सेहत के साथ पॉकेट और पर्यावरण फ्रैंडली भी है साइकिल

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बढ़िया सूट-बूट पहने कोई व्यक्ति साइकिल चला रहा हो या कोई महिला साल-दो साल के बच्चे को लेकर साइकिल पर बाज़ार करने या ऑफिस जाने को निकली हो,वो भी बेखौफ-बिंदास-बेझिझक!..हमारे देश में कोई ऐसा करेगा तो शायद दूसरे दिन अख़बारों में उसकी फोटो छप जाए लेकिन जापान में यह आम बात है। मुझे कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान की यात्रा का अवसर मिला था। हम लोग मुख्य तौर पर ओसाका में रहे,जहाँ जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन हुआ था। ओसाका में बड़ी संख्या में महिला/पुरुष/युवा/बच्चे सभी बड़े आराम से साइकिल पर घूमते नजर आते थे और वहां के लोगों से बातचीत में पता चला कि पूरे जापान में साइकिल के प्रति इसीतरह का प्रेम है। 

साइकिल पर बात करने का कारण यह है कि जून माह को विश्व साइकिल दिवस के लिए भी जाना जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को साइकिल चलाने के प्रति जागरुक करना है। इतना तो हम सभी जानते हैं कि नियमित तौर पर साइकिल चलाना शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। 

हम सभी ने भी कभी न कभी कैंची से लेकर सीट तक भरपूर साइकिल चलाई है। मोटापा घटाने से लेकर शरीर की तंदुरुस्ती के लिए नियमित साइकिल चलाना वरदान है। जानकर कहते हैं कि रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से हृदय रोग, मोटापा, मानसिक बीमारी, मधुमेह, गठिया रोग जैसी कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।   पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाए जाने की घोषणा 3 जून, 2018 को की गई थी । इसके बाद से हर साल 3 जून के दिन विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। 

आज के समय मोटर वाहनों को बढ़ते उपयोग के कारण वातावरण में प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। इस कारण वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए साइकिल का उपयोग जरूरी हो गया है।  इस साल विश्व साइकिल दिवस की थीम साइकिलिंग के माध्यम से अच्छे स्वास्थ्य, निष्पक्षता और स्थिरता को प्रोत्साहित करना थी । 

अब बात फिर जापान की…सोचिए, न गाड़ियों की कर्कश चिल्लपों, न बेतहाशा भागते लोग एवं वाहन और न ही रेड लाइट पर हमारे जैसी चीख-पुकार...सब कुछ सुकून/शांति/आराम और सम्मान से....सम्मान पैदल यात्रियों का और सम्मान साइकिल सवारों का। जापान साइकिल की सवारी के मामले में भले ही दुनिया में नीदरलैंड,डेनमार्क और जर्मनी जैसे देशों से पीछे हो लेकिन शायद हम से बहुत आगे है। हमारे देश में दुनिया भर में कुल साइकिल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा बनता है लेकिन साइकिल चलाना हमें गंवारा नहीं है। 

जापान के सिर्फ ओसाका शहर में ही 10 लाख से ज्यादा साइकिल हैं जबकि आबादी हमारे देश के भोपाल, रायपुर,जोधपुर और लखनऊ जैसी ही मतलब 18-20 लाख के आसपास है। यदि हम ओसाका की तुलना इन शहरों से करें तो साइकिल को लेकर मानसिकता साफ़ जाहिर हो जाती है।  दरअसल साइकिल चलाने के लिए मानसिकता चाहिए और हमारे यहाँ तो साइकिल गरीबी की पहचान है।  

अब भले ही मोटापे से मुक्ति,तोंद से छुटकारे और डाक्टर की सलाह पर मन मारकर साइकिल चलाने लगे हैं लेकिन वे भी बस पार्क या घर के आसपास तक ही सीमित हैं तभी तो जब कोई सांसद/विधायक साइकिल पर संसद/विधानसभा पहुँच जाता है तो वह खबर बन जाता है जबकि जापान जैसे देशों में यह सामान्य बात है। जापान में हर व्यक्ति दिनभर में औसतन 15 प्रतिशत यात्राएँ साइकिल से ही करता है और यक़ीनन जापानियों की छरहरी काया का राज भी यही है। 

