शनिवार, 8 जुलाई 2023

मानवीय बुद्धिमत्ता के सामने कृत्रिम ज्ञान की क्या बिसात…!!


इन दिनों सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल है जिसमें एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बने फोटो से यह बताया जा रहा है कि भगवान राम 21 साल की उम्र में कैसे दिखते थे!! इसमें दावा किया गया है कि फोटो के लिए राम के स्वरूप के इनपुट देश विदेश में उपलब्ध रामायणों, रामचरित मानस और भगवान राम पर केंद्रित पुस्तकों से लिए गए हैं। सीधी भाषा और बिना किसी लाग लपेट के कहा जाए तो सभी मसालों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मिक्सी में मिलाकर पीस दिया। हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ऐसे तमाम एप्लिकेशन हैं जो हमें यह बताते रहते हैं कि हम बचपन में कैसे दिखते थे या वृद्धावस्था में कैसे दिखेंगे। बस,इस बार नया यह था कि भगवान के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की गई।

अब बंदर के हाथ में उस्तरा की तर्ज पर सोशल मीडिया के नौसिखियों के हाथ चैट जीपीटी नाम का नया खिलौना लग गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (अलादीन) के चिराग़ से निकले इस नए जिन्न ने तूफ़ान सा ला दिया है। यह वाकई जिन्न की तरह चमत्कारी है और बस आपके आदेश देते ही जो हुक्म मेरे आका के अंदाज़ में उस आदेश पर झट से अमल कर देता है। यह काम भी यह चैट जीपीटी इतने सपाटे और सफाई से करता है कि दुनिया भर के विषेशज्ञ चमत्कृत और सहमे हुए हैं।

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि आख़िर यह चैट जीपीटी है क्या बला? चैट जीपीटी (Chat GPT) का पूरा नाम चैट जेनरेटिव प्री ट्रेंड ट्रांसफार्मर (Chat Generative Pre-trained Transformer) है । इसके माध्यम से आप किसी भी सवाल का जवाब जान सकते हैं । यहां तक इसकी प्रक्रिया गुगल सर्च की तरह ही है लेकिन दोनों का फर्क इसके बाद दिखता है । गूगल सर्च और चैट जीपीटी के बीच में सबसे बड़ा अंतर ये है कि गूगल सर्च में हम किसी विषय को सर्च करते है और गूगल हमें उस विषय से संबंधित विभिन्न वेबसाइट पर ले जाता है जबकि चैट जीपीटी विभिन्न वेबसाइटों को खंगालकर सवालों का सीधा जवाब बनाकर देता है। इसमें वांछित उत्तर तलाशने के लिए संबंधित वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं होती बल्कि पका पकाया उत्तर मिल जाता है। एक और बड़ा अंतर यह है कि चैट जीपीटी पर प्रश्नों के उत्तर भर नहीं बल्कि निबंध, स्क्रिप्ट, कवर लेटर, बायोग्राफी, छुट्टी की एप्लीकेशन,समीक्षा,शोध जैसे तमाम काम कराए जा सकते हैं । 

चैट जीपीटी की खूबियों में यह भी शामिल है कि यह अपने यूजर की सौ फीसदी संतुष्टि तक काम करता है मसलन यदि यूजर चैट जीपीटी द्वारा दी गई जानकारी से सन्तुष्ट नहीं है तो Chat GPT अपने डेटा में फिर से बदलाव कर प्रदर्शित करता है। यह लगातार तब तक अपने डेटा में परिवर्तन करता रहता है जब तक की यूजर्स जानकारी से संतुष्ट नहीं हो जाता।

इटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ चैट जीपीटी को 30 नवंबर 2022 में सैम अल्टमैन ने लांच किया था और इतने कम समय में ही इसके यूजर की संख्या कई मिलियन तक पहुंच गई है। इसके साथ एलन मस्क और बिल गेट्स जैसे दिग्गज कभी न कभी जुड़े रहे हैं। चैट जीपीटी की मातृ वेबसाइट chat.openai.com है और कंपनी ने इसे फिलहाल अंग्रेजी भाषा में लांच किया गया है लेकिन इसको लेकर आम लोगों में जिसतरह उत्साह दिख रहा है उससे साफ जाहिर है कि जल्दी ही यह उन सभी भाषाओं में उपलब्ध होगा जिनकी दुनिया भर में मांग है और क़रीब 130 करोड़ की आबादी के कारण भारत और हिंदी सहित हमारी भाषाएं इसकी पहुंच से दूर नहीं हैं। कंपनी की तरफ से भी संकेत दिए जा रहे है कि आने वाले दिनों में यह कई भाषाओं में उपलब्ध होगा।  

