मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

84 सेकेंड की माया

 जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।

चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥

भावार्थ:योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। (क्योंकि) श्री राम का जन्म सुख का मूल है॥


अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही देश में उल्लास और उत्सव का वातावरण है लेकिन भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना के पहले से ही कई लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की ही तारीख क्यों तय की गई? भारतीय सामाजिक-सांकृतिक परंपराओं और पौराणिक ग्रंथों में शुभ मुहूर्त का खास महत्व है। वैसे भी सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य पंचांग के अनुसार, शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। यही वजह है कि राम लला को विराजमान करने के लिए तिथि तय करते समय काफी विचार विमर्श किया गया और देश के तमाम प्रमुख पंडितों,ज्योतिषियों और सनातन धर्म के विद्वानों ने भारतीय पंचाग और प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन के बाद यह तिथि तय की ।

आइए, अब जानते हैं कि 22 जनवरी को ऐसा क्या खास है जिस वजह से यह तारीख भारतीय सनातन संस्कृति के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है। दरअसल, 22 जनवरी को तीन शुभ योगों का अद्भुत संयोग था. 22 जनवरी को पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और मृगशिरा नक्षत्र था. इसके अलावा, सोने पर सुहागा यह था कि सूर्योदय से लेकर पूरे दिन सवार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी था। वहीं,दिन खत्म होने के साथ ही रवि योग भी लग गया था. इन सब योगों में अभिजीत मुहूर्त के अंतर्गत उन सबसे खास 84 सेकेंड में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य संपन्न किया गया. इस दिन चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृषभ में रहा.

जनवरी की 22 तारीख को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 59 मिनट तक रहा. उसमें से भी अति शुभ या सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड का था. सनातन धर्म में शुभ कार्य के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार त्रेता युग में प्रभु श्री राम का जन्म भी अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त, मृगशीर्ष नक्षत्र, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के संगम पर हुआ था. ये सारे शुभ योग 22 जनवरी 2024 को पुनः एक साथ थे इसलिए यह अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे आदर्श दिन बन गया। यह  भी कहा जा रहा है कि इस शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने से प्रभु श्री राम सदैव मूर्ति में विराजमान रहेंगे.


एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, यह तब है जब भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इस प्रकार यह मुहूर्त किसी के जीवन से किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को हटाने से जुड़ा है।

 ज्योतिषियों के अनुसार 22 जनवरी को कर्म द्वादशी थी। यह द्वादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। भगवान श्री राम वास्तव में भगवान विष्णु के ही अवतार हैं, इसलिए इस दिन को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए बेहद शुभ माना गया।

 ज्योतिषियों के मुताबिक अभिजीत मुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए बहुत शुभ हैं । इन योगों में कोई भी कार्य करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कार्यों में सफलता मिलती है। इन सभी तथ्यों,तर्कों और अध्ययन मनन के बाद यह तिथि चुनी गई।

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