शुक्रवार, 21 मई 2010

.....बेटा हो तो ऐसा

बदलते समाज के साथ साथ बच्चे भी बदलने लगे हैं और खासतौर पर बेटों के बारे में तो ये कहा जाने लगा है कि वे अपने माँ-बाप की सेवा करना भूल गए हैं.आज लड़कों को आवारा,मक्कार,कामचोर और बिगडैल नवाब जैसे संबोधनो से बुलाया जाना आम बात हो गई है परन्तु अब कुछ बेटे ऐसे हैं जिनके लिए माँ-बाप की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है और वे माँ-बाप की इच्छा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.उनकी राह में न तो मौसम बाधा बन पाता है और न पैसों की तंगी.ऐसा ही एक बेटा है मध्य प्रदेश के जबलपुर का कैलाश.
उसने अपनी बूढ़ी दृष्टिहीन मां को देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने की ठानी है। उसने बद्रीनाथ की कठिन पैदल यात्रा तय कर अपनी मां को बद्रीविशाल के दर्शन कराए। कैलाश कहते हैं कि बड़े बुजुर्गों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और वह अपना धर्म निभाते हुए पिछले 14 सालों से अपनी मां को एक टोकरी में रखकर श्रवण कुमार की तरह कंधे पर उठाए हुए पैदल ही देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने निकले हैं। उन्होंने बताया कि वह अपनी मां को करीब सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा करा चुके हैं। इस श्रवण कुमार को यात्रा के मुख्य पड़ावों कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, पीपलकोटी और जोशीमठ से गुजरते हुए जिसने भी देखा वह अचरज में पड़ गया। कैलाश और उनकी माता कीर्ति देवी ने कहा कि भगवान बद्रीविशाल के दरबार में पहुंचने से जीवन सफल हो गया। कैलाश इसके पहले अपनी माँ को इसीतरह देश के सभी प्रमुख तीर्थों की यात्रा करा चुके हैं और ये उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव नहीं है बल्कि ये सिलसिला माँ की इच्छा के साथ-साथ चलता रहेगा.

गुरुवार, 20 मई 2010

घी मिलेगा मुज़ियम में और सब्जी हो जायगी चटनी

बचपन ने दादी दो कंजूस भाइयों की कहानी सुनाती थी वह कहानी सार में इस प्रकार थी कि दो भाई बहुत कंजूसी से रहते थे.वे देसी घी को सदैव अलमारी में बंद कर के रखते थे जब रोटी खानी हो तो वे रोटी के ऊपर घी का डिब्बा घुमा लेते थे और मज़ा लेकर खा लेते थे.एक बार बड़ा भाई दो दिन के लिए बाहर गया और घी का डिब्बा अलमारी में बंद कर गया.जब वह लौटकर आया तो दुखी होकर छोटे भाई से कहने लगा कि मेरी वज़ह से तुझे दो दिन बिना घी के रोटी खानी पड़ी?इसपर छोटे भाई ने कहा नहीं भईया में अलमारी के ताले के आस-पास रोटी घुमा लेता था और मज़े से खा लेता था.इतना सुनते ही बड़े भाई ने उसे एक झापड़ लगाते हुए कहा कि तू दो दिन भी बिना घी के रोटी नहीं खा सकता?
यह पढने ने भले ही आश्चर्य जनक लगे पर हमें भविष्य मेंइस स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि घी ही क्या फल,सब्जी,सोना-चाँदी तथा अन्य रोजमर्रा कि चीजों के दम जिस तरह से आसमान छू रहे हैं उससे तो लगता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को देसी घी मुजियम में देखने को मिलेगा और सोने-चाँदी के जेवरात केवल तस्वीरों में नज़र आयेंगे.आज हम जिस तरह चटनी खा रहे हैं उस तरह भविष्य में सब्जी खायी जाएगी और कई सब्जिओं के बारे में बोटनी कि प्रयोगशालाओं में पढाया और दिखाया जायेगा क्यूकि बाज़ार में तो वे मिलेंगी ही नहीं.
ये कई मनगढ़ंत बात नहीं है बल्कि भारत सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि अभी भी मुद्रा स्फीति कि दर सर्कार के काबू से बाहर हो गयी है. सरकार के मुताबिक ढूध कि कीमतों में २१.९५ फीसदी का इजाफा हो चूका है.दल में ३०.४२ प्रतिशत का,सब्जिओं में ३१.९० का,ईंधन में १२.५५ का ,स्टील में ११.४० प्रतिशत का इजाफा हुआ है.यही हाल बाकी वस्तुओं का है.सोने-चाँदी के बारे में कुछ कहना सूरज को दिया दिखने के सामान है क्योंकि इनकी कीमतें तो इनकी कीमतें तो रोज ही नए रिकोर्ड बना रही हैं.खुद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मानते हैं कि मुद्रा स्फीति के और भी बढ़ने कि सम्भावना है.इसका मतलब है कि झोला भरकर पैसे (रूपये)ले कर बाज़ार जाओ और जेब में खाने-पीने का सामान रखकर लाओ.

बुधवार, 19 मई 2010

...बेटी हो तो ऐसी

बेटियां अपने साहस से ऐसी मिसाल कायम करती हैं कि आम लोग कह उठते हैं कि बेटी हो तो ऐसी। कुछ ऐसा ही उदाहरण हापुड की मीनू ने पेश किया है। उसने न केवल फेरों से पहले ज्यादा दहेज की मांग कर रहे दूल्हे को ठुकरा दिया बल्कि दहेज लोलुप लोगों के खिलाफ मामला दायर कराकर एक नजीर भी पेश की।

मोहल्ला इंद्रगढी निवासी चरण सिंह की पुत्री मीनू का विवाह दादरी (गौतमबुध्द नगर) के निवासी जूनियर इंजीनियर सुनील पुत्र रामपाल के साथ तय हुआ था। इंद्रगढी पहुंची और विवाह की रस्म शुरू हो गई। आरोप है कि सुनील और उसके पिता ने फेरों से पहले रात करीब दो बजे दुल्हन पक्ष से 42 हजार रूपये की मांग की और चेतावनी दी कि मांग पूरी न होने तक शादी की रस्म नहीं होगी। दहेज में एकाएक 42 हजार रूपये की मांग करने पर और कई घंटों की समझाईश के बाद भी इस शर्त से टस से मस नहीं होने पर मीनू के परिजनों ने दूल्हे, उसके पिता और भाई की जमकर धुनाई कर दी और उन्हें 4 घंटे तक बंधक बनाए रखा। वधु पक्ष के लोग इतने गुस्से में थे कि मौके पर पहुंची पुलिस को भी एक बार खदेड दिया गया। किसी तरह पुलिस बंधकों को मुक्त कराकर थाने ले गई।

अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...