ओसाका में मुझे तो कोई तोंद वाला और बेढब काया वाली महिला नज़र नहीं आयी। अब आप कह सकते हैं सूमो पहलवान भी तो जापानी हैं लेकिन वह एक अलग नस्ल है और यहां हम जापान के सामान्य लोगों की बात कर रहे हैं। हाल के वर्षों में यहां 10 लाख से अधिक बाइक(साइकिल) हर साल बेची जाती हैं। जापान में मोटरसाइकिलों के विकल्प के रूप में साइकिल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। बहुत सारे लोग ट्रेन स्टेशनों पर सवारी करने के लिए उनका उपयोग करते हैं। 

आजकल अधिक से अधिक जापानी ट्रैफिक जाम और भीड़ वाली ट्रेनों से बचने के लिए साइकिल चला रहे हैं। हर जगह साइकिल खड़ी करने के लिए बाकायदा साईकिल स्टैंड बने हुए हैं- माल में,ऑफिसों में,आम बाज़ारों में,फुटपाथ पर,बस स्टाप पर सभी जगह आधुनिक साइकिल स्टैंड हैं. लोग नियम से साइकिल पार्क करते हैं और ज़ेबरा क्रासिंग पर लोग लालबत्ती होने का इंतजार नहीं करते बल्कि साइकिल और पैदल यात्रियों को सुकून और शांति से निकलने देते हैं. वाहनों की लाइन होने के बाद भी कोई हार्न बजा-बजाकर पूरे इलाक़े को सर पर नहीं उठाता बल्कि आगे बढ़ने के लिए चुपचाप अपनी बारी का इंतज़ार करता है। यहाँ लड़कियां और महिलाएं अपने मन मुताबिक कपड़े पहनकर मन चाहे समय तक पैदल और साइकिल पर घूमती हैं लेकिन उन पर कोई फब्ती नहीं कसता,कोई आंख फाड़ फाड़कर नहीं देखता,कपड़ों की आड़ लेकर कोई बलात्कार नहीं करता और उन्हें नारीत्व को लेकर कोई शर्म का अहसास नहीं कराता...बस यहीं हम बहुत पीछे हैं और शायद कभी जापान की बराबरी भी न कर पाएंगे।  जैसा कि हम जानते हैं कि विश्व साइकिल दिवस का मतलब है कि हम सभी को यह याद दिलाना है कि साइकिल एक सुरक्षित, प्रदूषण मुक्त और स्वास्थ्यप्रद यातायात का प्रमुख साधन है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य साइकिल के उपयोग को प्रोत्साहित करना है, जो स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है।   आज के युग में जहां शहरी जीवन की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, वहां साइकिल एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है जो स्वास्थ्य, पर्यावरण, और आर्थिक दृष्टि से बहुत ही उपयुक्त है। साइकिल न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि इसका उपयोग करके हम प्रदूषण को कम करने और वातावरण को सुरक्षित रखने में भी योगदान कर सकते हैं। साइकिल का उपयोग करना स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य सुधारता है और रोगों से बचाव होता है।  इस दिवस के अवसर पर हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हम साइकिल का उपयोग अपने दैनिक यातायात में शामिल कर सकते हैं और इससे हमारे आसपास के पर्यावरण को कैसे बचा सकते हैं। इसी प्रकार, साइकिल दिवस हमें साइकिल के महत्व को समझाने और इसे एक सकारात्मक बदलाव के लिए एक माध्यम के रूप में उपयोग करने की प्रेरणा देता है। यह एक अवसर है जब हम लोग साइकिल के लाभों पर ध्यान दें और उसे एक सही और सुरक्षित यात्रा का हिस्सा बनाएं।

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