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कैसे कैसे रिश्तेदार

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देश भर में इन दिनों शादी और छुट्टी का मौसम है इसलिए सभी ओर रिश्तेदारों(relatives) की बहार आई हुई है. शर्माजी भागकर वर्माजी के घर जा रहे हैं तो वर्माजी पहले ही गुप्ताजी के घर जाने के लिए निकल चुके हैं. दरअसल कोई भी अपने घर नहीं रहना चाहता क्योंकि यदि वो खुद कहीं नहीं गया तो उसके घर कोई आ धमकेगा. इस भीषण गरमी के मौसम में कोई भी रिश्तेदार को अपने घर में टिकाने का जोखिम नहीं लेना चाहता. खासकर दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में तो हालत और भी ख़राब हैं. यहाँ लोगों के अपने ही रहने का ठिकाना नहीं है तो फिर मेहमानवाजी कैसे कर सकते हैं पर छुटिओं में छोटे शहरों के रिश्तेदारों को महानगर जाना ही ज्यादा पसंद आता है इसलिए वे इन शहरों में रहने वाले दूर-दराज के रिश्तेदारों को भी खोज निकलते हैं और पूरे दलबल के साथ उनके घर जा धमकते हैं. वह तो उनसे उनके दिल का हाल पूछिए जो भरी गरमी में बूँद-बूँद पानी की कमी और एक एसी के सहारे किस तरह इस रिश्तेदारी की सजा को भुगतते हैं. सबसे बुरा हाल तो उनका होता है जिन्हें इस मौसम में शादी करनी पड़ती है. शादी करने,कराने और शामिल होने वाले सभी परेशान होते हैं. उत्तर भारत क...

....मेरी "गंगा माँ" को बचा लो प्लीज

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मेरी ममतामयी माँ की जान संकट में है. वह तिल -तिलकर मर रही है और मैं ऐसा अभागा बेटा हूँ जो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता. दरअसल मेरी माँ की इस हालत के लिए सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि आप सभी ज़िम्मेदार हैं. आप में से कुछ लोगों ने उसे बीमार बनाने में अहम भूमिका निभाई है तो कुछ ने मेरी तरह चुप रहकर इस दुर्दशा तक लाने में मूक सहयोग दिया है.यही कारण है कि आज मुझे आप सभी से माँ को बचने की अपील करनी पड़ रही है. मेरी माँ का नाम गंगा है...अरे वही जिसे आप सब गंगा नदी(river ganga) या गंगा मैया के नाम से पुकारते हैं. आप सब भी इस बात को मानेंगे कि मेरी माँ ने कभी किसी का ज़रा सा भी नुकसान नहीं किया. वह तो ममता, त्याग, करुणा, वात्सल्य और स्नेह की प्रतिमूर्ती है. आज क्या सदिओं से मेरी माँ हम सब के पाप धोते आ रही है और अनादिकाल से सम्मान पाने में सर्वोपरि रही है. तभी तो इस स्रष्टि के निर्माता ब्रम्हा उसे अपने कमंडल में लेकर चलते थे और सर्वशक्तिमान भगवान् शंकर ने उसे अपनी जटाओं में स्थान दिया. मेरी माँ के विशाल ह्रदय का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति देने के लिए वह धरती प...

मंगलौर हादसे ने खोली नेशनल न्यूज़ चैनलों की पोल

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राखी सावंत और मल्लिका शेरावत के चुम्बन और अधनंगेपन के सहारे टीआरपी की जंग में अपने आपको नम्बर वन बताने में उलझे कथित नेशनल न्यूज़ चैनलों की पोल शनिवार को मंगलौर विमान दुर्घटना(Mangalore air crash) ने खोलकर रख दी.सुबह ६ बजे हुई इस दुर्घटना तक हमारे नेशनल चैनलों के बाईट-वीर लगभग १० बजे तक पहुँच पाए और इस दौरान वे स्थानीय न्यूज़ चैनलों की ख़बरों और फुटेज को चुराकर “एक्सक्लूसिव” बताकर चलाते रहे. वो तो भला हो टीवी-९, इंडियाविजन और स्वर्ण न्यूज़ का जिनकी बदौलत देशभर को इस घटना की पल-पल की जानकारी मिल पायी.इसके लिए ये चैनल वाकई बधाई के पात्र हैं. कुछ दिन पहले सीआरपीएफ के दल पर हुए नक्सली हमले के दौरान भी कथित नेशनल न्यूज़ चैनलों की असलियत सामने आ गयी थी जब उन्हें इस घटना की जानकारी के लिए स्थानीय साधना न्यूज़ चैनल पर निर्भर रहना पड़ा था.सोचने वाली बात यह है की जब मंगलौर जैसे बड़े और वेल-कनेक्टेड शहर तक पहुँचने में इन चैनलों को चार घंटे लग गए तो किसी दूर-दराज़ की जगह पर कोई बड़ा हादसा हो गया तो ये क्या करेंगे? या इसी तरह नेताओं के बयानों पर दिन भर खेलकर अपनी पीठ थपथपाते रहेंगे? विमान हादसे में हमार...

