प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर मंदिर परिसर के महाकाल लोक का लोकार्पण करते हुए कहा था- ‘महाकाल लोक’ में लौकिक कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है, अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है….और, महाकाल का आशीर्वाद जब मिलता हैं तो काल की रेखाएँ मिट जाती हैं, समय की सीमाएं सिमट जाती हैं, और अनंत के अवसर प्रस्फुटित हो जाते हैं।"....हो सकता है किसी को ये अतिसंयोक्ति लगे, परन्तु हम ने तो महाकाल लोक के शुभारंभ के अगले ही दिन यह महसूस कर लिया कि उज्जैन के राजाधिराज की इच्छा से बाहर कुछ भी नहीं है।
“जुगाली” समाज में आमतौर पर व्याप्त छोटी परन्तु गहराई तक असर करने वाली बुराइयों, कुरीतियों और समस्याओं पर ‘बौद्धिक विलाप’ कर अपने मन का बोझ हल्का करने और अन्य जुगाली-बाज़ों के साथ मिलकर इन बुराइयों को दूर करने के लिए एक अभियान है. आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बदलाव के इस प्रयास में भागीदार बन सकते हैं..
बुधवार, 14 दिसंबर 2022
है न, सब कुछ असाधारण, अविस्मरणीय और अविश्वसनीय..!!
बापू की कहानी,पत्थरों की जुबानी..!!
आपके पास महज एक दिन का वक्त है, पता नहीं फिर ये मौका कब नसीब होगा…मेले,ठेले, शापिंग फेस्टिवल, मॉल और हाट बाजारों की रौनक तो हम अक्सर देखते हैं लेकिन यहां कुछ अलग तरह का हुनर है…यहां पत्थर बोल उठे हैं,अपने अलग अलग रंग, आकार प्रकार और पहचान के बाद भी ये एकरूप होकर दुनिया के सबसे बड़े महामानव के आम इंसान से अहिंसा के पुजारी बनने की गाथा गुनगुना रहे हैं। हम बात कर रहे हैं - भोपाल के स्वराज भवन में 14 से 16 अक्टूबर के बीच आयोजित Anita Dubey की प्रस्तर प्रदर्शनी यानि पत्थरों पर जादूगरी की।
अब ये पैसे फिर चलन में आ रहे हैं
अब ये पैसे फिर चलन में आ रहे हैं.. चौंकिए मत.. वाकई,पंजी, दस्सी, चवन्नी और अठन्नी कहलाने वाली यह मुद्रा अब फिर से प्रचलन में है…..लेकिन आप इनसे कुछ खरीद नहीं सकते बल्कि अब इन्हें हासिल करने के लिए आपको मौजूदा दौर में चलने वाली मुद्रा खर्च करनी पड़ेगी। दरअसल,अब ये मुद्राएं 'एंटीक ज्वैलरी' में बदल रही हैं और महिलाओं के नाक, कान और गले के सौंदर्य की शोभा बढ़ाती नजर आने लगी है मतलब पहले पैसे से सौंदर्य सामग्री खरीदी जाती थी और अब पैसा खुद सौंदर्य सामग्री बन रहा है।
अलौलिक के साथ आधुनिक बनती अयोध्या
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥ सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥ तुलसीदास जी ने लिखा है कि अयोध्या नगर...
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क्या नियति के क्रूर पंजों में इतनी ताकत है कि वो हमसे हमारा वेद छीन सके? या फिर काल इतना हठी हो सकता है कि उसे पूरी दुनिया में बस हमार...
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महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कुछ संगठनों ने इन दिनों एक नया आंदोलन शुरू किया है. इस आंदोलन को “आक्यूपाई मेन्स टायलट”(पुरुषों की जनसु...
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कुछ मीठा हो जाए🍬🍫.. के बाद अब कुछ धमाकेदार🗯️ मीठा हो जाए..की बारी है। दीपावली🪔 के अवसर पर बच्चों को लुभाने के लिए चॉकलेट 🍫ने अपना रूप...