बूंदों,बादलों,पानी और हरियाली का मेला!!
चेहरे के साथ अठखेलियां करती कभी नन्हीं तो कभी बादलों से तर माल उड़ाकर आईं मोटी बूंदे, कभी भिगोकर तो कभी छींटें मारकर हमारे आसपास अपनी मौजूदगी का सतत अहसास कराती रहती हैं। वहीं, काले, घने, मचलते बादल एक छोर से दूसरे छोर तक रेस लगाते से नज़र आते हैं। ऐसा लगता है अभी टूटकर बरस पड़ेंगे और आपके पास छाते में छिपकर कार में घुसने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहेगा..लेकिन जैसे ही आप डरकर भागते हैं,ये नटखट और बदमाश बादल खिलखिलाते हुए कोलार बांध को दूर से निहारने के लिए कहीं ओर टहलने निकल जाते हैं।
आप, बादलों और बूंदों के खेल में ठीक से शामिल भी नहीं हो पाते हो कि नीचे कोलाहल करती विशाल जलराशि अपनी ओर ध्यान खींचने का पुरजोर प्रयास करती दिखती है। अथाए पानी, दूर दूर तक बस पानी ही पानी…जैसे समंदर हो। बड़े तालाब का तो फिर भी ओर-छोर दिखता है परंतु कोलार डैम में बस पानी ही पानी दिखता है। यहां पानी ने पेड़ों के समूह को खास गोलाकार अंदाज में अपनी बांहों में समेट रखा है जैसे थोड़ी-थोड़ी दूर पर पानी के गमलों में किसी ने पेड़ लगा दिए हों।
वैसे तो रहीम कह गए हैं कि ‘बिन पानी सब सून..’, लेकिन यहां पानी से भी आकर्षक है चटक हरियाली,आंखों को लुभाती, मोबाइल के कैमरों पर कब्ज़ा जमाती और हर फोटो के लिए खूबसूरत बैकग्राउंड बनाती हरियाली। आप चाहकर भी अपने आपको रोक नहीं सकते और जब पेड़ों,पानी, बादल,बूंदों (छुट्टी के दिनों में डीजल पेट्रोल भी) की मिली-जुली महक आपकी सांसों से होती हुई फेफड़ों में पहुंचती है तो वे भी फूलकर 56 इंच के होना चाहते हैं ताकि कुछ हफ्ते या महीने की शुद्ध हवा को जमा कर सकें।
कोलार रोड पर बैरागढ़ चीचली के बाद कालापानी जैसे अंतिम गांव को पार करते ही आप प्रकृति की इस लीला के साक्षी बनने लगते हैं। सड़क के दोनों ओर से ताका झांकी करते कई प्रजातियों के पेड़ आपके साथ साथ चलते हैं। रास्ते में,लाल कोयले पर सिंकते पीले भुट्टो की खुशबू से यदि आप मदहोश नहीं हुए तो अपने समय पर कोलार डैम पहुंच जायेंगे और भुट्टों ने मोहपाश में बांध लिया तो कुछ देर बाद।
हरियाली और जंगल का आलम यह है कि ऊंचाई से दिखते सड़क के कुछ टुकड़े अपने अस्तित्व के लिए लड़ते दिखते हैं। यदि आप भदभदा के गेट के दीदार और यहां जुटती भीड़ से ऊब चुके हैं तो आपके लिए कोलार डैम सर्वोत्तम विकल्प है। इसी तरह, यदि कलियासोत पर बाघ की मौजूदगी डराती है और केरवा की सड़क पर लगता जाम परेशान करता है तो जनाब,परिवार के साथ कोलार डैम का रुख करिए…यहां आपको फिलहाल प्रकृति की गोद में बैठ कर सुकून ही मिलेगा।
अंत में एक सुझाव भी: कोलार या कहीं भी प्रकृति से साक्षात्कार करने जाएं तो अपनी कार दूर खड़ी कर पैदल ही घूमे।तभी आप इतना कुछ महसूस कर पाएंगे।
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