चलो राम के धाम अयोध्या, राम बुलाते है..!!
सरहद पर लगी ककंटीले तारों की घनी बाड़, जगह जगह तलाशी लेते चाक चौबंद सुरक्षाकर्मी और कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद नसीब होने वाले राम लला के दर्शन का दौर जिन लोगों ने देखा है, उन्हें अब शायद अयोध्या पहचान में न आए। आपको याद होगा तब इतनी परेशानी उठाने के बाद रामलला के दर्शन के लिए एक छोटी सी खिड़की से झांकना पड़ता था। तब रामलला एक मामूली से चबूतरे पर टेंट के नीचे विराजमान थे और इतने कष्ट के बाद भगवान के ये दर्शन मन को द्रवित कर देते थे। अब स्थिति बदल गई है। अयोध्या में राजा राम विराजमान और वे पूरे सम्मान के साथ अपनी वैभवशाली राजधानी में श्रद्धालुओं को दर्शन रहे हैं। अयोध्या में प्रवेश करते ही आपको इस बदलाव का एहसास होने लगता है। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर बना गिलहरी का स्मारक आपका स्वागत करता है। वहीं, स्टेशन पर बना हवाई अड्डे जैसा विशाल कॉनकोर्स, कई तरह के खाने-पीने के लजीज अड्डे, रुकने की तमाम व्यवस्थाएं और मंदिर की शक्ल में तैयार हुआ अयोध्या धाम स्टेशन आपका पलक पांवड़े बिछाकर आपका स्वागत करता है। कुछ यही स्थिति यहां के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की है। स्टेशन से रामपथ होते हुए जैसे ही हम भगवान श्रीराम के नवीनतम मंदिर की ओर बढ़ते हैं तो सड़क के दोनों और एक ही आकार प्रकार की नेम प्लेट, मकान के एक समान रंग और हर मकान के सामने मंदिर की तरह बनी डिजाइन बरबस ही अपनी ओर आपका ध्यान खींचते है । दरअसल, दुनिया भर से आने वाले भक्तों के मन में श्रद्धा का भाव जगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपथ को खास तौर पर तैयार किया है। यहां आते ही आपको राम मंदिर की दिव्यता और भव्यता का एहसास होने लगता है। रामपथ ही क्यों मंदिर को जोड़ने वाले तमाम पथ, इसी अंदाज में सजाए और संवारे जा रहे हैं । मसलन,एयरपोर्ट से धर्मपथ के जरिए रामपथ तक पहुंचते हुए भी आपको इसी तरह का एहसास होता है। धर्मपथ पर लगे सूर्य स्तंभ सूर्यवंशी शासकों की इस नगरी की पहचान से आपको रूबरू कराते हैं। वही धर्मपथ और रामपथ के बीचो-बीच तैयार लता मंगेशकर चौक अपने सौंदर्य से आपका ध्यान आकर्षित करता है। यहां स्थापित आकर्षक वीणा सभी का मन मोह लेती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां फोटो लेने से अपने आप को नहीं रोक पाए थे । इसी चौराहे से जब आप पवित्र सरयू नदी की ओर बढ़ते हैं तो सरयू के शानदार नवनिर्मित घाट पर आप स्नान करने और दीपदान करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। मां सरयू की आरती के बाद कल कल बहता सरयू नदी का पवित्र, स्वच्छ और पारदर्शी जल का आचमन लेकर आप प्रभु श्री राम के दर्शन के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
प्रभु श्री राम के मंदिर के पास पहुंचते ही आपको अपने आप ही आत्मिक शांति का अनुभव होने लगता है। यहां जगह-जगह खड़े कार्यकर्ता राम राम कहकर आपका स्वागत करते हैं और पूरा परिवेश एक खास तरह की सुगंध से आपके मन को सराबोर कर देता है। पूरे मंदिर परिसर में सुबह की आरती से लेकर शाम को शयन आरती तक महकाने वाली ये खुशबू खास प्रकार की अगरबत्तियों की है। जिन्हें यहां प्रतिदिन लगाया जाता है। करीब साढे 5 फीट ऊंची यह अगरबत्तियां दिनभर मंदिर को अपनी दिव्य सुगंध से महकाती रहती है। सुव्यवस्थित लाइन से होते हुए आप पहले अपने जूते उतारते हैं और फिर मोबाइल या इसी तरह की अन्य सामग्री जमा करते हैं और उसके बाद आप रामलला के दर्शन करने के लिए मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। यदि आप अयोध्या जा रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि