वे अपने से हैं, सभी के हैं, तभी तो परम प्रिय हैं गणेश…,!!

वे खुश मिजाज हैं, बुद्धि, विवेक, शक्ति, समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि के दाता हैं, अष्ट सिद्धि और नौ निधि के ज्ञानी हैं, फिर भी उनमें जरा भी घमंड नहीं है, बिलकुल सहज और सरल हैं इसलिए लोकप्रिय है और प्रथम पूज्य भी । भक्तों की रक्षा के लिए वे दुष्टों का संहार करते हैं तो भक्तों की इच्छा पर अपना सर्वत्र देने में भी पीछे नहीं रहते। वे सभी के हैं…सभी के लिए हैं तभी तो परम प्रिय हैं गणेश।   

वे सहज हैं, सरल हैं और सर्व प्रिय भी। बच्चों को वे अपने बालसखा लगते हैं तो युवा उन्हें सभी परेशानियों का हल मानते हैं । बुजुर्गों के लिए वे आरोग्यदाता और विघ्नहर्ता हैं तो महिलाओं के लिए सुख समृद्धि देने वाले मंगलमूर्ति। यह देवताओं में तुलना की बात नहीं है लेकिन भगवान गणेश जैसी व्यापक, सर्व वर्ग और हर उम्र में लोकप्रियता ईश्वर के किसी भी अन्य रूप को इतने व्यापक स्तर पर हासिल नहीं है। सभी वर्ग, जाति और उम्र के लोग श्री गणेश को अपने सबसे करीब पाते हैं इसलिए वे लोक देव हैं।   

उनकी भक्ति और आराधना के कोई कठोर नियम नहीं हैं। उनकी पूजा में सरलता, सार्वभौमत्व और व्यापक अपील है। आप ढाई दिन पूजिए या दस दिन, मिट्टी से बनाइए या पान सुपारी से या फिर किसी ओर सामग्री से,विधि विधान से पूजिए या केवल हाथ जोड़कर स्मरण करिए…वे आपसे खुश ही रहेंगे ।  गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता इसलिए माना जाता है क्योंकि वे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी बुद्धि और ज्ञान के किस्से घर घर में मशहूर है। 

गणेश जी की सौम्य और मिलनसार छवि है, जो लोगों को उनसे जुड़ने में मदद करती है।  गणेश जी सभी जाति और धर्म के लिए पूज्य हैं, इसलिए  उन्हें घर घर में पूजा जाता है।  भगवान गणेश को लोक देवता इस कारण से भी माना जाता है क्योंकि वे विभिन्न भारतीय परंपराओं और समाजों में व्यापक रूप से पूजित हैं। गणेश जी की पूजा हर वर्ग और जाति के लोग करते हैं, और उनकी उपस्थिति घर के हर कोने में महसूस की जाती है। 

गणेश को बाधाओं को हटाने वाले और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, जिससे वे सभी लोगों के लिए प्रिय बन जाते हैं। उनकी सरलता, समर्पण, और असीमित दया के कारण वे आम जनमानस के बीच गहरे तौर पर जुड़ गए हैं।  गणेश की सुंदरता, उनके विशेष रूप हाथी का सिर, मानव शरीर और उनके दया भाव की वजह से उन्हें हर उम्र के लोग पसंद करते हैं।  

गणेश की कथाएँ और उपदेश जीवन की महत्वपूर्ण सीख देती हैं, जैसे धैर्य, समर्पण, और कठिनाइयों का सामना करना, जो हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक होते हैं। कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि यदि आप सरल,सहज,मददगार और मिलनसार हैं तो आपका बेढब स्वरूप भी सब को प्रिय लगने लगते है वरना खराब स्वभाव और लोक व्यवहार की कमी आपकी सुंदरता को भी कुरूप बना सकती है। आप में क्षमता है तो आप भगवान गणेश की तरह चूहे पर बैठकर भी दुनिया जीत सकते हैं वरना जहाज भी कम पड़ जाते हैं।..और, सबसे जरूरी है सभी को साध लेने का गुण जो आपको बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों  तक से अपनापन दिला सकता है। तो, इन दस दिनों में रिद्धि सिद्धि के दाता की भक्ति के साथ उनके स्वभाव,व्यक्तित्व और सोच की सहजता को जीवन में उतारने का प्रयास करिए और फिर देखिए कैसे समय के साथ सुख समृद्धि से आपकी झोली भरती जाएगी।

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