.....बेटा हो तो ऐसा

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बदलते समाज के साथ साथ बच्चे भी बदलने लगे हैं और खासतौर पर बेटों के बारे में तो ये कहा जाने लगा है कि वे अपने माँ-बाप की सेवा करना भूल गए हैं.आज लड़कों को आवारा,मक्कार,कामचोर और बिगडैल नवाब जैसे संबोधनो से बुलाया जाना आम बात हो गई है परन्तु अब कुछ बेटे ऐसे हैं जिनके लिए माँ-बाप की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है और वे माँ-बाप की इच्छा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.उनकी राह में न तो मौसम बाधा बन पाता है और न पैसों की तंगी.ऐसा ही एक बेटा है मध्य प्रदेश के जबलपुर का कैलाश. उसने अपनी बूढ़ी दृष्टिहीन मां को देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने की ठानी है। उसने बद्रीनाथ की कठिन पैदल यात्रा तय कर अपनी मां को बद्रीविशाल के दर्शन कराए। कैलाश कहते हैं कि बड़े बुजुर्गों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और वह अपना धर्म निभाते हुए पिछले 14 सालों से अपनी मां को एक टोकरी में रखकर श्रवण कुमार की तरह कंधे पर उठाए हुए पैदल ही देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने निकले हैं। उन्होंने बताया कि वह अपनी मां को करीब सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा करा चुके हैं। इस श्रवण कुमार को यात्रा...

घी मिलेगा मुज़ियम में और सब्जी हो जायगी चटनी

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बचपन ने दादी दो कंजूस भाइयों की कहानी सुनाती थी वह कहानी सार में इस प्रकार थी कि दो भाई बहुत कंजूसी से रहते थे.वे देसी घी को सदैव अलमारी में बंद कर के रखते थे जब रोटी खानी हो तो वे रोटी के ऊपर घी का डिब्बा घुमा लेते थे और मज़ा लेकर खा लेते थे.एक बार बड़ा भाई दो दिन के लिए बाहर गया और घी का डिब्बा अलमारी में बंद कर गया.जब वह लौटकर आया तो दुखी होकर छोटे भाई से कहने लगा कि मेरी वज़ह से तुझे दो दिन बिना घी के रोटी खानी पड़ी?इसपर छोटे भाई ने कहा नहीं भईया में अलमारी के ताले के आस-पास रोटी घुमा लेता था और मज़े से खा लेता था.इतना सुनते ही बड़े भाई ने उसे एक झापड़ लगाते हुए कहा कि तू दो दिन भी बिना घी के रोटी नहीं खा सकता? यह पढने ने भले ही आश्चर्य जनक लगे पर हमें भविष्य मेंइस स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि घी ही क्या फल,सब्जी,सोना-चाँदी तथा अन्य रोजमर्रा कि चीजों के दम जिस तरह से आसमान छू रहे हैं उससे तो लगता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को देसी घी मुजियम में देखने को मिलेगा और सोने-चाँदी के जेवरात केवल तस्वीरों में नज़र आयेंगे.आज हम जिस तरह चटनी खा रहे हैं उस तरह भविष्य में सब्जी खायी जाए...

...बेटी हो तो ऐसी

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बेटियां अपने साहस से ऐसी मिसाल कायम करती हैं कि आम लोग कह उठते हैं कि बेटी हो तो ऐसी। कुछ ऐसा ही उदाहरण हापुड की मीनू ने पेश किया है। उसने न केवल फेरों से पहले ज्यादा दहेज की मांग कर रहे दूल्हे को ठुकरा दिया बल्कि दहेज लोलुप लोगों के खिलाफ मामला दायर कराकर एक नजीर भी पेश की। मोहल्ला इंद्रगढी निवासी चरण सिंह की पुत्री मीनू का विवाह दादरी (गौतमबुध्द नगर) के निवासी जूनियर इंजीनियर सुनील पुत्र रामपाल के साथ तय हुआ था। इंद्रगढी पहुंची और विवाह की रस्म शुरू हो गई। आरोप है कि सुनील और उसके पिता ने फेरों से पहले रात करीब दो बजे दुल्हन पक्ष से 42 हजार रूपये की मांग की और चेतावनी दी कि मांग पूरी न होने तक शादी की रस्म नहीं होगी। दहेज में एकाएक 42 हजार रूपये की मांग करने पर और कई घंटों की समझाईश के बाद भी इस शर्त से टस से मस नहीं होने पर मीनू के परिजनों ने दूल्हे, उसके पिता और भाई की जमकर धुनाई कर दी और उन्हें 4 घंटे तक बंधक बनाए रखा। वधु पक्ष के लोग इतने गुस्से में थे कि मौके पर पहुंची पुलिस को भी एक बार खदेड दिया गया। किसी तरह पुलिस बंधकों को मुक्त कराकर थाने ले गई।

जानवरों के इंजेक्शन से बच्चियां बन रहीं जवान

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सब्जियों का आकार बढाने और जानवरों से ज्यादा दूध हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन अब छोटी बच्चियों को समय से पहले जवान बनाने के लिए लगाया जा रहा है। इससे देशभर के वेश्यावृत्ति के बाजार में नन्हीं लडकियों के शोषण का खतरा बत्रढ गया है। गौरतलब है कि ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल सामान्य तौर पर जानवरों का दूध बढाने के लिए किया जाता है। इसी तरह सब्जियों का आकार और उनका रंग निखारने के लिए भी आजकल इस इंजेक्शन का इस्तेमाल चोरी-छिपे होने लगा है लेकिन अब वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेलने से पूर्व मासूम बच्चियों को बडा करने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाने लगा है। सूत्रों ने बताया कि छोटी बच्चियों को शुरू से ही अच्छी खुराक दी जाती है। साथ में ऑक्सीटोसिन और अन्य हार्मोन बढाने की दवाइयां भी नियमित खिलाई जाती हैं। दस वर्ष की बालिका इस प्रयोग से जवान नजर आती है। उसके शारीरिक बदलाव की रफ्तार अचानक तेजी से बढती है। इससे लडकियों की त्वचा भी अन्य लडकियों के मुकाबले आकर्षण और मुलायम हो जाती है और ग्राहकों को आकर्षित करने में सफल रहती हैं। उधर ऑक्सीटोसिन के इस तरह लडकियों पर कि...