हम बड़ी ई वाले हैं...वाकई ई तो बड़ी ही है

हम बड़ी ई वाले हैं' व्यंग्य संग्रह पर विस्तार से चर्चा के पहले यह जानना जरूरी है कि इसे आप कैसे और कहां से खरीद सकते हैं क्योंकि पढ़ेंगे तो तभी न,जब खरीदेंगे... इसके प्रकाशक पल पल इंडिया हैं, कीमत किताब की गुणवत्ता और सामग्री के अनुसार मात्र 100 रुपये है, जो आज के संदर्भों में बहुत कम है। अमेजॉन पर उपलब्ध है, जिसका लिंक नीचे दिया गया है: https://www.amazon.in/…/…/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_d80mDbX3X8KST अब आप ये सोच रहे होंगे कि पुस्तक समीक्षा का ये कौन सा तरीका है...सीधे खरीदने की ब ात,तो पुस्तकों और खासकर हिंदी पुस्तकों के सामने सबसे बड़ा संकट खरीददारों की कमी और मुफ़्तखोर पाठकों का है इसलिए अच्छी किताबे असमय दम तोड़ देती हैं इसलिए 'हम बड़ी ई वाले हैं' तत्काल खरीदिए-पढ़िए-पढ़ाइए ताकि लेखक का हौंसला बढ़े और प्रकाशकों का भी। अब बात इस व्यंग्य संग्रह की... किसी भी विधा का लेखन तभी सार्थक माना जा सकता है, जब वह अर्थवान हो. ऐसे में जब व्यंग्य लेखन की चर्चा में किसी संग्रह की चर्चा की जाए तो यह और भी आवश्यक हो जाता है. हर युवा में जो बदलाव की चाहत होती है और जयप्रकाश नारायण की तरह वे...