70 साल बाद भी 'यंग' है आकाशवाणी का भोपाल केंद्र..!!


मध्यप्रदेश में राजधानी भोपाल के सबसे खूबसूरत और वीवीआईपी इलाके श्यामला हिल्स में बने आकाशवाणी केंद्र में बारिश के बाद हल्की ठंडक है। सुबह सुबह स्टूडियो में मानस गान के बाद संगीत की स्वर लहरी बह रही है, जबकि पास ही न्यूज रीडर प्रदेश भर के श्रोताओं को लाइव ताजातरीन खबरें सुनाने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है। बाहर पार्किंग में आकाशवाणी से जुड़े स्टाफ की आवा जाही शुरू हो गई है और यहां के शांत वातावरण में कारों के हॉर्न की आवाजें गूंज रही हैं। आज यह केंद्र अपना 70 वां स्थापना दिवस मना रहा है, लेकिन उत्साह और युवा ऊर्जा से लबरेज इस केंद्र को देखकर लगता है जैसे यह कल ही शुरू हुआ हो। 

सात दशक पहले, 1956 में 31 अक्टूबर को और मध्यप्रदेश के बनने से महज एक दिन पहले भोपाल के काशाना बंगले में स्थापित यह केंद्र आज भी शिक्षा, मनोरंजन, सूचना' के मंत्र को जीवंत बनाए हुए है। यही वजह है कि 70 साल बाद भी, यह केंद्र युवा ही लगता है। आकाशवाणी भोपाल का सफर भारत के रेडियो इतिहास से जुड़ा है। 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी ट्रांसमीटरों से रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई, लेकिन 1936 में इसे 'ऑल इंडिया रेडियो' नाम मिला और 1957 में आज का स्थाई नाम 'आकाशवाणी' । 

 भोपाल में रेडियो केंद्र खोलने का उद्देश्य आम लोगों खासकर ग्रामीणों तक सरकारी योजनाओं की पहुंच, किसानों को मौसम की जानकारी, और युवाओं तक संगीत की पहुंच आसान बनाना था। एफएम और मीडियम वेव पर चलने वाला यह स्टेशन आज मध्य भारत के दिल की धड़कन है। आकाशवाणी भोपाल ने न केवल स्थानीय कलाकारों को मंच दिया बल्कि लोकगीतों से लेकर हिंदी कविताओं तक मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का रखवाला भी बना।

70 साल का यह सफर आसान नहीं था। चाहे 1962 का भारत-चीन युद्ध हो या 1971 का भारत-पाक युद्ध, कारगिल युद्ध हो या फिर कोई अन्य सैन्य संघर्ष आकाशवाणी भोपाल ने मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाकर उनका और उनके परिवारों का हौंसला बुलंद किया । वहीं, भोपाल ही क्या देश के सबसे काले अध्याय 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के दौरान आकाशवाणी भोपाल के स्टाफ ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए निरंतर राहत सूचनाओं का प्रसारण किया। अस्पतालों के पते, उपलब्ध सुविधाओं, सरकारी सहायता केंद्रों की सूचना, दवाओं की जानकारी और सरकारी मदद से जुड़ी खबरों एवं जानकारियों के जरिए यह केंद्र पीड़ित परिवारों की उम्मीद की किरण बन गया।

आज आकाशवाणी भोपाल सिर्फ रेडियो नहीं, एक डिजिटल हब है। फेसबुक जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भरपूर फॉलोअर्स और व्यूज के साथ यह युवा पीढ़ी का भी चहेता बन गया है।  अपने करीब 17 घंटे प्रतिदिन के प्रसारण में ‘नमस्कार भोपाल' से लेकर 'महिला मंच' तक, ‘युववाणी’ से लेकर ‘ग्राम सभा और बुंदेली समाचारों’ तक अपने विविध कार्यक्रमों के जरिए आकाशवाणी भोपाल ने खुद को हर वर्ग के साथ जोड़ लिया है। तभी तो एक बुजुर्ग श्रोता कहते हैं कि "रेडियो ने मुझे जवानी दी और आज भी मेरी शामें सजाता है।" वहीं, युवाओं की कार में विविध भारती की गूंज इसे नई पीढ़ी से जोड़ रही है। इसी तरह, स्टूडियो में काम करने वाले युवा कलाकारों और फ्रेश आवाज से यहां पारंपरिक गरिमा के बीच प्रसारण की नई कहानियां लिखी जा रही हैं।

आज 70 साल बाद भी, आकाशवाणी भोपाल का प्रसारण युवा सा और नया सा लगता है क्योंकि यह बिना अपनी जड़ें छोड़े समय के साथ खुद को बदलता रहा है । रेडियो सेट से डीटीएच, फिर मोबाइल फोन और कार के भीतर घुसपैठ कर आकाशवाणी भोपाल ने प्राइवेट एफएम चैनलों की चमक-दमक के बीच अपनी सार्वजनिक सेवा और ‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’ की पहचान कायम रखी है। आने वाले वर्षों में, नवाचार, डिजिटलीकरण, 5G इंटीग्रेशन और ज्यादा लोकल कंटेंट से यह केंद्र लगातार अपनी प्रतिष्ठा में चार चांद लगाता रहेगा। 

और अंत में,  "ये आकाशवाणी भोपाल है..." आवाज भले ही तरंगों के माध्यम से आकाश से आती है, लेकिन निकलती सीधे दिल से है और उतरती भी सीधे दिल में ही है। अपने सतत् विकास,बदलाव और इंद्रधनुषी कार्यक्रमों से आकाशवाणी भोपाल केंद्र ने यह साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ संख्या है, जज्बा हमेशा जवान रहता है..तो सुनते रहिए आकाशवाणी, क्योंकि कहानियां कभी खत्म नहीं होतीं।

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