शिमला: प्रेम की कविता सा अहसास
‘क्वीन ऑफ हिल्स’ के नाम से विख्यात शिमला इन दिनों घनी धुंध और अल्हड़ बादलों की एक अलौकिक चादर में लिपटी हुई है, मानो प्रकृति ने इस पहाड़ी नगर को अपने रोमांटिक रहस्य में छिपा लिया हो। ऐसा लगता है जैसे स्वप्नदर्शी निर्देशक राज कपूर ने अपनी फिल्म राम तेरी गंगा मैली का लोकप्रिय गीत कोहरे की चादर लपेटे हूं.. इसी शहर से प्रेरित होकर फिल्माया था। यहां की यह अनूठी सुंदरता पर्यटकों और इस स्वनिल आभाष से अनजान हम जैसे लोगों को एक अलग ही दुनिया का अहसास कराती है। शहर की ढलान वाली सड़कों पर बने घरों की लाल और हरी छतें कोहरे की सफेद परतों से ढककर दूर से देखने पर किसी काल्पनिक चित्र की तरह प्रतीत होती हैं। ये घर, पुराने औपनिवेशिक आकर्षण के साथ, कोहरे में तैरते हुए एक ऐसी शांति और गहराई पैदा करते हैं, जो सीधे दिल को छू जाती है।
हवा में फैली हल्की ठंडक और नटखट बादलों से जन्म लेती रिमझिम फुहारें चेहरे को हौले से छूकर हनीमून के लिए आए प्रेमियों के लिए रोमांटिक माहौल रच देती हैं । रिज पर चर्च के सामने दिन भर हाथों में हाथ डाले प्रेमी जोड़े जमा रहते हैं। उनके पीछे शिमला का मशहूर चर्च कोहरे से ढका हुआ है जैसे छिपकर उनके प्रेम का आनंद ले रहा हो और वे युगल भी दुनिया की नजरों से बचकर इस कोहरे में गुम हो जाना चाहते हैं। एक-दूसरे के करीब कई युगल कोहरे की नमी को अपनी साँसों में उतारते हुए सोच रहे है कि काश उनके लिए यह पल अनंत काल तक ठहर जाए । वे यहां आकर बस एक-दूसरे में खोए जाते हैं और धुंध की घनी चादर उनके इर्द-गिर्द एक निजी संसार रच देती है।
कभी, एकाएक परिवार के परिवार बादलों का कंबल हटाकर सामने आ जाते हैं जैसे बादलों की सीढ़ियां उतर रहे हों। हर कोई कोहरे, धुंध और बादलों में ढकी ऐतिहासिक मॉल रोड का हर हिस्सा कैमरे के जरिए अपनी स्मृतियों में सहेज लेना चाहता है। कहीं कहीं वाहनों की रोशनियाँ धुंध के बीच ऐसे चमक उठती हैं, मानो सितारे सड़क पर उतर आए हों। ये रोशनी कोहरे में निखरकर एक सुनहरा आलोक बना देती है। सड़कों पर चलते लोग सुदूर से धीरे धीरे उनकी मौजूदगी की झलक देते हैं। वे भी प्रकृति के इस अद्भुत चित्रण का हिस्सा लगते हैं। वहीं, कोहरे में धुंधली दिखाई दे रही पेड़ों की हरी-भरी चादर इस दृश्य को एक काव्यात्मक सुंदरता प्रदान कर देती है । जबकि दूर से पहरेदारी कर रहीं पर्वतों की चोटियाँ बादलों के ऊपर से इस तरह झाँकती सी लगती हैं, जैसे वे प्रकृति के आगोश में पल रही नवयुगलों की प्रेम कहानी की साक्षी बनना चाहती हैं।
शाम ढलने ही दिनभर बादलों की गिरफ्त में रहा सूरज किसी तरह डूबने की औपचारिक निभाने लगता है। तभी हवा में एक मीठी खुशबू फैलने लगती र है—शायद देवदार के पेड़ों की या किसी पास की चाय की दुकान से आ रही अदरक इलायची की । यह खुशबू एक अनकही बातचीत को जन्म देती है, जहाँ शब्दों की जरूरत नहीं है और इसे बस महसूस किया जा सकता है ।
शिमला इस मौसम में सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि प्रेम की एक कविता बन जाता है, जहाँ धुंध, कोहरा, बादल और रोशनी की हर किरण प्रकृति से मानव के रिश्ते की गहराई को प्रतिबिंबित करते हैं ।
जैसे-जैसे रात गहराती जाती है, कोहरे एवं धुंध की परतें और घनी होती जाती हैं और स्ट्रीट लाइट से लेकर शहर के घरों की रोशनियाँ धीरे-धीरे मंद पड़कर अदृश्यता से एकाकार होने लगती हैं लेकिन यह मंदता रोमांस को कम नहीं करती बल्कि इसे और गहरा बना देती है।
धुंधलका बढ़ते ही नवयुगलों के जोड़े अपनी होटलों की ओर बढ़ने लगते हैं, हाथों में हाथ लिए, कोहरे के इस जादुई आलिंगन में खोए हुए और शिमला को अपनी प्रेम कहानी का गवाह बनाकर भविष्य के सपने बुनते हुए । धुंध और बादलों से ढके शहर का यह दृश्य न केवल आँखों को भाता है, बल्कि दिल को भी छू जाता है और एक ऐसी छाप छोड़ जाता है जो हमेशा के लिए, सालों साल तक दिल में संजोई जा सके ।
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