सौम्य सूरज का मतवाला अंदाज़
जब देशभर में सूरज ढल रहा हो तब पहाड़ों की रानी के माथे पर सूरज निकलना प्रकृति का जादू ही है। बादलों और बूंदों में जकड़े पहाड़ भी सूरज की शह पाकर जकड़न को तोड़कर चमक उठे।
सूरज की किरणें अपनी सुनहरी तूलिका से पाइन और देवदार के पेड़ों के साथ साथ लाल हरी छतों पर हल्के-हल्के रंग बिखेर रहीं हैं। गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू हवा में तैर रही है, और कोहरे की पतली चादर धीरे-धीरे हट रही है, मानो सूरज के स्वागत में रास्ता दे रही हो।
कई दिन बाद सूरज भी पूरी सौम्यता से बादल और बूंदों के रथ पर सवार मतवाला होकर अपने प्रिय पहाड़ों से मिलने आ गया है।
पेड़ों की पत्तियों पर कब्जा जमाए बूंदों की लड़ियां भी चमकने लगी हैं जैसे सूरज के स्वागत में वंदनवार सज गए हो । रिज (आम बोलचाल में मॉल रोड) पर खड़े होकर देखो, तो लगता है सूरज ने बादलों के साथ लुकाछिपी का खेल खत्म कर दिया है।
कल तक बारिश की मोटी और ढीठ बूंदे में छिपी दूर हिमालय की चोटियाँ अब सुनहरे और गुलाबी रंग में नहाई दिखती हैं। सूरज के करीब कुछ चोटियों ने तो स्वर्ण मुकुट धारण कर लिया है जैसे अब सूरज के साथ उनकी सत्ता लौट आई है।
चाय की दुकानों से उठती अदरक इलायची की भाप के बीच चुस्कियां लेते हुए स्थानीय लोग मुस्कुराते हुए कहते हैं- "सूरज निकला, अब शिमला की रौनक लौट आएगी!"
यह नजारा सिर्फ़ आँखों का सुख नहीं, बल्कि आत्मा को ताज़गी देने वाला अनुभव है—जैसे शिमला ने बारिश की थकान उतारकर सूरज को गर्मजोशी से गले लगा लिया हो।
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