अब सवाल यह उठता है कि जब चैट जीपीटी इतना अच्छा है तो फिर दिक्कत कहां है और इसको लेकर विवाद क्यों है? दरअसल, दिक्कत चैट जीपीटी या इसकी चमत्कारिक कार्यप्रणाली में नहीं है बल्कि विभिन्न कंपनियों द्वारा इसके इस्तेमाल में है। अभी तक विवाद कुछ उसी अंदाज़ में सामने आ रहे हैं जैसे रोबोट की लांचिंग के समय आए थे। आपको याद होगा कि एक समय रोबोट को मानव जाति के लिए खतरा मान लिया गया था। कुछ ऐसी ही चिंता अभी चैट जीपीटी को लेकर हो रही है। कोई इसे रचनात्मक लेखन के लिए खतरा बता रहा है तो कोई शोध के लिए और कोई रोज़गार के लिए। इस चिंता के कारण भी हैं क्योंकि कथित प्रयोगधर्मी कंपनियां लेखन के बाद चैट जीपीटी के जरिए एआई बेस्ड हेल्पलाइन, वकील,सलाहकार और समाचार वाचक तक बनाने लगी हैं। इसका अर्थ यह है कि आपकी मानसिक या कानूनी समस्या का समाधान कोई मानवीय संवेदनाओं वाला व्यक्ति या विशेषज्ञ नहीं बल्कि चैट जीपीटी से तैयार डाटा करेगा। इसी प्रकार किसी समाचार चैनल पर आपको चैट जीपीटी द्वारा तैयार समाचार पढ़ती कोई मशीन दिख सकती है या भविष्य का कोई संपादक चैट जीपीटी जैसे किसी एआई से बना हो सकता है। इसमें सबसे बड़ा खतरा सूचनाओं के गलत विश्लेषण का है जो सुरक्षा से लेकर परस्पर संबंधों तक के लिए खतरनाक हो सकता है। अभी एआई आधारित तमाम ऐप प्रायोगिक परीक्षण की स्थिति में है और उनके उपयोग को लेकर सरकारों के स्तर पर कोई गाइड लाइन नहीं बनी हैं इसलिए इनके उपयोग से धोखाधड़ी का खतरा है। विदेशों में तो ऐसे ऐप द्वारा यूज़र के साथ बदतमीजी करने या गलत भाषा का इस्तेमाल करने की खबरें भी आई हैं। वहीं, कुछ लोगों ने इसे कमाई का धंधा बना लिया है। जैसे लेंस जंक नामक एक शख्स ने एक ऑनलाइन कोर्स लॉन्च किया था. ये कोर्स लोगों को चैट जीपीटी इस्तेमाल करना सिखा रहा है और वह अब करीब 28 लाख रुपए कमा चुका है।

इस सारी कवायद का लब्बो लुआब यह है कि चैट जीपीटी हो या कोई अन्य एप्लीकेशन, वह होगा तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित ही। जब उसका ज्ञान ही आर्टिफिशियल या कृत्रिम है तो वह मूल या मानवीय ज्ञान की बराबरी कैसे कर सकता है। वह उपलब्ध आंकड़ों के गुणा भाग से कोई समाधनपरक जवाब तो बना देगा लेकिन मानवीय सोच,समझ और त्वरित बौद्धिकता का मुकाबला कैसे करेगा। खुद चैट जीपीटी की मातृ कंपनी OpenAI ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि यह एप्लीकेशन कभी-कभी ऐसा उत्तर या लेखन करता है जो देखने में तो प्रशंसनीय लगता है लेकिन होता गलत या निरर्थक है।इसलिए फिलहाल चिंतित होने की नहीं बल्कि चैट जीपीटी को परखने की जरूरत है।

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