फिलहाल तो इस "जूनियरमोस्ट बिग बी" ने विवादों को गले लगाना शुरू कर दिया है तभी तो मधुर भंडारकर जैसा दिग्गज और समझदार  निर्देशक भी अपनी फिल्म "हीरोइन" के नहीं बन पाने वजह इसी बच्चे को मान रहा है और सरेआम किसी भी अभिनेत्री से मातृत्व का अधिकार छीनने के लिए मायानगरी में पैसा लगाने वालों को लामबंद कर रहा है.शायद इसी को कहते हैं पूत के पाँव पालने में.....!         

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

कमज़ोर ‘पेट’ वाले इसे जरुर पढ़ लें...वरना पछताएंगे

मामू आमिर खान और भांजे इमरान खान द्वारा रचा “डेली वेली” नामक तमाशा देखा.यह गालियों,फूहड़ता,अश्लीलता और छिछोरेपन के मिश्रण से रची एक चुस्त, तेज-तर्रार और सटीक रूप से सम्पादित रियल लाइफ से जुडी कामेडी फिल्म है. जिन लोगों ने छोटे परदे पर फूहडता के प्रतीक ‘एम टीवी’ पर शुरूआती दौर में साइरस ब्रोचा द्वारा बनाये गए विज्ञापन और कार्यक्रम देखे हैं तो उन्हें यह फिल्म उसी का विस्तार लगेगी और शुचितावादियों को हमारी संस्कृति के मुंह पर करारा तमाचा. यदि उदाहरण के ज़रिये बात की जाए तो हाजमा दुरुस्त रखने के लिए हाजमोला की एक-दो गोली खाना तो ठीक है लेकिन यदि पूरा डिब्बा ही दिन भर में उड़ा दिया जाए तो फिर हाजमे और पेट का भगवान ही मालिक है.मामा-भांजे की जोड़ी ने इस फिल्म के जरिये यही किया है.अब यदि आप का पेट पूरा डिब्बा हाजमोला बर्दाश्त कर सकता है तो जरुर देखिये काफी मनोरंजक लगेगी और यदि कमज़ोर पेट के मालिक हैं तो डेली वेली को देखने की बजाये समीक्षाओं से ही काम चला ले. हाँ, जैसे भी-जहाँ भी देखे कम से कम परिवार(माँ,बहन,बेटी-बेटा,पिता,भाई और पत्नी भी) को साथ न ले जाएँ वरना साथ बैठकर न तो वे फिल्म का आनंद उठा पाएंगे और न ही आप....यह फिल्म अकेले-अकेले देखने(दोस्त शामिल) और अलग-अलग पूरा मज़ा लेने की है....तो आपका क्या इरादा है?
यदि आप भूले नहीं हो तो मामा-भांजे की यही जोड़ी कुछ दिन पहले शराबखोरी के समर्थन में जहाँ-तहां बयानबाज़ी करती फिर रही थी.मसला यह था कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में शराब पीने की सरकारी उम्र अठारह साल से बढ़ाकर इक्कीस बरस कर दी थी.अब इनकी आपत्ति यह थी कि युवाओं से शराब पीने का अधिकार क्यों छीना जा रहा है.खान द्वय का तर्क यह है कि जब युवा अठारह साल की उम्र में मतदान कर सकते हैं तो शराब क्यों नहीं पी सकते? यह तर्क तो लाज़वाब है पर क्या शराब पीना मतदान करने जैसा काम है?शराब इतनी जरुरी चीज है कि उससे देश के युवा महज तीन साल की जुदाई भी सहन नहीं कर सकते?क्या शराबखोरी इतना फायदेमंद है कि देश के सबसे संवेदनशील कलाकारों में गिने जाने वाले आमिर खान तक उसके पक्ष में कूद पड़े? कहीं यह ‘डेली वेली’ फिल्म के प्रचार के लिए तो नहीं था?आमतौर पर फिल्मों के प्रचार के लिए ये हथकंडे अपनाए जाते हैं.कहीं ऐसा तो नहीं कि आज केवल शराब की बात हो रही है पर कल शादी की उम्र पर भी इसीतरह की आपत्ति होने लगे कि युवा जब अठारह साल में वोट डाल सकते हैं तो शादी क्यों नहीं कर सकते? वैसे आमिर ने अपनी फिल्म के द्वारा यही सब दिखाने/सिखाने का प्रयास किया है. अब फैसला युवाओं को ही करना है कि उनको ‘डेली वेली’ के रास्ते पर चलना है या इस रास्ते के खिलाफ कदम उठाना है....!

अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...