आर यू वेजीटेरियन? सिंपल या हिन्दू वेजीटेरियन

कैथी पेसिफिक एयरलाइन्स के विमान में खाना परोसते हुए एयर होस्टेस ने पूछा- यू आर वेजीटेरियन? मेरे हाँ कहते ही उसने तत्काल दूसरा सवाल दागा- विच टाइप आफ वेजीटेरियन....मीन्स सिंपल वेजीटेरियन या हिन्दू वेजीटेरियन? अपनी लगभग ढाई दशक की नौकरी में यह सवाल चौंकाने वाला था क्योंकि अब तक तो शाकाहारी का एक ही प्रकार अपने को ज्ञात था। अब शाकाहार भी हिन्दू-मुस्लिम टाइप होता है!! इसकी जानकारी जापान यात्रा के दौरान ही मिली। खैर मैंने बताया कि हिन्दू वेजीटेरियन तो उसने कहा कि आपको 20 मिनट इंतज़ार करना होगा क्योंकि मुझे आपके लिए खाना पकाना पड़ेगा ! अब सोचिए विदेशी विमान में कोई विदेशी व्योमबाला (एयर होस्टेस) कहे कि मैं आपके लिए खाना बनाकर लाती हूँ तो दिल में लड्डू फूटना स्वाभाविक है। लगभग 20-25 मिनट के इंतज़ार के बाद वह बटर में बघारी हुई खिचड़ी,चने की दाल और रोटी के नाम पर ब्रेड के टुकड़े लेकर हाज़िर हुई। उसने भरसक प्रयास किया था कि खाना स्वादिष्ट रहे और अपन ने भी दबाकर खा लिया ताकि उसे भी महसूस हो कि खाना स्वादिष्ट ही था।..खैर इस एक किस्से से यह तो साफ़ हो गया था कि जापान में शाकाहार के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और दूसरा यह कि यात्रा पर रवानगी से पहले इष्ट मित्रों की बात सही लग रही थी जो उन्होंने अपने और अपनों के अनुभव के आधार पर बताई थी कि जापान में तुम्हें उपवास करना पड़ सकता है। दरअसल,मुझे आकाशवाणी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जी 20 देशों के सम्मेलन की कवरेज के लिए जापान भेजा गया था। मैं, एडवांस पार्टी का हिस्सा था मतलब ये की प्रधानमंत्री के वहां पहुंचने से पहले वहां के उत्साह,तैयारियों,भारतीय लोगों से मुलाकात और दोनों देशों के बीच संभावित समझौतों वगैरह पर समाचार भेजना था इसलिए अन्य पत्रकारों की तुलना में यहां ज्यादा रुकना और घूमना था। यही वजह है कि भोजन अपनी प्रमुख चिंता था।

अब जब मैदान में कूद पड़े तो फिर जंग से क्या डरना इसलिए जो जैसा मिलेगा-काम चला लेंगे, के अंदाज़ में मन बना लिया...अब निश्चित ही आप सभी के मन में यह सवाल उछल रहे होंगे कि फिर वहां क्या खाया तो सबसे पहले तो सुन और जान लीजिए कि हमने वहां शाही पनीर, दाल मखनी, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, खिचड़ी, सोन-पापड़ी, आलूबंडा, पोहा,उत्पम और इडली सहित वो सब कुछ खाया जो यहाँ भारत में खाने को मिलता है और उतना ही स्वादिष्ट क्योंकि...‘मोदी है तो मुमकिन है।’

जी हाँ, इसमें जरा भी गलत नहीं है क्योंकि जापान में प्रधानमंत्री श्री मोदी के कारण ही यह मुमकिन हुआ। दरअसल हमारे प्रधानमंत्री ठहरे हम से ज्यादा शाकाहारी इसलिए जापान की जिस होटल में हम लोग ठहते थे, उसने भारत से खासतौर पर रसोइए बुलाए थे और जब रसोइए भारतीय थे तो स्वाद भी भारतीय था और अंदाज़ भी, लेकिन जापान में खाने का मामला इतना सीधा भी नहीं था क्योंकि इस कहानी का दूसरा हिस्सा भी है जिसमें ज़रूर जापान में शाकाहारी खाने के संकट का अहसास होता है। दरअसल होटल में तो भारतीय रसोइए की मेहरबानी से शाकाहारी भोजन मिल गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर में तो दुनियाभर के लोगों का ध्यान रखा गया था इसलिए वहां शाकाहार और विशेष तौर पर हिन्दू शाकाहार(!) कहीं पीछे रह गया। मीडिया सेंटर में अपना खाना तो दूर अपनी देशी चाय (वही दूध-शक्कर और पत्ती की जुगलबंदी से भरपूर खौलने के बाद तैयार) के लिए भी तरसना पड़ा। वैसे तो जापान में वीआईपी मेहमानों को 24 प्रकार की चाय उपलब्ध थी जिसमें कई अबूझ नामों के बीच हमारी दार्जिलिंग चाय और आइस टी जैसे कुछ जाने माने नाम भी शामिल थे लेकिन वही अपनी असल कड़क-खौलती चाय नहीं थी। चाय के अलावा कॉफ़ी के भी दर्जन भर प्रकार थे जिनमें ओसाका के स्थानीय ब्रांड के अलावा ‘20 देशों के 20 दाने’(20 beans of 20 countries) जैसी उत्तम किस्म की कॉफ़ी भी थी लेकिन दिक्क़त यहाँ भी दूध की थी और बिना दूध के कड़वी कॉफ़ी को हलक से नीचे उतारना अपने लिए तो किसी सज़ा की तरह है। हालाँकि यहाँ कॉफ़ी के एक प्रकार कॉफ़ी लैटे ने मदद की क्योंकि इसमें पर्याप्त दूध होता है और इसतरह कुछ हद तक चाय- कॉफ़ी का संकट दूर हुआ।

