देशी मिठाइयों में विदेशी मेहमान


ये कुनाफा है..हमारे देशी मिठाई परिवार में विदेशी मेहमान। कुछ लोग इसे कुनाफ़े, कनाफ़े, कोनाफी, कुनाफ़्ता, कुनेफे और किनाफा जैसे तमाम नामों से जानते हैं। ये तुर्किए (पहले टर्की) से आकर हमारे मिठाई परिवार में घुसपैठ कर रहा है। खानपान की अरबी किताबों की कहानियों में बताया गया है कि उस दौर में और खासकर रमजान में बादशाह/अमीर/खलीफा नित नए मीठे की मांग करते थे और उनके खानसामा मिठाइयों में प्रयोग करते रहते थे और इसी प्रयोग में कुनाफा का जन्म हो गया। वैसे, तुर्की की मिठाई के नाम पर चौंकने वालों को शायद पता नहीं होगा कि हमारे शहर शहर मिलने वाली और घर घर में खाई जाने वाली रसीली और लज़ीज़ जलेबी भी यहीं से आई है। 

खैर, कुनाफा एक पारंपरिक अरब मिठाई है और पूरे अरब जगत में लोकप्रिय है। इसे अक्सर विशेष अवसरों और छुट्टियों में खाया और खिलाया जाता है। पिछले कुछ समय से भारत में भी कुनाफा के मुरीद तेजी से बढ़े हैं और अब दिल्ली मुंबई ही नहीं भोपाल इंदौर जैसे शहरों में भी यह उपलब्ध है। वैसे, भारत में आकर इसने भी पिज़्ज़ा की तरह रूप और स्वाद बदलकर भारतीय चोला पहन लिया है जैसे पिज़्ज़ा ने पनीर और कबाब के साथ साथ अब कुल्हड़ पिज़्ज़ा तक का अवतार ले लिया है। इसी तरह, अब कुनाफा भी चॉकलेट,कोकोनट,ब्लू बैरी से लेकर मैंगो तक के विविध स्वाद में मिलने लगा है।

कुनाफा खाते वक्त सबसे पहले आप कुरकुरी ‘कटेफी डो’ से रूबरू होते हैं, फिर क्रीम, मीठी सी चाशनी और ड्राई फ्रूट्स आपकी जीभ पर धीरे धीरे उतरकर स्वाद का रंग जमाते हैं। लेकिन यदि देशी अंदाज में समझाया जाए तो यह मलाई,चाशनी और काजू, किशमिस,पिस्ता,बादाम के साथ सिवइयों  का मिश्रण है। बस,इसे परोसने का अंदाज़ अलग है और वहीं कुनाफा से मुनाफा बनाने में सहायक है। मौका मिले, तो स्वाद ले ही लीजिए क्योंकि ज्यादा महंगा नहीं है…पॉकेट फ्रैंडली भी है कुनाफा।

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