जैसे जैसे मतदान की तारीख़ क़रीब आ रही है चुनाव प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियों के माथे की सिकन बढ़ रही है। प्रदेश में चुनाव आयोग के मुखिया और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन भी खुलकर अपनी चिंता जाहिर कर रहें हैं। इस चिंता का कारण है-मीडिया की दो प्रमुख धाराओं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया का तेज़ी से होता विस्तार। भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में पिछले दिनों हुई मीडिया कार्यशाला में जब 'मीडिया की ओर से मीडिया की भूमिका' को लेकर सवालों की बौछार हुई और मास्टर ट्रेनर सहित अन्य अधिकारी उसका पूरी तरह से सामना नहीं कर पाए तो उस मुश्किल वक्त में अनुपम राजन ने मोर्चा संभाला और बड़ी साफगोई से स्वीकार किया कि चुनाव आयोग भी मीडिया की भूमिका को लेकर मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब तलाश रहा है और अब तक कोई समीचीन समाधान नहीं मिल पाया है।
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
सोमवार, 1 जनवरी 2024
नए दौर के 'रक्तबीज' से कैसे निपटेगा चुनाव आयोग…!!
सुनो वोटर…कि अब गए दिन चुनाव (बहार) के..!!
भेज रहे हैं स्नेह निमंत्रण
भेज रहे हैं स्नेह निमंत्रण
मतदाता तुम्हें बुलाने को
"हम भारत के लोग…!!"
हमारे संविधान की प्रस्तावना की शुरुआत ही इन शब्दों से होती है, ‘हम भारत के लोग’..। हम भारत के लोग वाकई अद्भुत हैं और अलग भी। हमें समझना आसान नहीं है पर हमसे जुड़ना बहुत सरल है क्योंकि हम सहज हैं। शायद तभी ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ फिल्म में गीतकार ने लिखा है:
मैं, मुख्यमंत्री निवास हूं…प्रदेश के मुखिया का आधिकारिक निवास…!!
शनिवार, 7 अक्तूबर 2023
भोपाल में क्यों मंडरा रहे हैं खौफनाक गर्जना के साथ लड़ाकू विमान...!!
आमतौर पर अपनी शांत तासीर के लिए मशहूर भोपाल का आसमान इन दिनों लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा है, बिल्कुल युद्ध सा माहौल है…सुखोई,जगुआर,मिराज जैसे दुश्मन के कलेजे में खौफ पैदा कर देने वाले 50 से ज्यादा लड़ाकू एवं परिवहन विमान और हेलीकाप्टर भोपाल के ऊपर मंडरा रहे है। उनकी गर्जना से पूरे शहर और खासतौर पर मुख्यमंत्री निवास,भारत भवन, श्यामला हिल्स और न्यू मार्केट सहित तमाम इलाक़े इन विमानों की गर्जना से थरथरा रहे हैं। आलम यह है कि नए जमाने की तकनीक संपन्न कारें इन विमानों की गर्जना से पिपयाने लगती हैं और जैसे ही वे किसी तरह शांत होती हैं फिर कोई विमान गड़गड़ाहट के जरिए अपनी आन-बान और शान का मुजाहरा पेश करते हुए गुजर जाता है और फिर बेचारी कारें डर के कारण घिघयाने लगती हैं।
हालांकि,बच्चों और महिलाओं को यह गर्जना अचंभित कर रही है तो युवाओं के लिए यह किसी जयघोष के समान है,देश की शक्ति संपन्नता का जयकार और सुरक्षित भविष्य का विजयनाद है। वहीं,बुजुर्ग हो चली पीढ़ी के लिए आसमान में मंडरा रहे ये विमान पुराने युद्धों पर यादों की जुगाली का मसाला प्रदान कर रहे हैं।
विमानों की यह चहलकदमी बीते कुछ दिनों से जारी है और 30 सितंबर तक इसी तरह अपने अट्टाहस से आसमां को गुंजायमान रखेगी। भोपाल के बतोलेबाज कभी इसे प्रधानमंत्री की भोपाल यात्रा की ड्रिल करार देते हैं तो कभी इसे चुनावों से तो कभी पाकिस्तान से युद्ध की तैयारी बना देते हैं। असलियत यह है कि, भारतीय वायुसेना इस साल वायुसेना दिवस के अवसर पर इसे जनभागीदारी का और जनता का उत्सव बनाने में जुटी है इसलिए दिल्ली में सालाना तौर पर होने वाला फ्लाईपास्ट देश के अलग अलग शहरों में हो रहा है।