रही खाने की बात तो यदि मैं आपसे कहूँ कि सुशी, साशिमी, टेम्पुरा, याकीतोरी, उडोन, सोबा, कैसेकी, सुकीआकी, सुकमोनो अचार और मिसो सूप...इन नामों को सुनकर कुछ समझ आया..तो आप भी आश्चर्य से पलकें झपकाते रह जाएंगे क्योंकि जब मुझे जापान जाने के बाद भी समझ नहीं आया तो आप खाली नाम पढ़कर कैसे समझ सकते हैं...चलिए इस पहेली को आसान बनाते हैं..दरअसल ये सभी नाम जापान के सबसे लोकप्रिय और लज़ीज़ व्यंजनों के हैं और बड़ी संख्या में तमाम देशों के लोग इनका स्वाद चखने के लिए जापान जाते हैं. जी-20 देशों के महारथियों को भी ये और इनके साथ दर्जनों अन्य व्यंजन परोसे गए थे. व्यंजन तो छोड़िये, दुनिया के इन सबसे ताकतवर मुल्कों के प्रतिनिधियों के लिए 100 से ज्यादा प्रकार के शेक,24 प्रकार की चाय, 8 प्रकार की काफ़ी, दर्जन भर से ज्यादा प्रकार की बीयर,17 प्रकार की वाइन,12 तरह के साफ्ट ड्रिंक,30 प्रकार की देशी मदिरा-शोचु परोसी गयी. शोचु गन्ना, शकरकंद, ज्वार,चावल जैसे कई अनाज और फलों से बनती है. तक़रीबन दौ सौ से ज्यादा व्यंजनों और ड्रिंक्स की सूची में मुझे बस चावल, दार्जिलिंग टी, आइस टी,काफ़ी जैसे कुछ नाम ही समझ आए.

वैसे, शायद कम ही लोग जानते होंगे कि जापानी भोजन दुनिया में काफी लोकप्रिय है और इसका कारण यह है कि पारंपरिक जापानी खाने में पाँच नियमों को ध्यान में रखकर विविधता और संतुलन पर जोर दिया जाता है। इन नियमों के अंतर्गत खाने में पांच रंगों (काला, सफेद, लाल, पीला और हरा), खाना पकाने की पांच तकनीकों (कच्चा भोजन, ग्रिलिंग, स्टीमिंग, उबालना और तलना) के साथ साथ पांच स्वाद (मीठा, मसालेदार, नमकीन, खट्टा और कड़वा) का खास ध्यान रखा जाता है। यहाँ तक कि सूप और चावल बनाते समय भी इन नियमों का पालन किया जाता है। इसके अलावा ताज़ी और उच्च गुणवत्ता वाली मौसमी कच्ची सामग्री का इस्तेमाल के साथ साथ नफ़ासत के साथ परोसने के कारण भी जापानी खान-पान के मुरीद बढ़ रहे हैं।

अब यदि आप हिन्दू वेजीटेरियन (जैसा कैथी पैसिफिक एयरलाइन्स में पूछा गया था) जैसे किसी खूंटे से नहीं बंधे हैं तो जापान में आपकी जीभ के लिए भरपूर गुंजाइश है जो मछली-मटन-चिकन से आगे बढ़कर सुअर,गाय और सी फूड में ऑक्टोपस-केंकड़े और कई प्रकार के कीड़े मकोड़े का भी स्वाद ले सकती है…तो जाइए कभी जापान और लुत्फ उठाइए यहां के स्वाद, संस्कार, संगीत, सहजता, सरलता और सबसे प्रमुख अनुशासन का।


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