देवभूमि में क्यों बेखौफ नाच रहीं हैं डायन…!!

देवभूमि में डायनों का क्या काम? तो फिर हिमाचल में इन दिनों डायन या चुड़ैल क्यों नाच रही हैं ? और ऐसा क्या है कि आम लोग भी उनका रंग रूप धरकर नाचने गाने में मशगूल है? क्यों महिलाएं घर में बैठकर कभी डायन की नाक तो कभी हाथ पैर काट रही है ? और डायनों के इतने खुले प्रदर्शन के बाद भी देवता क्यों चुप है? आप भी यह सब सवाल पढ़कर चौंक रहे होंगे और अचरज में पड़ना लाजमी भी है क्योंकि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में जहां पग पग पर देवताओं का वास है ऐसे में किसी भी बुरी आत्मा की मौजूदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती। लेकिन भाद्रपद मास की अमावस्या पर करीब दो दिन तक राज्य के कई इलाकों में कथित तौर पर डायनों का बोलबाला रहता है।कहीं यह स्थिति जन्माष्टमी के हफ्ते भर बाद बनती है तो कहीं रक्षाबंधन के पखवाड़े भर बाद। दरअसल,हिमाचल प्रदेश की धरती अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ समृद्ध लोक संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। यहां के पर्व, मेलों और परंपराओं में पहाड़ के लोगों की आस्था, डर, विश्वास और सामूहिक जीवन की झलक मिलती है। इन्हीं लोकपर्वों में से एक है डगैली पर्व, जो इन दिनों मनाया जाता है। इसे डगयाली, ...