शिव और प्रकृति का मेल है डमरू घाटी

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के  गाडरवारा शहर के करीब स्थित डमरू घाटी एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जो प्रकृति की गोद में बसा होने के कारण भक्तों के मन को मोह लेता है। यह घाटी शक्कर नदी के तट पर स्थित है, जो नर्मदा की सहायक नदियों में से एक है। 

घाटी का आकार भगवान शिव के डमरू के समान होने के कारण इसका नाम 'डमरू घाटी' पड़ा है। यहाँ की शांत वादियाँ और हरे-भरे पेड़ प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करते हैं। गाडरवारा पहले से ही आचार्य रजनीश (ओशो) के लिए प्रसिद्ध है।

मंदिर का उद्घाटन 1980 के दशक में हुआ, और तब से यह शिवभक्तों का प्रमुख केंद्र बन गया है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है इसका विशाल शिवलिंग, जो मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है। यह शिवलिंग लगभग 20-21 फुट ऊँचा है। 

डमरू घाटी का वातावरण इतना शांतिपूर्ण है कि आने वाला हर यात्री मन की शांति का अनुभव करता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 

डमरू घाटी न केवल एक मंदिर है, बल्कि भक्ति, प्रकृति और स्थानीय संस्कृति का जीवंत चित्रण है। यदि आप मध्य प्रदेश की यात्रा पर हैं, तो यहाँ शिव के दर्शन अवश्य करें । यह जबलपुर-भोपाल मार्ग पर कुछ वक्त गुजारने के लिए बेहतरीन स्थान है।


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