मंदिर में किसी भी तरह की सामग्री ले जाना माना है। यहां तक की प्रसाद, फूलमाला,मोबाइल, डिजिटल घड़ी, पुस्तक या और भी कोई सामग्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। आप यदि मंदिर में कुछ दान करना चाहते हैं तो मुख्य द्वार पर बने संस्थान के कार्यालय में जाकर जमा कर सकते हैं और वह सामग्री रामलला के चरणों तक पहुंच जाती है । इसके लिए बाकायदा आपको रसीद भी दी जाती है इसलिए भगवान के दर्शन करने के लिए खाली हाथ ही जाए। मंदिर में सबसे अच्छा इंतजाम बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए है। यहां मंदिर प्रबंधन की ओर से व्हीलचेयर उपलब्ध कराई गई है जो पूरी तरह से निशुल्क है। हां, यदि आप किसी सहयोगी को साथ ले जाना चाहते हैं तो व्हीलचेयर चलाने के एवज में उसे ₹150 का भुगतान करना पड़ता है। यह एक तरह से बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का तरीका है। फिलहाल मंदिर प्रबंधन ने 100 व्हीलचेयर और इतने ही वॉलिंटियर तैनात किए हैं जो बुजुर्गों को आराम और सुविधा के साथ रामलला के दर्शन करा कर मंदिर प्रबंधन के कार्यालय तक वापस छोड़ देते हैं। इसी तरह पूरी अयोध्या नगरी में जगह-जगह तैनात युवक व्हीलचेयर के साथ युवक बुजुर्गों और असहाय लोगों को इस पवित्र नगरी के आसानी से दर्शन करने में सहायक बनते हैं वे मामूली सा शुल्क लेकर हनुमानगढ़ से लेकर जानकी महल तक और दशरथ महल से लेकर आपके ठहरने के स्थान तक पहुंचने का दायित्व निभाते हैं ।
जैसे ही आप नागर शैली में बना रहे रामलला के भव्य मंदिर में प्रवेश करते हैं आप अचंभित हो जाते हैं । यहां एक-एक स्तंभ पर की गई बारीक कारीगरी, आकर्षक गुंबद और पूरे मंदिर परिसर में उकेरी गई कलाकृतियां एक अलग ही एहसास कराती है। रामलला की बाल रूप वाली प्रतिमा ऐसी मनमोहक है जैसे आपसे संवाद कर रही है और अपनी मन मोहिनी मुस्कुराहट से आपके जीवन के कष्ट हर रही है। मंदिर में दर्शन के बाद हर श्रद्धालु को निशुल्क प्रसाद भी दिया जाता है । रामलला के दर्शन के बाद आप अयोध्या में हनुमान गढ़ी और जानकी महल सहित अन्य धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर स्थान जन्मभूमि मंदिर के आसपास ही है इसलिए इन स्थानों तक जाने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
अयोध्या में रुकने के लिए भी अब पहले से बहुत बेहतर व्यवस्थाएं हैं। नए-नए होटल और धर्मशालाएं पहले ही श्रद्धालुओं की मदद के लिए तत्पर है, वही घर-घर में बना रहे होम स्टे भी अब आगंतुकों का खास ख्याल रख रहे हैं। आप अपने बजट में यहां सुविधाजनक रुकने का ठिकाना तलाश सकते हैं । मंदिर के बिल्कुल सामने बनी बिडला धर्मशाला भी किसी मायने में कम नहीं है। अयोध्या में रुकने के साथ-साथ खाने पीने के सस्ते और अच्छे ठिकानों की भी कमी नहीं है । खास तौर पर रामपथ के दोनों और बड़ी संख्या में छोटे-बड़े रेस्टोरेंट है जो अपने देसी स्वाद के साथ श्रद्धालुओं की पेट पूजा करते हैं।
कुल मिलाकर अयोध्या अब वाकई में भगवान राम का धाम बन गई है। आने वाले कुछ समय में जब मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा और यह अपने पूरे भव्य और दिव्य आकार में दिखने लगेगा तब यहां की छटा और आभा अलग ही होगी । जन्मभूमि मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं को भी स्थापित किया जा रहा है । इसके अलावा उपवन और छोटे तालाब भी बनाए जा रहे हैं। तो देर किस बात की है उठाइए अपना बैग और निकल पड़िए भगवान राम के दर्शन के लिए। एक लोकप्रिय भजन में कहा भी गया है:
चलो राम के धाम अयोध्या
राम बुलाते है,
सज गई नगरी राघव की
हम खबर सुनाते हैं।
अरे चलो राम के धाम अयोध्या
राम बुलाते है।।
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