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नए राज्य: विकास, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ

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बहु भाषा बोली, विविध संस्कृति, खानपान, क्षेत्रीय ढांचा, विशाल क्षेत्रफल से परिपूर्ण हमारा देश अपनी प्रशासनिक और क्षेत्रीय जटिलताओं के कारण हमेशा से ही दुनिया भर के आकर्षण का केंद्र रहा है। स्वतंत्रता के बाद से ही देश में नए राज्यों के गठन की मांग उठती रही है और तत्कालीन सरकारों ने समय समय पर क्षेत्रीय, भाषाई और विकास की जरूरत के आधार पर इन मांगों को पूरा भी किया है।    यदि हाल के वर्षों की बात करें तो वर्ष 2000 में एक साथ तीन राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के गठन ने भारत के संघीय ढांचे में एक नया अध्याय जोड़ दिया था। ये तीनों राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर चुके हैं और इस अवधि में इन्होंने विकास, नवाचार और सामाजिक-आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।  हालांकि, नए राज्यों के गठन के साथ देश में प्रशासनिक खर्चों में वृद्धि, संसाधनों के बंटवारे की चुनौतियाँ और क्षेत्रीय असंतुलन जैसे मुद्दे भी सामने आए हैं लेकिन इन राज्यों की विकास यात्रा ने कई नए राज्यों की उम्मीदों को भी जन्म दिया है। भविष्य में नए राज्यों के गठन के फायदे और नुकस...

70 साल बाद भी 'यंग' है आकाशवाणी का भोपाल केंद्र..!!

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मध्यप्रदेश में राजधानी भोपाल के सबसे खूबसूरत और वीवीआईपी इलाके श्यामला हिल्स में बने आकाशवाणी केंद्र में बारिश के बाद हल्की ठंडक है। सुबह सुबह स्टूडियो में मानस गान के बाद संगीत की स्वर लहरी बह रही है, जबकि पास ही न्यूज रीडर प्रदेश भर के श्रोताओं को लाइव ताजातरीन खबरें सुनाने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है। बाहर पार्किंग में आकाशवाणी से जुड़े स्टाफ की आवा जाही शुरू हो गई है और यहां के शांत वातावरण में कारों के हॉर्न की आवाजें गूंज रही हैं। आज यह केंद्र अपना 70 वां स्थापना दिवस मना रहा है, लेकिन उत्साह और युवा ऊर्जा से लबरेज इस केंद्र को देखकर लगता है जैसे यह कल ही शुरू हुआ हो।  सात दशक पहले, 1956 में 31 अक्टूबर को और मध्यप्रदेश के बनने से महज एक दिन पहले भोपाल के काशाना बंगले में स्थापित यह केंद्र आज भी शिक्षा, मनोरंजन, सूचना' के मंत्र को जीवंत बनाए हुए है। यही वजह है कि 70 साल बाद भी, यह केंद्र युवा ही लगता है। आकाशवाणी भोपाल का सफर भारत के रेडियो इतिहास से जुड़ा है। 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी ट्रांसमीटरों से रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई, लेकिन 1936 में इसे 'ऑल इंडिया...