इन दिनों, रात में आप यदि भोपाल की वीआईपी रोड, मुख्यमंत्री निवास से पॉलिटेक्निक कालेज या फिर तमाम नई बनी कालोनियों के आसपास की सड़कों से गुजरें तो एक भीनी भीनी और मादक सी सुगंध बरबस ध्यान खींचती है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने सड़क पर रूम स्प्रे कर दिया है..वाकई,यह रूम स्प्रे ही है लेकिन प्रकृति का। जैसे आम की बौर या मधुमलिती की बेल आसपास के इलाके को महका देती है बिल्कुल उसी तरह इस खास पेड़ की खुशबू हवा में घुलकर मन मोह लेती है..और इन दिनों भोपाल ही नहीं,शायद देश के किसी भी व्यवस्थित शहर में यह इत्र अपनी सुगंध से लोगों का ध्यान खींच रहा होगा। शायद,शीत ऋतु के स्वागत का प्रकृति का यह अपना खास अंदाज़ है।
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
बुधवार, 14 दिसंबर 2022
तेरा ज़िक्र है या इत्र है...महकता हूँ,बहकता हूँ...!!
मंगलवार, 1 मार्च 2022
किसको फुर्सत मुड़कर देखे बौर आम पर कब आता है..
मौसम में धीरे-धीरे गर्माहट बढ़ने लगी है और इसके साथ ही बढ़ने लगी है आम की मंजरियों की मादक खुशबू...हमारे आकाशवाणी परिसर में वर्षों से रेडियो प्रसारण के साक्षी आम के पेड़ों में इस बार भरपूर बौर/मंजरी/अमराई/मोंजर/Blossoms of Mango दिख रही है और पूरा परिसर इनकी मादक गंध से अलमस्त है....ऐसा लग रहा है जैसे धरती और आकाश ने इन पेड़ों से हरी पत्तियां लेकर बदले में सुनहरे मोतियों से श्रृंगार किया है और फिर बरसात की बूंदों से ऐसी अनूठी खुशबू रच दी है जो हम इंसानों के वश में नहीं है। चाँदनी रात में अमराई की सुनहरी चमक और ग़मक वाक़ई अद्भुत दिखाई पड़ रही है। अगर प्रकृति और इन्सान की मेहरबानी रही तो ये पेड़ बौर की ही तरह ही आम के हरे-पीले फलों से भी लदे नज़र आएंगे.....परन्तु आमतौर पर सार्वजनिक स्थानों पर लगे फलदार वृक्ष अपने फल नहीं बचा पाते क्योंकि फल बनने से पकने की प्रक्रिया के बीच ही वे फलविहीन कर दिए जाते हैं....खैर,प्रकृति ने भी तो आम को इतनी अलग अलग सुगंधों से सराबोर कर रखा है कि मन तो ललचाएगा ही..महसूस कीजिए कैसे स्वर्णिम मंजरी की मादकता चुलबुली ‘कैरी’ बनते ही भीनी भीनी खुशबू से मन को लुभाने लगती है और फिर आम के पकने के साथ ही उसकी मीठी-मीठी सुगंध...अहा... मधुमेह से परेशान लोगों के मुंह में भी पानी ला देती है ।
आम की मंजरियों की सुंदरता और मादकता ने हमेशा ही कवियों-लेखकों का मन मोहा है। तभी तो आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है -“कालिदास ने आम्र कोरकों को बसंत काल का 'जीवितसर्वस्वक' कहा था। उन दिनों भारतीय लोगों का हृदय अधिक संवेदनशील था। वे सुंदर का सम्मान करना जानते थे। गृहदेवियाँ इस लाल हरे पीले आम्र कोरक में देखकर आनंद विह्वल हो जाती थी। वे इस 'ऋतुमंगल' पुष्प को श्रद्धा और प्रीति की दृष्टि से देखती थीं। आज हमारा संवेदन भोथा हो गया है। पुरानी बातें पढ़ने से ऐसा मालूम होता है जैसे कोई अधभूला पुराना सपना है। रस मिलता है, पर प्रतीति नहीं होती।‘
वहीं,आम की मंजरियों की मादकता पर क़लम चलाने से जाने माने लेखक विद्यानिवास मिश्र भी खुद को नहीं रोक पाए। उनके शब्दों में - 'आम वसंत का अपना सगा है, क्योंकि उसके बौर की पराग-धूलि से वसंत की कोकिला का कविकंठ कषायित होकर और मादक हो जाता है. आम की बौर, नये पल्लव और नये कर्ले और अंखुए कामदेव के बाण बन जाते हैं।'
आम तो वैसे भी फलों का राजा माना जाता है इसलिए राजा साहब की शान में कशीदे काढ़ने से भला कौन रुक सकता है...लेकिन यदि हम 'आम राजा' की तारीफों में डूब गए तो शब्द कम पड़ जाएंगे इसलिए पीले/रसीले/मीठे आम पर बात फिर कभी..फ़िलहाल अपन तो बौर की मादक गंध में अलमस्त हैं और अपनी बात का समापन कुमार रवींद्र की कविता की उन पंक्तियों से करते हैं, जो इस मादकता से हमें झंझोड़ कर उठाते हुए आम और आज से जुड़ी वास्तविकता से रूबरू कराती है। वे लिखते हैं:
'अरे बावरे
गीत न बाँचो अमराई का
महानगर में
किसको फुर्सत
मुड़कर देखे
बौर आम पर कब आता है।'
#आम #अमराई #मंजरी #mango #blossom #blossombeauty #कैरी
सोमवार, 8 नवंबर 2021
कुछ मीठा हो जाए
कुछ मीठा हो जाए🍬🍫.. के बाद अब कुछ धमाकेदार🗯️ मीठा हो जाए..की बारी है। दीपावली🪔 के अवसर पर बच्चों को लुभाने के लिए चॉकलेट 🍫ने अपना रूप बदल लिया है...त्योहारों पर हमारी पारंपरिक मिठाइयों का सिंहासन हिलाने में पर्याप्त कामयाबी नहीं मिलने के बाद अब चॉकलेट इंडस्ट्री रंग-रूप बदल बदलकर त्योहारों में घुसपैठ कर रही है...ताज़ा उदाहरण है ये तस्वीरें..हैं तो ये चॉकलेट, पर पटाखों/आतिशबाजी का रूप धरकर बिक रही है..उम्मीद है बच्चों के ज़रिए घर घर पहुंच जाएं..आप जरूर सावधान रहिए, कहीं ऐसा न हो चॉकलेट🍫 समझकर पटाखा🤭😱 मुंह में रख ले या फिर पटाखा समझकर मीठी चॉकलेट से हाथ धो बैठे… बहरहाल दीपावली की धमाकेदार शुभकामनाएं🥳
#dewali2021 #depavali #दीवाली
अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...
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क्या नियति के क्रूर पंजों में इतनी ताकत है कि वो हमसे हमारा वेद छीन सके? या फिर काल इतना हठी हो सकता है कि उसे पूरी दुनिया में बस हमार...
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महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कुछ संगठनों ने इन दिनों एक नया आंदोलन शुरू किया है. इस आंदोलन को “आक्यूपाई मेन्स टायलट”(पुरुषों की जनसु...
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कुछ मीठा हो जाए🍬🍫.. के बाद अब कुछ धमाकेदार🗯️ मीठा हो जाए..की बारी है। दीपावली🪔 के अवसर पर बच्चों को लुभाने के लिए चॉकलेट 🍫ने अपना रूप...