भोपाल को जरूर पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रहे फ्लाईपास्ट यानि लड़ाकू विमानों के कारनामों की मेजबानी का अवसर मिला है इसलिए लोग अचंभित है और उल्लासित भी। वायुसेना द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक फ्लाईपास्ट में विभिन्न किस्म के 50 के करीब विमान शामिल होंगे और वे 30 सितंबर को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कई सैन्य-असैन्य दिग्गजों की मौजूदगी में सुबह 10 बजे से क़रीब घंटे भर तक भोपाल के आकाश में हैरतअंगेज अठखेलियां करेंगे। इनमें लड़ाकू विमानों के साथ सूर्यकिरण और सारंग नामक हेलीकाप्टर टीमों के कारनामे तो दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर देते हैं। 30 तारीख को फाइनल प्रदर्शन से पहले 28 सितंबर को फुल ड्रेस रिहर्सल यानि सौ टका टंच अभ्यास होगा और उसके पहले कुछ दिन तक सामान्य अभ्यास जिससे तमाम कौशल के बाद भी चूक की कोई गुंजाइश न रहे…इसलिए भोपाली दिल धड़का देने वाली गर्जना के लिए कुछ और दिन अपने कान और कलेजा मजबूत किए रहें और फिर पूरे जोश,उल्लास और देश प्रेम के साथ सपरिवार आनंद लें अनूठे एयर शो का..जो शायद वर्षों तक उनके दिलो दिमाग पर छाया रहेगा।
#AirForceDay. #airforce #bhopal
#चारदेशचालीसकहानियां
#chardeshchaliskahaniyan
चार देश चालीस कहानियां
पुस्तक: चार देश चालीस कहानियां
लेखक:संजीव शर्मा
विधा: यात्रा वृतांत/रिपोर्ताज
पृष्ठ: 164
मूल्य: 200 रुपए
प्रकाशक: लोक प्रकाशन, भोपाल
समीक्षक: प्रवीण दुबे,वरिष्ठ पत्रकार
इन दिनों अपने नए काम की व्यस्तता में इतना उलझा हूँ कि कुछ पढने लिखने का वक्त ही नहीं मिल पा रहा है..इस बीच संजीव शर्मा जी की नई किताब "चार देश चालीस कहानियां" की प्रति प्राप्त हुई... अमूमन मैं कोई भी किताब निरंतरता में ही पढ़ता हूँ यानी जब तक ख़त्म नहीं होती,तब तक छोड़ता नहीं... इसके साथ वैसी संभावना मेरी नई ज़िम्मेदारियों के चलते नहीं थी लेकिन जैसे ही मैंने पढ़ना शुरू किया तो इतनी रोचक और इतने प्रवाह के साथ इसमें तथ्यों को पिरोया गया है कि वही पाठक वाली निरंतरता इसमें भी बनी रही... पूरा पढने के बाद खुद तय नहीं कर पाया कि इसे किस श्रेणी में रखा जाए...ये यात्रा संस्मरण है....रिपोर्ताज है..सांस्कृतिक संकलन है...या फिर किसी यायावरी का दस्तावेज...चूंकि संजीव जी खुद बेहतरीन पत्रकार हैं..भाषा पर नियंत्रण उनका बहुत अच्छा है...दूसरे, वे उस इलाके से आते हैं जहाँ भगोने का पका हुआ एक चावल देखना हो तो ओशो और यदि दूसरा चावल देखना हो तो दादा आशुतोष राणा... कहने का आशय ये है कि उस इलाक़े में मां सरस्वती की कृपा कैसे बरसती है, ये दो नाम ही उसे झलकाने के पर्याप्त है.... संजीव शर्मा जी ने भी अपने उस इलाकाई गौरव को जीवंत रखा है... जब वे जापान में रहने वालों की देहयष्टि का जिक्र करते हैं तो, जो उनके अपने क्षेपक होते हैं,वे बेहद लाजवाब होते हैं... नार्थ ईस्ट के बारे में इतने रोचक तरीक़े से तथ्यों का प्रतुतिकरण मैंने नहीं पढ़ा कहीं और....मैं उस इलाके में जाने का इच्छुक बहुत हूँ लेकिन अब तक कोई ऐसा संयोग उपस्थित नहीं हो पाया...इनकी किताब के ज़रिए मैंने वहां की यात्रा सी कर ली..वो भी घर बैठे बैठे... बेहतरीन संग्रह है यदि आप अलग अलग जगह के लोगों की तासीर समझने के इच्छुक रहते हैं तो इसे पढ़ना
चाहिए।
अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...
-
क्या नियति के क्रूर पंजों में इतनी ताकत है कि वो हमसे हमारा वेद छीन सके? या फिर काल इतना हठी हो सकता है कि उसे पूरी दुनिया में बस हमार...
-
महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कुछ संगठनों ने इन दिनों एक नया आंदोलन शुरू किया है. इस आंदोलन को “आक्यूपाई मेन्स टायलट”(पुरुषों की जनसु...
-
कुछ मीठा हो जाए🍬🍫.. के बाद अब कुछ धमाकेदार🗯️ मीठा हो जाए..की बारी है। दीपावली🪔 के अवसर पर बच्चों को लुभाने के लिए चॉकलेट 🍫ने अपना रूप...