आइए, चले…देश के आखिरी गांव !!

 


वैसे तो, पूरा हिमाचल प्रदेश ही रोमांच और प्रकृति के अबूझ रहस्यों से भरपूर है लेकिन यहां भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां सड़क मार्ग से गुजरकर आप देश की सबसे रोमांचक यात्राओं में से एक का आनंद ले सकते हैं। तो चलिए, हम चलते हैं हिमाचल में स्थित और भारत चीन सीमा के पास देश के सबसे आखिरी गांव की यात्रा पर।

करीब साढ़े 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित छितकुल की यात्रा एक रोमांचक तीर्थयात्रा की तरह है। यहां आकर हमारी सड़क यात्रा भी खत्म हो जाती है और हमारा धैर्य भी, फिर हमसे रूबरू होती हैं बर्फ़ की सफेद चादर ओढ़े हिमालय की गर्वीली चोटियां। छितकुल को भारत तिब्बत सीमा पर देश का आखिरी गांव कहा जाता है। यदि सकारात्मक अंदाज़ में कहें तो यह इस इलाके में देश का पहला गांव है क्योंकि इसके जरिए ही हम देश के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं। यहाँ की हवा इतनी शुद्ध है कि इसे भारत की सबसे स्वच्छ हवा माना जाता है तो जाहिर है आपको हर सांस में ताजगी का अहसास भी होता है और आप इस शुद्धता को फेफड़ों में सहेजकर अवश्य ले जाना चाहेंगे।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलुज और बस्पा नदियों के संगम के पास बसा भारत का आखिरी/पहला गाँव छितकुल एक ऐसी जगह है जहाँ प्रकृति पूरी शिद्दत से नजर आती है और रोमांच हर कदम पर आपका इंतजार करता है। छितकुल न केवल एक भौगोलिक आश्चर्य है, बल्कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक वैभव का संगम भी है। यहाँ की ताज़गी से भरी हवा, बर्फीली चोटियाँ और किन्नौरी संस्कृति का अनूठा मिश्रण इसे एक ऐसी जगह बनाता है, जो हर यात्री के दिल में बस जाती है। 

छितकुल तक का सफ़र भी खट्टे मीठे अनुभवों से भरपूर है। हमें लगातार पहाड़ पर सर्पीली और पतली घुमावदार सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसी सड़कें, जहां आगे हमें भी नहीं पता चलता कि कितना और कैसा मोड़ हमारे सामने आ सकता है, कहां पहाड़ झुककर हमारी गाड़ी का माथा चूमना चाहता है, कब सड़क पगडंडी बन सकती है और कब आप पहाड़ के सीने को चीरते हुए निकल जाते हैं। रास्ते में कई जगह पहाड़ों की चोटी से निकलते छोटे बड़े झरने आपको भिगो सकते हैं और सड़क पर जमा विशाल चट्टानें और बड़े पत्थर बारिश में आमतौर पर यहां होने वाले भूस्खलन (लैंडस्लाइड) का डरावना अहसास भी कराते हैं। इसी तरह, नाथपा झाकड़ी और करछम-वांगटू जैसी बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं, गर्म पानी के सोते और गंगारंग जैसे पवित्र स्थान भी आपको रुक कर प्राकृतिक सौंदर्य निहारने का अवसर देते हैं। वैसे, अब सरकार ने सड़कों का इतना मजबूत जाल बिछाया है कि यह सफर मजेदार बन गया है।

अब बात छितकुल की, तो यहां की सुंदरता ऐसी है, मानो प्रकृति ने इसे अपने हाथों से सजाया हो। रास्ते में सड़क के दोनों ओर सेब के बगीचे आपका इठलाकर स्वागत करते हैं…और यदि आप ‘एप्पल सीजन’ में यहां आए हैं तो सुर्ख लाल, कत्थई,  हरे, पीले और सुनहरे रंग में रंगे सेब से लदे हुए पेड़ झुककर आपका इस्तकबाल करते हैं। पेड़ से टूटते और पेटियों में सजते सेब देखना और ‘ऑन द स्पॉट’ ताजे रसीले सेब खाने का अनुभव विलक्षण है। वहीं, सुबह की पहली किरण के साथ बर्फीली चोटियाँ के बीच किन्नर कैलाश की सुनहरी चमक अलग ही आभा बिखेरती है। सर्दियों में बर्फ का कंबल ओढ़े यह गाँव एक शांत स्वप्नलोक-सा प्रतीत होता है जबकि गर्मियों में रंग-बिरंगे जंगली फूलों के बगीचे सा। खासतौर पर गुलाबी रोडोडेंड्रोन और पीले प्राइमरोज़ की छटा देखते ही बनती है। 

साहसिक यात्राओं, ट्रेकिंग और कैंपिंग के शौकीन लोगों के लिए तो यह स्वर्ग है। छितकुल में कैंपिंग का एक अलग ही अनुभव है। रात में तारों भरा आकाश और चारों ओर हिमालय की चोटियों की पहरेदारी के बीच स्वच्छ हवा,नदी की कलकल आवाज  और आध्यात्मिक शांति से भरपूर वातावरण इसे दुर्लभ पहचान प्रदान करता है। 

छितकुल केवल प्राकृतिक सौंदर्य तक सीमित नहीं है बल्कि यह किन्नौरी संस्कृति का जीवंत चित्र है। यहाँ तिब्बती प्रभाव को दर्शाते लकड़ी के घर, नक्काशी और छतें इस गाँव को एक प्राचीन आकर्षण देती हैं। स्थानीय व्यंजन, जैसे सोग, थुकपा स्वाद और संस्कृति का अनूठा संगम हैं। यहां आप देश के आखिरी पोस्ट ऑफिस और देश के अंतिम ढाबे से भी रूबरू होते हैं। इनसे भले ही ब्रांडिंग नजर आती हो लेकिन पर्यटकों के लिए यह वाकई अनूठा अनुभव होता है। 

छितकुल तक पहुँचने के लिए आपको शिमला से रिकॉन्गपिओ तक करीब 200 से 250 किमी सड़क मार्ग से आना पड़ेगा और फिर सांगला वैली होते हुए छितकुल तक की 40 से 50 किमी की सबसे रोमांचक सड़क यात्रा करनी पड़ेगी । आप चाहे तो रास्ते में ठियोग, रामपुर, सराहन, करछम, सांगला घाटी और कल्पा में रुककर खुद को रिचार्ज भी कर सकते हैं। यहां घूमने के लिए मई से अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है क्योंकि ठंड में सामान्य रूप से बर्फबारी के कारण रास्ते खुलते/बंद होते रहते हैं । 

कुल मिलाकर छितकुल कोई साधारण गंतव्य नहीं बल्कि एक असाधारण अनुभव है। जहाँ प्रकृति की विशालता और मानव की सादगी एक-दूसरे से गले मिलते हैं। यहाँ की शांति, रोमांच और सांस्कृतिक छाप आपको सीधे प्रकृति से जोड़ती है। चाहे आप ट्रेकर हों, फोटोग्राफर,पर्यटक या शांति की तलाश में निकले एक यात्री, छितकुल आपको निराश नहीं करेगा । 

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